तीसरी कसम (1966) – विस्तृत मूवी रीकैप
निर्देशक: बासु भट्टाचार्य
निर्माता: शैलेंद्र
कलाकार: राज कपूर, वहीदा रहमान, इफ्तिखार, असित सेन
संगीत: शंकर-जयकिशन
शैली: सामाजिक ड्रामा, रोमांस, ग्रामीण जीवन
भूमिका
“तीसरी कसम” भारतीय सिनेमा की सबसे संदेशप्रद और भावनात्मक फिल्मों में से एक मानी जाती है। यह फिल्म फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी “मारे गए गुलफाम” पर आधारित है।
यह एक भोले-भाले गाड़ीवान हीरामन (राज कपूर) और एक नाचने वाली हीराबाई (वहीदा रहमान) के बीच पनपते भावनात्मक रिश्ते की कहानी है।
फिल्म में ग्रामीण भारत की मासूमियत, लोक संस्कृति और सामाजिक विडंबना को बड़े ही संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
कहानी
प्रारंभ: एक ईमानदार गाड़ीवान
कहानी का नायक हीरामन (राज कपूर) एक साधारण गाड़ीवान (बैलगाड़ी चलाने वाला) है, जो अपनी सीधी-सादी ज़िंदगी में खुश रहता है।
- हीरामन भोला, ईमानदार और संस्कारी व्यक्ति होता है।
- वह अपने बैलगाड़ी से गांव के लोगों और सामान को इधर-उधर पहुंचाने का काम करता है।
तीन कसमों की शुरुआत:
हीरामन को जीवन में पहली दो बार कसमे खानी पड़ती हैं:
- पहली कसम – कभी अफीम का व्यापार नहीं करेगा, क्योंकि उसकी गाड़ी पकड़ ली गई थी।
- दूसरी कसम – कभी बांस से भरी गाड़ी नहीं ले जाएगा, क्योंकि इस कारण उसके बैलों को चोट लग गई थी।
हीरामन की मुलाकात हीराबाई से
- एक दिन, हीरामन को एक रहस्यमयी महिला (हीराबाई – वहीदा रहमान) को मेले तक ले जाने का काम मिलता है।
- वह हीराबाई के सौंदर्य और कोमलता से प्रभावित होता है, लेकिन उसे यह नहीं पता होता कि वह एक नाचने वाली तवायफ (बाईजी) है।
- हीरामन उससे आदर और प्रेम से पेश आता है, जैसा उसने किसी और महिला से नहीं किया था।
गाना:
- “सजन रे झूठ मत बोलो” – जीवन के सत्य और ईमानदारी को दर्शाने वाला अमर गीत।
हीरामन और हीराबाई की बढ़ती नज़दीकियां
- हीराबाई, जो अब तक केवल चालाक और स्वार्थी लोगों से मिली थी, हीरामन की भोलेपन और सच्चाई से बहुत प्रभावित होती है।
- दोनों एक-दूसरे से धीरे-धीरे भावनात्मक रूप से जुड़ने लगते हैं।
- हीरामन उसके सम्मान की रक्षा करने के लिए हर संभव प्रयास करता है, जिससे हीराबाई के दिल में उसके लिए स्नेह जागता है।
गाना:
- “चलत मुसाफिर मोह लियो रे” – हीराबाई की सुंदरता और उसके प्रभाव को दर्शाने वाला लोकगीत।
समाज की सच्चाई और कठोरता
- जैसे ही हीरामन को पता चलता है कि हीराबाई एक नाचने वाली है, वह पहले थोड़ा झिझकता है।
- लेकिन उसका प्रेम और सम्मान बरकरार रहता है।
- समाज के कुछ लोग हीरामन का मज़ाक उड़ाते हैं और उसे ताने देते हैं, लेकिन वह हीराबाई का साथ नहीं छोड़ता।
गाना:
- “ला लरी लला लोरी” – लोकसंस्कृति और भावनाओं का प्रतिबिंब।
क्लाइमैक्स: दिल टूटने की घड़ी
- हीराबाई को एहसास होता है कि वह और हीरामन कभी एक नहीं हो सकते, क्योंकि वह एक तवायफ है और समाज उसे कभी अपनाएगा नहीं।
- वह अपने दर्द को दिल में दबाकर, हीरामन से दूर जाने का फैसला करती है।
