नादिरा: बॉलीवुड की पहली वैम्प, जिसने रोल्स रॉयस तो खरीदी, मगर करियर की कीमत चुकाई | Bollywood’s most iconic vamp blamed Raj Kapoor’s film for ruining career; once struggled for food but became 1st Indian actor to own Rolls Royce
नादिरा: बॉलीवुड की पहली वैम्प, जिसने रोल्स रॉयस तो खरीदी, मगर करियर की कीमत चुकाई
बॉलीवुड की चमक-दमक वाली दुनिया में कुछ सितारे ऐसे होते हैं, जो अपने अभिनय से न सिर्फ स्क्रीन पर आग लगा देते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ता भी बनाते हैं। ऐसी ही एक ट्रेलब्लेजर थीं नादिरा, जिन्हें बॉलीवुड की पहली वैम्प के तौर पर जाना जाता है। उनकी मादक अदाएं और बेबाक अंदाज आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ में उनका गाना “मुड़-मुड़ के न देख” तो जैसे वैम्प किरदारों की पहचान बन गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही फिल्म उनके करियर का ‘वाटरलू’ साबित हुई? एक तरफ जहां उन्होंने 73 फिल्मों में काम किया और पहली भारतीय एक्ट्रेस बनीं जिन्होंने रोल्स रॉयस कार खरीदी, वहीं दूसरी तरफ उनका करियर एक ही इमेज में सिमटकर रह गया। आइए, नादिरा की जिंदगी के इस चटपटे और भावुक सफर पर नजर डालते हैं।
**बगदाद से बॉम्बे तक का सफर
नादिरा का असली नाम था फ्लोरेंस एजेकील। उनका जन्म 5 दिसंबर 1932 को इराक के बगदाद में एक यहूदी परिवार में हुआ था। जब वे बहुत छोटी थीं, तभी उनका परिवार कारोबारी मौकों की तलाश में मुंबई (तब बॉम्बे) आ गया। जिंदगी की शुरुआत आसान नहीं थी। गरीबी और संघर्ष ने उनका पीछा नहीं छोड़ा, लेकिन किस्मत ने उन्हें फिल्मी दुनिया का रास्ता दिखाया। महज 10-11 साल की उम्र में उन्होंने 1943 में फिल्म ‘मौज’ से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने करियर की शुरुआत की।
नादिरा की जिंदगी में असली टर्निंग पॉइंट आया जब फिल्ममेकर मेहबूब खान की पत्नी सरदार अख्तर ने उन्हें देखा और 1952 की फिल्म ‘आन’ में एक राजपूत राजकुमारी का किरदार ऑफर किया। इस फिल्म में उनके अपोजिट थे ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार। पहली ही फिल्म में इतने बड़े स्टार के साथ काम करना किसी सपने से कम नहीं था। नादिरा ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था, “मैंने ‘आन’ की शुरुआत 1200 रुपये महीने की फीस से की थी। पहले तीन महीने की कमाई 3600 रुपये देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। मैंने मेहबूब जी से कहा, ‘मुझे आपकी गाड़ी में घर छोड़ दीजिए, इतने पैसे लेकर डर लग रहा है।'”
उन्होंने आगे बताया, “मेरी मां को लगा मैंने पैसे चुराए हैं। उस दिन मैंने ढेर सारा खाना, फर्नीचर और 12 सोने की चूड़ियां खरीदीं। रात को मैं चूड़ियां गिनती और रुमाल से ढक देती, सुबह फिर गिनती। हमने इतना खाना खरीदा था कि आधा पड़ोसियों को देना पड़ा।” ये बातें सुनकर लगता है ना, “पैसा बोलता है, साहब!” (फिल्म ‘दीवार’ से प्रेरित)।
**’श्री 420′ बनी करियर की ‘वाटरलू’
नादिरा का सपना था कि वे हीरोइन बनें, लीड रोल करें, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। राज कपूर ने जब उन्हें ‘श्री 420’ में माया के निगेटिव किरदार के लिए अप्रोच किया, तो वे मना नहीं कर पाईं। उस जमाने में राज कपूर के साथ काम करना हर एक्ट्रेस का सपना होता था। माया का किरदार इतना दमदार था कि आज भी लोग उसे भूल नहीं पाए, लेकिन नादिरा के लिए ये किरदार एक अभिशाप बन गया।
उन्होंने बाद में कहा, “मैंने ‘श्री 420’ को मजाक में लिया था, लेकिन ये मेरा वाटरलू बन गया। मैंने अपनी वर्सटिलिटी साबित करने के लिए ये रोल लिया, मगर इसने मेरा करियर बर्बाद कर दिया।” फिल्म के बाद प्रोड्यूसर्स ने उन्हें सिर्फ वैम्प के रोल ऑफर किए। नादिरा ने करीब 200 फिल्में ठुकरा दीं, लेकिन आखिरकार उन्हें वही किरदार निभाने पड़े। उन्होंने कहा था, “श्री 420 के बाद मैं डेढ़ साल भूखी रही क्योंकि हर कोई मुझे वही काला टाइट ड्रेस पहनाकर, सिगरेट थामकर देखना चाहता था।”
