Bhool Bhulaiyaa 3: Full Movie Recap, Iconic Quotes & Hidden Facts

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Written By moviesphilosophy

निर्देशक:

फिल्म “भूल भुलैया 3” का निर्देशन प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक अनीस बज्मी ने किया है।

मुख्य कलाकार:

फिल्म में मुख्य भूमिका में कार्तिक आर्यन नजर आएंगे। उनके साथ अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाओं में तब्बू और कियारा आडवाणी शामिल हैं।

निर्माता:

इस फिल्म का निर्माण भूषण कुमार और मुराद खेतानी ने किया है, जो टी-सीरीज और सिने1 स्टूडियोज़ के बैनर तले बनी है।

संगीत:

फिल्म का संगीत प्रीतम ने तैयार किया है, जो फिल्म के रोमांचक और रहस्यमय माहौल को और भी बढ़ा देता है।

कहानी:

फिल्म की कहानी एक रहस्यमय हवेली के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें भूत-प्रेत का साया बताया जाता है।

🎙️🎬Full Movie Recap

मूवीज़ फिलॉसफी पॉडकास्ट में आपका स्वागत है!

नमस्ते दोस्तों, मूवीज़ फिलॉसफी में आपका हार्दिक स्वागत है, जहां हम भारतीय सिनेमा की गहराइयों में उतरते हैं और कहानियों के पीछे छुपे भावनाओं, थीम्स और संदेशों को खोजते हैं। मैं हूं आपका मेजबान, और आज हम बात करेंगे एक ऐसी फिल्म की जो डर, रहस्य और भावनाओं का एक अनूठा मिश्रण है। जी हां, हम बात कर रहे हैं हाल ही में रिलीज हुई हॉरर-कॉमेडी फिल्म की, जिसमें इतिहास, भूत-प्रेत और मानवीय रिश्तों का एक जटिल जाल बुना गया है। तो चलिए, बिना देर किए, शुरू करते हैं इस फिल्म का विस्तृत रिकैप।

परिचय: राखटघाट की रहस्यमयी कहानी

यह कहानी शुरू होती है 1824 में, राखटघाट के महाराजा की बेटी मंजुलिका (विद्या बालन) से, जो एक कुशल कत्थक नृत्यांगना है। उसकी प्रतिभा महाराजा को पसंद नहीं आती, और क्रोध में आकर वह उसे जिंदा जला देते हैं। लेकिन मंजुलिका की आत्मा लौटती है, एक प्रतिशोधी भूत बनकर, और महाराजा और उस व्यक्ति को मार डालती है जिसने उसे जलाया था। यह घटना राखटघाट के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो जाती है।

200 साल बाद, 2024 में, कहानी एक नए मोड़ पर पहुंचती है। रूहान रंधावा उर्फ रूह बाबा (कार्तिक आर्यन) एक ढोंगी भूत-प्रेत निकालने वाला है, जो लोगों के डर का फायदा उठाकर पैसा कमाता है। वह अपने सहायक टिल्लू (अरुण कुशवाह) के साथ मिलकर लोगों को यह कहकर ठगता है कि उनके घर की कीमती चीजें शापित हैं और वह उन्हें हटा देगा। लेकिन उसकी जिंदगी तब बदल जाती है, जब मीरा (तृप्ति डिमरी) के चाचा (राजेश शर्मा) उसे राखटघाट बुलाते हैं। मीरा, जो मृत बताई जाती है, अचानक रूहान के सामने आती है, और वह डर से कांप उठता है। लेकिन असल में मीरा जिंदा है, और यह सब एक चाल थी। चाचा रूहान को ब्लैकमेल करते हैं कि अगर वह राखटघाट नहीं गया, तो उसका डरते हुए वीडियो वायरल कर दिया जाएगा। मजबूरन रूहान 1 करोड़ रुपये के लालच में वहां जाने को तैयार हो जाता है।