- हीरामन, जो पहली बार सच्चे प्रेम को महसूस कर रहा था, दिल टूटने की पीड़ा सहता है।
तीसरी और अंतिम कसम:
- तीसरी कसम – हीरामन अब कभी भी किसी नाचने वाली महिला को अपनी बैलगाड़ी में नहीं बैठाएगा।
- वह अपने भोलेपन और प्रेम को खो चुका होता है और समाज की कठोर सच्चाई को समझ चुका होता है।
गाना:
- “हरे रामा हरे कृष्णा” – दिल टूटने और जीवन के सत्य को दिखाने वाला गीत।
फिल्म की खास बातें
1. ग्रामीण भारत का असली चित्रण
- फिल्म ने गांवों की सादगी, मेलों की रौनक, और भोले-भाले लोगों की जिंदगी को प्रामाणिक रूप से दिखाया।
- लोकगीत, वेशभूषा, और परिवेश ने इसे एक यथार्थवादी अनुभव बना दिया।
2. राज कपूर और वहीदा रहमान की यादगार जोड़ी
- राज कपूर ने हीरामन के भोलेपन और सच्चाई को इतनी गहराई से निभाया कि यह किरदार अमर हो गया।
- वहीदा रहमान ने हीराबाई की करुणा और दर्द को बेहतरीन तरीके से व्यक्त किया।
3. अविस्मरणीय संगीत
शंकर-जयकिशन का संगीत इस फिल्म की आत्मा था। कुछ प्रसिद्ध गीत:
- “सजन रे झूठ मत बोलो” – जीवन के नैतिक मूल्यों को दिखाने वाला गीत।
- “चलत मुसाफिर मोह लियो रे” – लोकगीत शैली का बेहतरीन उदाहरण।
- “पान खाए सैयां हमार” – बिहार और उत्तर भारत की लोकसंस्कृति को दर्शाने वाला गीत।
4. सामाजिक संदेश और करुणा
- यह फिल्म बताती है कि समाज किसी इंसान को उसके पेशे से आंकता है, लेकिन असली मूल्य उसके दिल में होते हैं।
- यह प्यार, त्याग और सामाजिक बंधनों के बीच संघर्ष को गहराई से दिखाती है।
5. शैलेंद्र की आखिरी फिल्म
- महान गीतकार शैलेंद्र ने इस फिल्म को अपने दिल से बनाया था, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर असफल रही।
- इस असफलता से वह गहरे अवसाद में चले गए और यह उनकी आखिरी फिल्म बनी।
- बाद में, इस फिल्म को महान क्लासिक्स में गिना गया और इसे सिनेमा इतिहास में एक अमर कृति माना जाने लगा।
निष्कर्ष
“तीसरी कसम” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक कविता है – प्रेम, त्याग और समाज की कठोर सच्चाई की।
“तीसरी कसम” भारतीय सिनेमा की सबसे खूबसूरत और दिल छू लेने वाली फिल्मों में से एक है।
“प्यार पवित्र होता है, लेकिन समाज उसे हमेशा स्वीकार नहीं करता।”
“तीसरी कसम” (1966) के बेहतरीन संवाद और जीवन दर्शन
“तीसरी कसम” बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित और शैलेन्द्र द्वारा निर्मित एक कालजयी फिल्म है, जो फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी “मारे गए गुलफाम” पर आधारित है। राज कपूर और वहीदा रहमान की अदाकारी, शंकर-जयकिशन का संगीत और हिंदी ग्रामीण जीवन की सादगी को चित्रित करती यह फिल्म प्रेम, त्याग, समाज की कड़वी सच्चाइयों और दिल को छूने वाली मासूमियत की कहानी है। इसके संवाद गहरे जीवन दर्शन और समाज की वास्तविकताओं को दर्शाते हैं।
🗣 सर्वश्रेष्ठ संवाद और उनका जीवन दर्शन
1. प्रेम और त्याग पर आधारित संवाद
📝 “प्यार में अगर अपना सब कुछ न खो सके, तो वो प्यार कैसा?”
