Roohi: Full Movie Recap, Iconic Dialogues, Review & Hidden Facts

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Written By moviesphilosophy

निर्देशक:

फिल्म “रूही” का निर्देशन हार्दिक मेहता ने किया है। हार्दिक मेहता ने इस फिल्म में हॉरर और कॉमेडी का अद्भुत मेल प्रस्तुत किया है।

मुख्य कलाकार:

इस फिल्म में राजकुमार राव, जान्हवी कपूर और वरुण शर्मा मुख्य भूमिकाओं में हैं। राजकुमार राव और वरुण शर्मा ने अपने हास्य अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया है, जबकि जान्हवी कपूर ने अपने डुअल रोल से सबको प्रभावित किया है।

निर्माता:

“रूही” का निर्माण दिनेश विजान और मृगदीप सिंह लांबा के बैनर तले किया गया है। यह फिल्म मैडॉक फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत की गई है।

कहानी की झलक:

“रूही” की कहानी दो छोटे शहर के लड़कों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक ऐसी लड़की का अपहरण कर लेते हैं, जिस पर एक आत्मा का साया है। फिल्म में हास्य और हॉरर के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उजागर किया गया है।

रिलीज की तारीख:

“रूही” 11 मार्च 2021 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, और इसे दर्शकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।

🎙️🎬Full Movie Recap

मूवीज़ फिलॉसफी पॉडकास्ट में आपका स्वागत है!

नमस्ते दोस्तों, स्वागत है हमारे पॉडकास्ट ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ में, जहां हम भारतीय सिनेमा की गहराई में उतरते हैं और कहानियों को उनके भावनात्मक और दार्शनिक पहलुओं के साथ आपके सामने पेश करते हैं। आज हम बात करेंगे एक अनोखी और मनोरंजक फिल्म ‘रूही’ की, जो हॉरर, कॉमेडी और रोमांस का एक अनूठा मिश्रण है। इस फिल्म में राजकुमार राव, वरुण शर्मा और जाह्नवी कपूर जैसे शानदार कलाकारों ने अपने अभिनय से कहानी को जीवंत बनाया है। तो चलिए, बिना देर किए, डूबते हैं इस कहानी के रहस्यमयी और हास्य से भरे संसार में, जहां प्यार, डर और हंसी एक साथ चलते हैं।

परिचय: बागड़पुर की अनोखी परंपरा

‘रूही’ की कहानी शुरू होती है बागड़पुर गांव से, जहां शादी की एक अजीबोगरीब परंपरा है – ‘पकड़ाई शादी’। यहां लड़के को अपनी पसंद की लड़की से शादी करने के लिए उसे अगवा करना पड़ता है। पहले तो लड़के खुद यह काम करते थे, लेकिन अब यह काम कॉन्ट्रैक्ट पर दिया जाता है। भवरा पांडे (राजकुमार राव) और कट्टन्नी कुरैशी (वरुण शर्मा) इस गांव के दो रिपोर्टर हैं, जो स्थानीय अखबार ‘मुजीराबादी जलजला’ के लिए काम करते हैं। इनके साथ टिम (एलेक्स ओ’नेल) नाम का एक विदेशी पत्रकार भी है, जो इस अनोखी परंपरा पर एक रिपोर्ट तैयार करने आया है। भवरा का सपना है कि वह नोएडा जाकर अपना न्यूज़ शो शुरू करे, लेकिन फिलहाल वह और कट्टन्नी अपने बॉस गुनिया भाई (मानव विज) के लिए काम करते हैं, जो न सिर्फ अखबार चलाता है, बल्कि गांव में लड़कियों के अपहरण का धंधा भी संभालता है। गुनिया के दो गुर्गे, पंडित और रियाज़, ज्यादातर अपहरण का काम करते हैं। गांव में एक और डर है – ‘मुड़ियापैरी’ नाम की चुड़ैल का, जो शादियों पर नजर रखती है और अगर दूल्हा सो जाए, तो दुल्हन को चुरा लेती है।