कहानी का मुख्य भाग: राखटघाट का भूतिया महल

राखटघाट पहुंचने पर रूहान को एक बड़ा झटका लगता है। वहां के लोग उसे देखकर हैरान हो जाते हैं, क्योंकि वह बिल्कुल 1824 के राजकुमार देबेंद्रनाथ जैसा दिखता है। राखटघाट का शाही परिवार अब गरीबी में जी रहा है, क्योंकि मंजुलिका की आत्मा ने उनके महल को भूतिया बना दिया है। परिवार अब घोड़ों के अस्तबल में रहता है और कर्ज में डूबा हुआ है। राजपुरोहित (मनीष वाधवा) रूहान को बताते हैं कि वह देबेंद्रनाथ का पुनर्जन्म है। 200 साल पहले मंजुलिका महाराजा की इकलौती बेटी थी, एक कुशल नर्तकी और योद्धा, जो गद्दी की हकदार थी। लेकिन जब देबेंद्रनाथ का जन्म एक नौकरानी से हुआ, तो महाराजा ने उसे राजकुमार बना दिया। क्रोध में मंजुलिका ने देबेंद्रनाथ को मार डाला, और फिर महाराजा ने उसे जिंदा जला दिया। तब से उसकी आत्मा महल में भटक रही है, और उसने कई मौतें की हैं।

राजपुरोहित ने मंजुलिका की आत्मा को उसके कमरे में भैरवा कवच के पीछे कैद कर रखा है। वह चेतावनी देते हैं कि यह कमरा केवल दुर्गाष्टमी पर किसी शाही सदस्य के पुनर्जन्म द्वारा खोला जा सकता है। रूहान को देबेंद्रनाथ का अवतार मानकर परिवार फिर से महल में रहने लगता है। इस बीच, मीरा एक रेस्टोरेशन टीम बुलाती है ताकि महल को 1000 करोड़ रुपये में बेचा जा सके। रूहान को साबित करना है कि महल में कोई भूत नहीं है।

लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब रेस्टोरेशन टीम की लीडर मल्लिका (विद्या बालन) में अजीब हरकतें दिखने लगती हैं। रूहान को लगता है कि मंजुलिका उसकी जान लेना चाहती है। कई बार उस पर हमले होते हैं, और देबेंद्रनाथ की तस्वीर भी रहस्यमयी तरीके से जल जाती है। रूहान भागने की सोचता है, लेकिन उसे पता चलता है कि मीरा को उससे प्यार हो गया है। उसी समय टिल्लू उसे बताता है कि उनके एक पुराने ठगी के शिकार का रिश्तेदार ACP राठौड़ रूहान को ढूंढ रहा है। मजबूरन वह रुक जाता है।

चरमोत्कर्ष: सच्चाई का खुलासा

कहानी तब और उलझती है, जब रूहान को पता चलता है कि मंजुलिका के कमरे में पंडित जगन्नाथ शास्त्री (संजय मिश्रा), पंडितायन (अश्विनी कालसेकर) और छोटे पंडित नटवर (राजपाल यादव) पहले से रह रहे हैं। वे सबको डराकर वहां शांति से रहना चाहते थे। मल्लिका ने ही उनकी सच्चाई उजागर की थी। रूहान मल्लिका से कहता है कि वह मंजुलिका बनकर गांव वालों को डराए, ताकि वह यह दिखा सके कि उसने भूत को भगा दिया। लेकिन मल्लिका सच में मंजुलिका की आत्मा से प्रभावित हो जाती है और गांव वालों को डरा देती है। हालांकि, वह गायब हो जाती है, और रूहान अपनी जीत का दावा करता है।

लेकिन असली रहस्य तब खुलता है, जब रेस्टोरेशन टीम एक दीवार तोड़ती है और एक छुपा हुआ कमरा मिलता है, जो भैरवा कवच से बंद है। राजपुरोहित इतिहास खंगालते हैं और पता चलता है कि 200 साल पहले महाराजा की दो बेटियां थीं – अंजुलिका और मंजुलिका, जो एक-दूसरे से नफरत करती थीं। इस बीच, मंदिरा (माधुरी दीक्षित) नाम की एक खरीदार आती है, जो दुर्गाष्टमी के दिन ही महल खरीदना चाहती है। लेकिन अजीब घटनाएं होने लगती हैं। एक दूसरा खरीदार विकी खन्ना (शताफ फिगर) महल को होटल बनाने की बात करता है, जिससे मल्लिका और मंदिरा नाराज हो जाती हैं। रात में उसकी हत्या हो जाती है।

दुर्गाष्टमी से एक रात पहले, राजपुरोहित पवित्र तेल लेकर आते हैं ताकि मंजुलिका की आत्मा को नष्ट किया जा सके। मल्लिका खुद को मंजुलिका बताती है, लेकिन जब रूहान उसे जलाने की कोशिश करता है, तो मंदिरा कहती है कि वह मंजुलिका है। रूहान चतुराई से दोनों को बचाता है और सच्चाई सामने आती है – असली भूत मंजुलिका या अंजुलिका का नहीं, बल्कि देबेंद्रनाथ का है। देबेंद्रनाथ को उसकी बहनों ने मिलकर मार डाला था, क्योंकि वह नृत्य और क्रॉस-ड्रेसिंग पसंद करता था, जिसे उस समय अपमान माना गया। महाराजा ने उसे जिंदा जलवा दिया, और फिर दोनों बहनों को निर्वासित कर दिया। बाद में देबेंद्रनाथ की आत्मा ने महाराजा को मार डाला। उसकी आत्मा को भैरवा कवच के पीछे बंद कर दिया गया था, और वह मल्लिका और मंदिरा को प्रभावित कर रहा था।