👉 दर्शन: सच्चा प्रेम केवल पाने का नहीं, बल्कि सब कुछ देने और त्याग करने का नाम है।
📝 “अगर किसी को सच्चे दिल से चाहो, तो उसकी खुशी में ही अपनी खुशी ढूंढनी पड़ती है।”
👉 दर्शन: प्रेम का असली रूप निस्वार्थता और त्याग में है।
📝 “दिल से किया गया प्यार कभी अधूरा नहीं होता, भले ही मंज़िल तक न पहुँचे।”
👉 दर्शन: सच्चा प्रेम हमेशा अमर रहता है, चाहे वह पूरा हो या अधूरा।
2. समाज और उसकी सच्चाई पर आधारित संवाद
📝 “जिस समाज में औरत की इज़्ज़त उसके काम से नहीं, बल्कि उसके पहनावे से होती है, उस समाज से कुछ नहीं उम्मीद करनी चाहिए।”
👉 दर्शन: समाज का दोगलापन और उसकी खोखली नैतिकता औरतों की असली आज़ादी पर सवाल उठाती है।
📝 “इस दुनिया में सच्चाई से बड़ा कोई अपराध नहीं, और झूठ से बड़ा कोई धर्म नहीं।”
👉 दर्शन: समाज में झूठ और दिखावे का ही बोलबाला है, सच्चाई हमेशा मुश्किलों से घिरी होती है।
📝 “जो लोग सबसे ज्यादा हंसते हैं, वही अंदर से सबसे ज्यादा अकेले होते हैं।”
👉 दर्शन: बाहरी हंसी और खुशी अक्सर अंदर की गहरी पीड़ा को छुपाने का तरीका होती है।
3. मासूमियत और विश्वास पर आधारित संवाद
📝 “जिसके दिल में कोई छल-कपट नहीं, वही सबसे अमीर होता है।”
👉 दर्शन: सच्ची दौलत मन की पवित्रता और निष्कपटता में होती है, न कि धन-संपत्ति में।
📝 “भोले लोग इस दुनिया में सिर्फ इस्तेमाल होते हैं, समझे नहीं जाते।”
👉 दर्शन: सादगी और मासूमियत को समाज कमजोरी समझता है और उसका फायदा उठाता है।
📝 “जो दिल से देता है, उसे कभी खोने का डर नहीं होता।”
👉 दर्शन: निस्वार्थता ही सच्चे प्रेम और दोस्ती का असली आधार है।
4. किस्मत और संघर्ष पर आधारित संवाद
📝 “जिसकी तकदीर में तन्हाई हो, उसे कोई कितना भी अपना ले, वह अकेला ही रहता है।”
👉 दर्शन: किस्मत और इंसान की नियति को बदलना आसान नहीं, चाहे कितनी भी कोशिश क्यों न हो।
📝 “अगर मेहनत करने से किस्मत बदल सकती, तो गरीब कभी गरीब न रहता।”
👉 दर्शन: किस्मत और मेहनत का खेल हमेशा इंसाफ का नहीं होता, कुछ लोग मेहनत के बावजूद वंचित रह जाते हैं।
📝 “हर किसी को अपनी मंज़िल खुद ही ढूंढनी पड़ती है, कोई तुम्हें पकड़कर वहां नहीं ले जाएगा।”
👉 दर्शन: जीवन की राहें अकेले ही तय करनी पड़ती हैं, सहारे अस्थायी होते हैं।
5. सपनों और हकीकत पर आधारित संवाद
📝 “सपने तो सब देखते हैं, पर उन पर यकीन कुछ ही लोग करते हैं।”
👉 दर्शन: सपनों का असली मतलब तभी है जब उनमें विश्वास हो और उन्हें पूरा करने की चाहत।
📝 “हकीकत में जीना उतना ही मुश्किल है, जितना सपनों में मरना।”
👉 दर्शन: वास्तविकता की कठोरता और सपनों की मिठास के बीच का संघर्ष ही जीवन है।
📝 “जो सपने सच नहीं होते, वही सबसे खूबसूरत होते हैं।”
👉 दर्शन: अधूरे सपनों की तड़प ही जीवन को गहराई देती है, वे हमेशा दिल के करीब रहते हैं।
🌟 अनसुने और रोचक तथ्य (“तीसरी कसम” से जुड़े हुए) 🌟
1️⃣ शैलेन्द्र का सपना और आखिरी फिल्म
👉 इस फिल्म को बनाने के लिए गीतकार शैलेन्द्र ने अपनी सारी पूंजी लगा दी थी। फिल्म की असफलता से वो इतने टूट गए कि यह उनकी आखिरी फिल्म बन गई।
2️⃣ राज कपूर का सादा लुक
👉 पहली बार राज कपूर को बिना किसी मेकअप और साधारण किसान के रूप में देखा गया। यह लुक उनकी लोकप्रिय छवि से बिल्कुल अलग था।
3️⃣ बासु भट्टाचार्य की बेहतरीन निर्देशन
👉 यह फिल्म बासु भट्टाचार्य की निर्देशक के रूप में पहली फिल्म थी, और इसे एक क्लासिक का दर्जा मिला।
4️⃣ “सजन रे झूठ मत बोलो” की कहानी
👉 यह गाना साहिर लुधियानवी ने शैलेन्द्र की जिंदगी से प्रेरित होकर लिखा था, जो कि सादगी और ईमानदारी की बात करता है।
5️⃣ ऑस्कर की दौड़ में शामिल!
