नाचने से लेकर स्क्रिप्ट लिखने तक: शगुफ्ता रफीक की जिंदगी का फिल्मी सफर

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Written By moviesphilosophy

नाचने से लेकर स्क्रिप्ट लिखने तक: शगुफ्ता रफीक की जिंदगी का फिल्मी सफर | Nachne Se Lekar Script Likhne Tak: Shagufta Rafique Ki Zindagi Ka Filmy Safar

“नाचने से लेकर स्क्रिप्ट लिखने तक: शगुफ्ता रफीक की जिंदगी का फिल्मी सफर”

बॉलीवुड की चमक-धमक वाली दुनिया में हर किसी की कहानी अलग होती है, लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो दिल को छू लेती हैं और आंखें नम कर देती हैं। आज हम बात करेंगे शगुफ्ता रफीक की, जिन्होंने अपनी जिंदगी के काले अंधेरों से निकलकर बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई। ‘आशिकी 2’, ‘मर्डर 2’ और ‘रहस्य 2’ जैसी फिल्मों की कहानियां लिखने वाली शगुफ्ता की अपनी जिंदगी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। तो चलिए, उनकी जिंदगी के इस ट्रेलर को देखते हैं, जिसमें ड्रामा, ट्रेजडी और एक हैप्पी एंडिंग भी शामिल है!

बचपन से शुरू हुआ संघर्ष का सिलसिला

शगुफ्ता रफीक की जिंदगी की शुरुआत ही रहस्यों से भरी थी। उनका कहना है कि उन्हें कभी नहीं पता चला कि उनके असली माता-पिता कौन थे। उन्हें एक पुरानी ज़माने की अभिनेत्री अनवरी बेगम ने गोद लिया था, लेकिन आसपास के लोग अक्सर ताने मारते थे कि शायद वो अनवरी की नातिन हैं, जिनकी मां ने शादी से पहले किसी के साथ रिश्ता बनाया था। कुछ तो ये भी कहते थे कि शगुफ्ता को सड़क पर पाया गया था। सच क्या था, ये शायद कभी सामने न आए, लेकिन इन बातों ने शगुफ्ता के मन पर गहरे घाव छोड़े।

12 साल की उम्र में ही शगुफ्ता को घर की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। उनकी मां, जो कभी आरामदायक जिंदगी जीती थीं, अब गरीबी की मार झेल रही थीं। चूल्हा जलाने के लिए उनके पास कुछ नहीं बचा था, यहाँ तक कि गहने और बर्तन तक बेचने पड़े। ऐसे में शगुफ्ता ने फैसला किया कि वो प्राइवेट पार्टियों में डांस करके पैसे कमाएंगी। लेकिन ये पार्टियाँ कोई आम पार्टियाँ नहीं थीं। शगुफ्ता ने बाद में बताया कि ये पार्टियाँ संदिग्ध फ्लैट्स में होती थीं, जहाँ माहौल किसी कोठे से कम नहीं था। बड़े-बड़े लोग अपनी प्रेमिकाओं और वेश्याओं के साथ आते थे, और शगुफ्ता को फर्श पर पड़े नोट उठाने पड़ते थे।

17 की उम्र में लिया जिंदगी का सबसे मुश्किल फैसला

17 साल की उम्र तक आते-आते शगुफ्ता की जिंदगी और भी अंधेरे में डूब गई। घर की हालत ऐसी थी कि उनके पास खाने तक को पैसे नहीं थे। ऐसे में शगुफ्ता ने एक ऐसा रास्ता चुना, जिसे वो खुद “ट्रॉमेटिक” यानी दर्दनाक बताती हैं। उन्होंने देह व्यापार में कदम रखा। उनकी मां को इस बात का पता था और वो इसके खिलाफ थीं, लेकिन शगुफ्ता को लगता था कि उनके पास कोई और रास्ता नहीं है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “मैं रात को 3000 रुपये कमा लेती थी। हम अब चिकन और झींगे खा सकते थे। मैंने मां के लिए सोने की चूड़ियाँ भी खरीदीं, मुझे लगा मैं घर का मर्द बन गई हूँ।”

यहाँ एक फिल्मी संदर्भ देना बनता है। शगुफ्ता की जिंदगी को देखकर लगता है जैसे वो खुद किसी महेश भट्ट की फिल्म की किरदार हैं। याद है ना ‘सदक’ का वो डायलॉग, “जिंदगी में कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है”? शगुफ्ता ने भी अपनी मासूमियत और बचपन खो दिया, लेकिन बदले में परिवार की भूख मिटाई।

दुबई में बार डांसर बनने का नया अध्याय

17 से 27 साल की उम्र तक शगुफ्ता इसी रास्ते पर चलती रहीं। फिर किसी ने उन्हें सलाह दी कि वो दुबई जाकर बार डांसर बनें। दुबई पहुंचकर शगुफ्ता को एक नया माहौल मिला, लेकिन डर भी कम नहीं था। उन्होंने बताया, “पहले दो दिन तो मैं इतनी डरी हुई थी कि कोई मुझे पैसे ही नहीं देता था। लोग मेरे सामने सिगरेट पीते और शराब के ग्लास टकराते, मैं घबरा जाती थी।” लेकिन कुछ ही दिनों में उनकी किस्मत पलटी। एक 45 साल के शख्स ने उन्हें ढेर सारे पैसे दिए और प्यार में पड़ गए। एक हफ्ते में ही उन्होंने शादी का प्रस्ताव रख दिया। भले ही वो शादी न हो पाई, लेकिन शगुफ्ता उस शख्स को अपना “गार्जियन एंजल” मानती हैं, जिसने उन्हें इस दलदल से निकाला।