भावनात्मक गहराई और डायलॉग्स

इस कहानी में कई भावनात्मक पल हैं, खासकर जब देबेंद्रनाथ की आत्मा मल्लिका और मंदिरा से माफी मांगती है। रूहान कहता है, “कभी-कभी डर हमें नहीं, हम डर को बनाते हैं।” यह डायलॉग उसकी समझ को दर्शाता है कि डर अक्सर हमारे अपने पूर्वाग्रहों से पैदा होता है। एक और दृश्य में मल्लिका कहती है, “यह गद्दी मेरी थी, मेरा हक था, लेकिन मुझे सिर्फ राख बनाया गया।” यह उसके दर्द और गुस्से को दिखाता है। मंदिरा भी कहती है, “इतिहास हमें भूल सकता है, लेकिन हमारी आत्मा कभी नहीं भूलती।” रूहान का एक हल्का-फुल्का डायलॉग, “भूतों से डरना छोड़ दो, असली भूत तो इंसान के अंदर होता है,” कहानी में हास्य और गहराई दोनों जोड़ता है। अंत में, देबेंद्रनाथ की आत्मा कहती है, “मुझे आजादी चाहिए, न कि बदला।” यह डायलॉग उसकी शांति की तलाश को दर्शाता है।

निष्कर्ष: एक अनपेक्षित अंत

अंत में, मल्लिका और मंदिरा देबेंद्रनाथ की आत्मा को जलाकर उसे शांति देती हैं। लेकिन एक आखिरी ट्विस्ट बाकी है – मंदिरा असल में ACP राठौड़ है, जो रूहान को उसकी ठगी के लिए पकड़ने आई थी। रूहान यह सुनकर बेहोश हो जाता है। यह फिल्म डर, हास्य और भावनाओं का एक अनूठा मिश्रण है, जो हमें यह सिखाती है कि अतीत के भूत हमें तब तक परेशान करते हैं, जब तक हम उन्हें माफी और समझ से मुक्त नहीं करते।

तो दोस्तों, यह थी हमारी आज की कहानी। आपको यह रिकैप कैसा लगा? हमें जरूर बताएं। मूवीज़ फिलॉसफी में फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ। तब तक, सिनेमा को जीते रहें, और अपने डर को नहीं! नमस्ते!

🎥🔥Best Dialogues and Quotes

Bhool Bhulaiyaa 3 – Best Dialogues in Hindi

  1. “भूत वो नहीं जो रात को डराए, भूत वो है जो दिल और दिमाग से खेले!”
    रूह बाबा की दार्शनिक लेकिन डरावनी स्टाइल में।

  2. “मंझुलिका वापस आ गई है… और इस बार, वो किसी के कहने से नहीं जाने वाली।”
    फिल्म का हॉरर एंगल सेट करता है।

  3. “जब तक रूह बाबा है… कोई आत्मा शांति से नहीं जाएगी!”
    कार्तिक आर्यन का सिग्नेचर स्टाइल डायलॉग।

  4. “डर और प्यार… दोनों ही दिल में घर बना लेते हैं।”
    रोमांस और हॉरर का मिश्रण।

  5. “मैं रूहों से नहीं डरता… लेकिन तुम्हारे जैसे लोगों से डर लगता है!”
    जब कॉमेडी में कटाक्ष जुड़ जाए।

  6. “ताली बजाओ, क्योंकि मंजुलिका का टाइम फिर से आ गया है।”
    विद्या बालन की वापसी को सलाम करता डायलॉग।

  7. “इस हवेली में डर भी है… और ड्रामा भी!”
    फिल्म की टोन को एक लाइन में कैप्चर करता है।


Bonus Teaser Line:

“आत्मा गई नहीं थी… वो इंतज़ार कर रही थी।”
ट्रेलर का रहस्यमयी माहौल।

🎭🔍 Behind-the-Scenes & Trivia

भूल भुलैया 3 के निर्माण के दौरान कुछ दिलचस्प पर्दे के पीछे की कहानियाँ हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान, एक विशेष दृश्य में, अभिनेता को असली महल में रात भर रहना पड़ा ताकि वे अपने किरदार के मनोविज्ञान को सही ढंग से पकड़ सकें। यह महल अपने आप में एक रहस्यमयी इतिहास रखता है, जिसे स्थानीय लोग भूतिया मानते हैं। इस अनुभव ने कलाकारों को उनके प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया, जिससे फिल्म में वो गहराई आई जो दर्शकों को सीधे उनके दिलों तक पहुँची। फिल्म में कई छोटे-छोटे ईस्टर एग्स छिपे हुए हैं जो दर्शकों की नजर से छूट सकते हैं। उदाहरण के लिए, फिल्म के एक सीन में पुराने समय की एक तस्वीर दिखाई जाती है, जिसमें भूल भुलैया फ्रेंचाइज़ी के पहले भाग के मुख्य किरदार के पूर्वजों को दिखाया गया है। इस प्रकार के छोटे विवरण फिल्म के प्रशंसकों के लिए एक विशेष तोहफा हैं, जो इस फ्रेंचाइज़ी से जुड़े रहस्यों को और अधिक गहराई से समझने की कोशिश करते हैं। भूल भुलैया 3 की कहानी के पीछे एक गहरा मनोविज्ञान छिपा हुआ है, जिसे समझना दर्शकों के लिए काफी रोचक हो सकता है। फिल्म की स्क्रिप्ट लिखते समय, लेखकों ने मानव मस्तिष्क की जटिलताओं और मानसिक स्वास्थ्य पर गहन शोध किया। इस फिल्म में दिखाए गए किरदारों की मानसिक स्थिति को दर्शाने के लिए, निर्देशक ने मनोविज्ञान के विशेषज्ञों की सलाह भी ली। इसका उद्देश्य यह था कि दर्शक न केवल मनोरंजन करें बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भी संवेदनशील बनें। फिल्म की शूटिंग के दौरान कई तकनीकी चुनौतियाँ भी सामने आईं। एक खास दृश्य में, जिसमें एक अदृश्य शक्ति का प्रदर्शन दिखाना था, टीम को विशेष प्रभावों के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने विशेष तकनीकों का उपयोग किया, जिससे दृश्य वास्तविक लगे। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, टीम ने नवाचार के नए तरीकों को अपनाया, जो भारतीय सिनेमा में तकनीकी उन्नति का प्रतीक बन गया। भूल भुलैया 3 ने अपने रिलीज के बाद भारतीय सिनेमा पर एक गहरा प्रभाव डाला है। इस फिल्म ने हॉरर और कॉमेडी के मेल को नए आयाम दिए और दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। इसने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई बल्कि आलोचकों से भी प्रशंसा प्राप्त की। इस फिल्म ने यह साबित कर दिया कि भारतीय दर्शक अब जटिल और गहराई से भरपूर कहानियों को सराहते हैं, जो उन्हें सोचने पर मजबूर करती हैं। इस फिल्म की विरासत आने वाले समय में भी कायम रहेगी, क्योंकि यह केवल एक मनोरंजक फिल्म नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक बन चुकी है। भूल भुलैया 3 ने नई पीढ़ी के फिल्म निर्माताओं को प्रेरित किया है कि वे अपनी कहानियों में नवाचार लाएं और उन्हें वैश्विक मंच पर ले जाएं। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के विकास का एक उदाहरण बन गई है, जो दिखाता है कि कैसे पारंपरिक कथाओं को आधुनिक तकनीकों और दृष्टिकोण के साथ पुनर्जीवित किया जा सकता है।

🍿⭐ Reception & Reviews

अनीस बज़्मी द्वारा निर्देशित इस हॉरर-कॉमेडी में कार्तिक आर्यन, विद्या बालन और माधुरी दीक्षित हैं। इसे अप्रत्याशित क्लाइमेक्स और परिवार-अनुकूल टोन के लिए प्रशंसा मिली, लेकिन हास्य और गति में कमज़ोरी की आलोचना हुई। बॉलीवुड हंगामा ने 4.5/5, टाइम्स ऑफ इंडिया ने 3.5/5 दिया। कुछ X पोस्ट्स में रिव्यू बॉम्बिंग का ज़िक्र, जिससे IMDb: 4.6/10 प्रभावित हुआ। Rotten Tomatoes: 71%। बॉक्स ऑफिस पर 200 करोड़ क्लब में प्रवेश।

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