👉 “तीसरी कसम” को ऑस्कर के लिए भारत की ओर से भेजने पर विचार किया गया था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका।
6️⃣ बिमल रॉय का आखिरी योगदान
👉 इस फिल्म के निर्माण में बिमल रॉय ने भी मदद की, यह उनके निधन से पहले का आखिरी बड़ा योगदान था।
7️⃣ वास्तविक लोकेशन पर शूटिंग
👉 फिल्म की अधिकांश शूटिंग गांव और असली लोकेशन पर की गई थी, जिससे इसकी सादगी और वास्तविकता और बढ़ गई।
8️⃣ शंकर-जयकिशन का संगीत और रिकॉर्ड तोड़ गाने
👉 इस फिल्म का संगीत इतना लोकप्रिय हुआ कि “चलत मुसाफिर”, “सजन रे झूठ मत बोलो” जैसे गाने आज भी याद किए जाते हैं।
9️⃣ साहित्य से सिनेमा तक का सफर
👉 “तीसरी कसम” फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी “मारे गए गुलफाम” पर आधारित थी, जो ग्रामीण भारत की संवेदनशीलता को दिखाती है।
🔟 फिल्मफेयर अवार्ड्स में धमाल!
👉 “तीसरी कसम” ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर अवार्ड जीता और इसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला।
निष्कर्ष
“तीसरी कसम” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि प्रेम, त्याग और सादगी की एक अमर गाथा है। इसके संवाद और गाने हमें बताते हैं कि सच्चा प्रेम कभी मरता नहीं, और सादगी ही असली सुंदरता है। यह फिल्म हमें यह भी सिखाती है कि समाज की सच्चाइयों का सामना कैसे करना चाहिए।
💬 आपको “तीसरी कसम” का कौन सा संवाद सबसे ज्यादा पसंद आया? 😊
Best Dialogues and Quotes
1. “मनुष्य अपने कर्मों से महान बनता है, जन्म से नहीं।”
यह संवाद जीवन में कर्म की महत्ता को दर्शाता है, जो बताता है कि एक व्यक्ति की महानता उसके जन्म से नहीं, बल्कि उसके कर्मों से निर्धारित होती है।
2. “सच्चे प्यार की पहचान त्याग में होती है।”
यह प्यार की गहराई और सत्यता को समझाने वाला संवाद है, जो दर्शाता है कि सच्चा प्यार त्याग और समर्पण की मांग करता है।
3. “जीवन एक यात्रा है, मंजिल नहीं।”
यह संवाद जीवन के सफर को महत्व देता है और यह समझाता है कि जीवन का असली आनंद यात्रा में है, न कि केवल मंजिल तक पहुंचने में।
4. “जो लोग सपने देखते हैं, वही दुनिया को बदलते हैं।”
यह संवाद हमें प्रेरित करता है कि अपने सपनों का पीछा करने से ही हम दुनिया में बदलाव ला सकते हैं।
5. “हर रिश्ता विश्वास की डोर से बंधा होता है।”
यह संवाद रिश्तों में विश्वास की अहमियत को दर्शाता है, जो बताता है कि विश्वास ही हर रिश्ते की नींव होती है।
6. “सच्चाई की राह हमेशा कठिन होती है, लेकिन अंत में वही जीतती है।”
यह संवाद सत्य की शक्ति और उसकी कठिनाईयों को दर्शाता है, जो हमें सच्चाई पर चलने की प्रेरणा देता है।
7. “खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं।”
यह संवाद खुशी की प्रकृति को समझाता है, जिससे पता चलता है कि खुशी बांटने से ही उसकी वृद्धि होती है।
8. “हर अंत एक नए आरंभ का संकेत होता है।”
यह संवाद हमें सिखाता है कि किसी भी अंत को नए शुरूआत के रूप में देखना चाहिए।
9. “सपने वो नहीं जो हम नींद में देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।”
यह संवाद हमें प्रेरित करता है कि हमारे असली सपने वही हैं, जिनके लिए हम जागते हैं और मेहनत करते हैं।
10. “कभी-कभी खो जाना भी जरूरी होता है, खुद को पाने के लिए।”
यह संवाद हमें आत्म-अन्वेषण की ओर प्रेरित करता है और बताता है कि खुद को जानने के लिए कभी-कभी खो जाना भी आवश्यक है।
11. “हर दर्द के पीछे एक सीख छुपी होती है।”