कहानी की शुरुआत: रूही का अपहरण

कहानी तब मोड़ लेती है, जब भवरा और कट्टन्नी को गुनिया भाई का एक नया कॉन्ट्रैक्ट मिलता है – रूही (जाह्नवी कपूर) नाम की लड़की का अपहरण करना, जिससे एक लड़का शादी करना चाहता है। शादी का सीजन होने की वजह से पंडित और रियाज़ पहले से व्यस्त हैं, इसलिए यह काम भवरा और कट्टन्नी को सौंपा जाता है। सब कुछ ठीक चल रहा होता है, लेकिन अचानक दूल्हे के परिवार में एक मौत हो जाती है, जिसके चलते शादी टल जाती है। अब रूही को कुछ दिन तक एक सुनसान लकड़ी के कारखाने में छुपाकर रखना पड़ता है। यहीं से कहानी में असली ट्विस्ट आता है। भवरा को पता चलता है कि रूही कोई साधारण लड़की नहीं है – उसके शरीर में एक भूतनी का वास है। रूही के पिता भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि पिछले साल उसकी शादी होने वाली थी, लेकिन दूल्हा और उसका परिवार रूही की हालत देखकर भाग गए थे। रूही की ताकत और उसकी भूख देखकर भवरा और कट्टन्नी हैरान हैं। वे गुनिया भाई को इसके बारे में बताने जाते हैं, लेकिन धुंधली तस्वीर की वजह से गुनिया उनकी बात पर विश्वास नहीं करता।

प्यार और डर का अनोखा मिश्रण

जब भवरा और कट्टन्नी वापस लौटते हैं, तो रूही गायब हो चुकी होती है। भवरा उसे पास की एक लकड़ी की फैक्ट्री में छुपा हुआ पाता है। कट्टन्नी रूही को टॉयलेट ले जाता है, जहां वह भूतनी में बदल जाती है। हैरानी की बात यह कि कट्टन्नी को इस भूतनी से डर नहीं लगता, बल्कि वह उसकी ओर आकर्षित हो जाता है। दूसरी ओर, भवरा रूही से प्यार करने लगता है और उसकी आत्मा को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करता है। वह कई तांत्रिकों और पुजारियों से मिलता है, लेकिन ज्यादातर नकली निकलते हैं। कट्टन्नी को पता चलता है कि यह भूतनी ‘अफजा’ नाम की मुड़ियापैरी है, जो रूही के शरीर से तभी निकलेगी, जब उसकी शादी हो जाएगी। लेकिन शादी के बाद अफजा रूही के शरीर पर पूरी तरह कब्जा कर लेगी। अब भवरा और कट्टन्नी के सामने एक मुश्किल सवाल है – उनमें से कौन अपने प्यार की कुर्बानी देगा? भवरा रूही को बचाना चाहता है, तो कट्टन्नी अफजा के साथ रहना चाहता है। इस बीच, भवरा एक डायलॉग बोलता है, जो उसके दिल की गहराई को दर्शाता है – “प्यार तो वो है जो कुर्बान हो जाए, मगर सामने वाले को तकलीफ न पहुंचे।”

चरमोत्कर्ष: शादी का ड्रामा

गुनिया भाई को पुलिस जांच का डर सताने लगता है, और वह भवरा-कट्टन्नी को रूही को छोड़ देने का आदेश देता है। लेकिन वे मना कर देते हैं। गुनिया अपने गुर्गों को भेजता है, लेकिन अफजा की ताकत के सामने वे टिक नहीं पाते। एक गुर्गा मारा जाता है, दूसरा बुरी तरह घायल हो जाता है। गुनिया को गुस्सा आता है, और वह रूही को ढूंढने के लिए निकल पड़ता है। उधर, भवरा और कट्टन्नी रूही को लेकर चिम्मट्टीपुर पहुंचते हैं, जो कुत्तों के लिए पवित्र जगह मानी जाती है। वहां भवरा को एक बूढ़ी औरत (सरिता जोशी) से पता चलता है कि मुड़ियापैरी को ठगने का एक ही तरीका है – उसकी शादी किसी ऐसे शख्स से करा दो, जो पहले से शादीशुदा हो। इससे वह उपपत्नी बन जाएगी और शरीर छोड़ देगी। लेकिन खतरा यह है कि अगर मुड़ियापैरी को धोखे का पता चला, तो वह गुस्से में पति-पत्नी दोनों को मार सकती है। बूढ़ी औरत खुद मुड़ियापैरी से पीड़ित थी, और उसने अपने पति को खो दिया था। भवरा इस जोखिम को लेने को तैयार है और एक कुत्ते से शादी कर लेता है, ताकि अफजा को ठगा जा सके। इस दौरान वह कहता है, “जोखिम तो जिंदगी का हिस्सा है, मगर प्यार के लिए सब कुछ हार जाना भी मंजूर है।”