1999 में जब उनकी मां को कैंसर हुआ, तो शगुफ्ता दुबई छोड़कर भारत लौट आईं। यहाँ उनकी जिंदगी का एक नया मोड़ इंतजार कर रहा था।

महेश भट्ट से मुलाकात और बॉलीवुड में नई शुरुआत

2002 में शगुफ्ता की मुलाकात महेश भट्ट से हुई। महेश भट्ट, जिनकी फिल्में अक्सर जिंदगी के कड़वे सच को दिखाती हैं, शगुफ्ता की कहानी सुनकर प्रभावित हुए। शगुफ्ता ने उनसे कहा, “मैंने चॉल में सोया है, गंदे तकियों और गद्दों पर, जहाँ कई लड़कियाँ पहले सो चुकी थीं और करोड़पतियों का मनोरंजन कर चुकी थीं। मैं ये सब लिखना चाहती हूँ। मुझे लगता है कि मेरा करियर बॉलीवुड में है।”

महेश भट्ट ने उन्हें मौका दिया। 2006 में शगुफ्ता ने मोहित सूरी की फिल्म ‘कलयुग’ के कुछ सीन्स लिखे, जो उनकी अपनी जिंदगी से प्रेरित थे। इसके बाद ‘वो लम्हे’, ‘अवारापन’, ‘रहस्य 2’, ‘मर्डर 2’ और ‘आशिकी 2’ जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखकर उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई। ‘आशिकी 2’ का गाना “तुम ही हो” सुनते वक्त क्या आपको नहीं लगता कि शगुफ्ता ने अपनी जिंदगी के दर्द को ही इसमें पिरोया होगा?

यहाँ एक और फिल्मी डायलॉग फिट बैठता है। ‘ओम शांति ओम’ में शाहरुख खान कहते हैं, “कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है।” शगुफ्ता की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उन्होंने लिखने का सपना देखा और पूरी कायनात ने उन्हें महेश भट्ट से मिलवाया।

दर्शकों की प्रतिक्रिया और इंडस्ट्री में शगुफ्ता की जगह

शगुफ्ता की कहानी जब सामने आई, तो सोशल मीडिया पर लोग हैरान रह गए। एक यूजर ने लिखा, “ये तो किसी फिल्म से कम नहीं है। शगुफ्ता ने जो जिया, वो हम सिर्फ स्क्रीन पर देखते हैं।” एक और फैन ने कहा, “आशिकी 2 की कहानी में इतना दर्द था, अब समझ आया कि वो दर्द शगुफ्ता की जिंदगी से आया होगा।”

बॉलीवुड में शगुफ्ता को एक ऐसी राइटर के तौर पर जाना जाता है, जो अपनी कहानियों में रॉ इमोशन्स डालती हैं। महेश भट्ट खुद कहते हैं कि शगुफ्ता की स्क्रिप्ट्स में जिंदगी की सच्चाई झलकती है, क्योंकि वो खुद उन रास्तों से गुजरी हैं।

जिंदगी से लिया सबक

शगुफ्ता की कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने अपने दर्द को कविता में बदला और अपनी कहानियों से लाखों दिलों को छू लिया। चलते-चलते एक और फिल्मी डायलॉग याद कर लेते हैं। ‘जब वी मेट’ में करीना कपूर कहती हैं, “मैं अपनी फेवरेट हूँ।” शगुफ्ता ने भी खुद को प्यार करना सीखा और अपनी जिंदगी को एक नया रंग दिया।

तो दोस्तों, अगली बार जब आप ‘आशिकी 2’ का “सुन रहा है ना तू” सुनें, तो जरा शगुफ्ता को भी याद कर लीजिएगा। उनकी जिंदगी का हर नोट उतना ही मेलोडियस है, जितना ये गाना। और हाँ, अगर जिंदगी में कोई मुश्किल आए, तो बस बोल दीजिए, “ऑल इज वेल!” जैसे ‘3 इडियट्स’ में रणछोड़दास छांचड़ कहते हैं।

निष्कर्ष

शगुफ्ता रफीक की जिंदगी एक मिसाल है कि इंसान कितने भी बुरे हालातों से गुजरे, अगर हौसला बुलंद हो तो वो अपनी तकदीर बदल सकता है। नाचने से लेकर स्क्रिप्ट लिखने तक का उनका सफर हमें ये सिखाता है कि हर अंधेरे के बाद एक नई सुबह जरूर आती है। तो आप क्या सोचते हैं? शगुफ्ता की कहानी पर एक फिल्म बननी चाहिए या नहीं? हमें कमेंट्स में जरूर बताएं!

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