यह संवाद जीवन के संघर्ष और उनसे मिलने वाली शिक्षा पर प्रकाश डालता है।
12. “सच्चा मित्र वही है जो मुश्किल समय में आपके साथ खड़ा हो।”
यह संवाद मित्रता की सच्चाई और गहराई को दर्शाता है।
13. “समय सबसे बड़ा शिक्षक होता है।”
यह संवाद हमें बताता है कि समय के साथ हम सबसे बड़ी सीख प्राप्त करते हैं।
14. “जो बीत गया, उसे भूलकर आगे बढ़ो।”
यह संवाद अतीत को छोड़कर वर्तमान और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देता है।
15. “जीवन में परिवर्तन ही स्थायी है।”
यह संवाद जीवन की अस्थिरता और परिवर्तनशीलता को स्वीकार करने की बात करता है।
16. “अपने सपनों को जीने का साहस रखो।”
यह संवाद हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए साहस रखने की प्रेरणा देता है।
17. “प्रेम को पाने के लिए खुद को खोना पड़ता है।”
यह संवाद प्रेम की गहराई और उसमें खो जाने की भावना को दर्शाता है।
18. “दूसरों की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है।”
यह संवाद सेवा और परोपकार के महत्व को रेखांकित करता है।
19. “हर व्यक्ति की अपनी कहानी होती है।”
यह संवाद हमें यह समझाता है कि हर किसी का जीवन अलग होता है और उनकी अपनी कहानी होती है।
20. “खुशी आपके नजरिए में होती है।”
यह संवाद हमें बताता है कि खुशी हमारी सोच और नजरिए में छुपी होती है।
Interesting Facts
फिल्म का निर्देशन और संघर्ष
“तीसरी कसम” का निर्देशन बासु भट्टाचार्य ने किया था, और इसे पूरा करने में लगभग 7 साल लग गए क्योंकि फिल्म को बार-बार वित्तीय समस्याएँ और अन्य बाधाएँ झेलनी पड़ीं।
राज कपूर की भूमिका
राज कपूर ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी और उन्होंने अपनी फीस नहीं ली थी क्योंकि वे फिल्म के निर्माता शैलेंद्र के अच्छे दोस्त थे।
शैलेंद्र की आर्थिक स्थिति
फिल्म के निर्माण के दौरान शैलेंद्र को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने गीत लेखन के करियर से अर्जित अधिकांश धन को इस फिल्म में लगा दिया था।
फिल्म का संगीत
फिल्म का संगीत शंकर-जयकिशन ने दिया है और इसके गीत शैलेंद्र ने ही लिखे हैं। “सजन रे झूठ मत बोलो” जैसे गीत आज भी प्रसिद्ध हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार
“तीसरी कसम” को 1967 में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
विमला पांडे की भूमिका
विमला पांडे की भूमिका वहीदा रहमान ने निभाई थी, जिनकी अदाकारी को आलोचकों ने काफी सराहा।
फिल्म का साहित्यिक आधार
फिल्म का आधार फणीश्वरनाथ रेणु की प्रसिद्ध कहानी “मारे गए गुलफाम” पर आधारित है।
फिल्म की शूटिंग लोकेशन
फिल्म की शूटिंग मुख्य रूप से बिहार के ग्रामीण इलाकों में की गई थी, जिससे फिल्म की प्रामाणिकता बढ़ गई।
शैलेंद्र का योगदान
शैलेंद्र ने इस फिल्म के लिए न केवल वित्तीय निवेश किया, बल्कि अपनी रचनात्मक दृष्टि भी दी, जिससे यह एक यादगार क्लासिक बन सकी।
फिल्म का व्यावसायिक प्रदर्शन
रिलीज़ के समय फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफलता नहीं मिली, लेकिन बाद में इसे एक कल्ट क्लासिक के रूप में मान्यता मिली।
1. सजन रे झूठ मत बोलो – मुकेश
2. सजनवा बैरी हो गए हमार – लता मंगेशकर
3. चलत मुसाफ़िर मोह लियो रे – मन्ना डे
4. दुल्हन चली – लता मंगेशकर
5. पान खाये सैंया हमार – आशा भोसले, मन्ना डे
6. मारो रे मारो रे – आशा भोसले
7. लाली लाली डोलिया में लाली रे दुल्हनिया – आशा भोसले