लेकिन चिम्मट्टीपुर के लोग रूही को गांव में देखकर गुस्सा हो जाते हैं, क्योंकि वहां मुड़ियापैरी पर बैन है। गांव के पुजारी भूतों को निकालने में माहिर हैं, लेकिन मुड़ियापैरी पर उनका जोर नहीं चलता। अफजा के हमले के बाद भवरा उन्हें अपनी योजना बताता है। उधर, गुनिया भाई भी वहां पहुंच जाता है और अफजा की शादी उसी लड़के से कराने का फैसला करता है, जिसने रूही के अपहरण का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। लेकिन कट्टन्नी, जो भवरा के दूल्हे वाले कपड़े पहनकर आता है, अफजा को अपने साथ शादी के लिए मना लेता है। तभी बूढ़ी औरत आती है और अफजा को कुत्ते की शादी का वीडियो दिखाकर ठगने की कोशिश करती है। अफजा गुस्से में भवरा से शादी करने की मांग करती है, लेकिन रूही उसे रोक लेती है। अंत में, रूही और अफजा एक-दूसरे को स्वीकार कर लेते हैं। रूही कहती है, “अब मैं और अफजा एक हैं, हमें कोई अलग नहीं कर सकता।” दोनों साथ में चले जाते हैं, भवरा और कट्टन्नी को पीछे छोड़कर।

निष्कर्ष: प्यार और स्वीकार्यता की जीत

‘रूही’ एक ऐसी कहानी है, जो हॉरर और कॉमेडी के साथ-साथ प्यार और स्वीकार्यता की बात करती है। यह फिल्म हमें सिखाती है कि असली प्यार वह है, जो बिना शर्तों के हो, चाहे वह इंसान के लिए हो या भूतनी के लिए। भवरा का किरदार हमें दिखाता है कि सच्चा प्यार कुर्बानी मांगता है, जैसा कि वह कहता है, “दिल तोड़ना आसान है, मगर जोड़ना मुश्किल।” वहीं, रूही और अफजा का मिलन हमें बताता है कि खुद को स्वीकार करना ही सबसे बड़ी जीत है। अंत में, जब पुलिस रूही के पिता के साथ आती है, तो बूढ़ी औरत गायब हो जाती है, जिससे संकेत मिलता है कि शायद वह अफजा की मदद कर रही थी।

तो दोस्तों, ‘रूही’ एक ऐसी फिल्म है, जो हंसाती भी है, डराती भी है, और सोचने पर मजबूर भी करती है। अगर आपने इसे नहीं देखा, तो जरूर देखें। हमसे जुड़े रहें ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ में, जहां हर कहानी एक नया सबक सिखाती है। नमस्ते!

🎥🔥Best Dialogues and Quotes

कभी-कभी ग़लत ट्रेन भी सही जगह पहुँचा देती है।

भूतनी के प्यार में पड़ने का कोई भविष्य नहीं होता।

क्योंकि ये इश्क़ नहीं आसान, बस इतना समझ लीजिए, एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।