अब इसे तो कहते हैं, “एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी, तो फिर मैं अपनी भी नहीं सुनता!” (सलमान खान स्टाइल में)। लेकिन अफसोस, ये कमिटमेंट उनके करियर की कीमत पर हुई।
**जया बच्चन भी थीं इंटिमिडेटेड
नादिरा ने भले ही अनिच्छा से वैम्प के रोल किए, लेकिन उन्हें इतना शानदार बनाया कि लोग डरने लगे। जया बच्चन ने 1972 की फिल्म ‘एक नजर’ में उनके साथ काम किया, जहां नादिरा ने एक कोठे की मालकिन का किरदार निभाया। जया ने एक इंटरव्यू में कहा, “नादिराजी स्क्रीन पर इतनी पावरफुल थीं कि मैं सच में उनसे डर गई थी। वे नाजुक, चूइमुई टाइप की लड़की नहीं बन सकती थीं, जो दर्शकों को पसंद आती है।”
जया की बात सुनकर लगता है, नादिरा सच में कह सकती थीं, “हमारी मौजूदगी ही काफी है, डराने के लिए!” (किसी फिल्मी विलेन की तरह)।
**रोल्स रॉयस वाली पहली एक्ट्रेस, मगर अकेली जिंदगी
नादिरा ने अपने करियर में 73 फिल्में कीं और एक से बढ़कर एक किरदार निभाए। उनकी पर्सनैलिटी भी लार्जर-दैन-लाइफ थी। वे महंगी शराब की शौकीन थीं, कारों से प्यार था और उन्होंने भारत की पहली एक्ट्रेस बनकर रोल्स रॉयस खरीदी। लेकिन उनकी जिंदगी में एक खालीपन हमेशा रहा। उन्होंने कभी शादी नहीं की। अपने आखिरी दिनों में वे मुंबई के एक फ्लैट में अकेले रहती थीं, सिर्फ अपनी हाउस हेल्प के साथ।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मैं भगवान की बहुत शुक्रगुजार हूं, लेकिन कभी-कभी अकेलेपन में रोती हूं। मुझे नींद नहीं आती, इसलिए वक्त काटने के लिए संगीत सुनती हूं, बुनाई करती हूं और किताबें पढ़ती हूं। मैं बस यही दुआ करती हूं कि जब तक जिंदा हूं, काम कर सकूं। मैं कभी किसी पर निर्भर नहीं होना चाहती।” उनकी ये बातें सुनकर दिल को छू जाती हैं, और मन में आता है, “जिंदगी तो हर पल मांगती है, एक नया रंग, एक नया ढंग!” (फिल्मी अंदाज में)।
**आखिरी दिन और विरासत
2000 में शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय की फिल्म ‘जोश’ उनकी आखिरी ऑनस्क्रीन परफॉर्मेंस थी। इसके बाद वे लाइमलाइट से दूर हो गईं। उनके आखिरी दिन कई बीमारियों से जूझते हुए गुजरे। ट्यूबरकुलर मेनिन्जाइटिस, अल्कोहलिक लिवर डिसऑर्डर और पैरालिसिस जैसी बीमारियों ने उन्हें तोड़ दिया। 2006 में 73 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
नादिरा की जिंदगी एक रोलरकोस्टर रही। गरीबी से निकलकर शोहरत की बुलंदी तक पहुंचीं, लेकिन अकेलेपन और टाइपकास्ट होने की पीड़ा ने उनका साथ नहीं छोड़ा। फिर भी, उन्होंने जो किरदार निभाए, वो आज भी मिसाल हैं। वे वैम्प की इमेज से निकल नहीं पाईं, लेकिन उस इमेज को इतना शानदार बनाया कि आने वाली एक्ट्रेसेस ने उससे प्रेरणा ली।
**दर्शकों की नजर में नादिरा
आज भी सोशल मीडिया पर नादिरा को लेकर चर्चा होती है। उनके गाने और सीन वायरल होते रहते हैं। एक फैन ने ट्विटर पर लिखा, “नादिरा जी की अदाएं देखकर लगता है, वैम्प होना भी एक कला है।” एक और यूजर ने कहा, “श्री 420 का माया किरदार आज भी डराता है, मगर आकर्षित भी करता है।”
नादिरा की कहानी हमें सिखाती है कि फिल्मी दुनिया में शोहरत और संघर्ष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उनकी जिंदगी को देखकर लगता है, “यहां सब कुछ बिकता है, बस कीमत सही होनी चाहिए!” (फिल्मी डायलॉग स्टाइल में)। लेकिन एक बात तो तय है, नादिरा जैसी पर्सनैलिटी और टैलेंट बॉलीवुड में दोबारा नहीं देखने को मिलेगा।
तो दोस्तों, नादिरा की इस कहानी से आपने क्या सीखा? क्या आपको लगता है कि टाइपकास्ट होना हर एक्टर की नियति है, या फिर मौके और रिस्क लेकर इस इमेज से बाहर निकला जा सकता है? कमेंट में जरूर बताएं, और इस आर्टिकल को शेयर करना न भूलें। आखिर, “पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!”