प्यार में तो सब कुछ जायज है, यहां तक की भूत भी।

कभी-कभी डर के आगे प्यार होता है।

दिल जब टूटता है, तो आवाज़ नहीं करता।

रोमांस के लिए कोई भी टाइम सही होता है।

दिल की बात दिल में ना रखो, वरना भूत बन जाओगे।

भूत से डर नहीं लगता, प्यार से लगता है।

जब लड़की हां कहे तो वो हां होती है, जब ना कहे तो वो भी हां होती है।

🎭🔍 Behind-the-Scenes & Trivia

फिल्म ‘रूही’ के निर्माण में कई दिलचस्प और कम ज्ञात तथ्य छिपे हुए हैं, जो इसे और भी रोचक बनाते हैं। इस फिल्म का निर्देशन हार्दिक मेहता ने किया है, और यह उनकी निर्देशन क्षमता का एक बेहतरीन उदाहरण है। खास बात यह है कि ‘रूही’ की शूटिंग मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों में की गई, जो फिल्म में प्रामाणिकता का एक नया आयाम जोड़ता है। सेट पर माहौल को जीवंत बनाए रखने के लिए, निर्माता दिनेश विजन ने स्थानीय कलाकारों और तकनीशियनों को भी टीम में शामिल किया, जिससे फिल्म में एक स्थानीय स्पर्श जुड़ गया।

फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जिन्हें देखकर दर्शक हंसने पर मजबूर हो जाते हैं, लेकिन इसके पीछे की मेहनत कई बार छुपी रह जाती है। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि जान्हवी कपूर ने ‘रूही’ में अपने किरदार के लिए विशेष रूप से एक डरावनी आवाज सीखने के लिए एक वॉयस कोच के साथ प्रशिक्षण लिया। यह उनके किरदार में असली डर और रहस्य का भाव पैदा करने के लिए किया गया, जो दर्शकों को बांधे रखता है। इसी प्रकार, राजकुमार राव और वरुण शर्मा ने अपने संवादों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई बार स्क्रिप्ट में अपने सुझाव दिए, जो फिल्म के हास्य तत्व को बढ़ाते हैं।

फिल्म में कई ईस्टर एग्स भी शामिल हैं, जो दर्शकों को ध्यान से देखने पर ही मिलते हैं। उदाहरण के लिए, फिल्म के कई दृश्यों में ‘स्त्री’ के कुछ संदर्भ छुपे हुए हैं, जो एक तरह का कनेक्शन बनाते हैं। यह फिल्म ‘स्त्री’ की ही एक प्रकार की स्पिन-ऑफ मानी जाती है, और निर्माता इस कड़ी को दर्शकों के लिए रोमांचक बनाने में सफल रहे हैं। इसके अलावा, फिल्म के कई दृश्य जानबूझकर इस तरह से फिल्माए गए हैं कि दर्शकों को एक हॉरर-कॉमेडी का मिश्रण महसूस हो, जिससे वे न केवल डरते हैं बल्कि हंसते भी हैं।

फिल्म के मनोविज्ञान की बात करें तो ‘रूही’ में स्त्री सशक्तिकरण और आत्म-स्वीकृति के गहरे विषय छुपे हुए हैं। जान्हवी के किरदार में दोहरी पहचान का संघर्ष दर्शाया गया है, जो एक लड़की और एक भूत के बीच फंसी होती है। यह द्वंद्व दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि भीतर की लड़ाईयां कैसे हमारी बाहरी दुनिया पर प्रभाव डालती हैं। फिल्म में यह संदेश छुपा हुआ है कि सच्ची मुक्ति आत्म-स्वीकृति में है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है।

‘रूही’ ने भले ही बॉक्स ऑफिस पर एक औसत प्रदर्शन किया हो, लेकिन इसकी विरासत महत्वपूर्ण है। यह फिल्म हिंदी सिनेमा में हॉरर-कॉमेडी शैली को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई है। ‘रूही’ की रिलीज के बाद, इस शैली में अन्य प्रोडक्शंस का निर्माण हुआ, जो इस बात का प्रमाण है कि इसने फिल्म निर्माताओं को नए प्रयोगों के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, यह फिल्म उन कलाकारों के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हुई जो अपनी कॉमेडी टाइमिंग और अभिनय कौशल के लिए जाने जाते हैं।

अंत में, ‘रूही’ ने दर्शकों के बीच एक नई तरह की चर्चा शुरू की, जहाँ हॉरर और कॉमेडी का एक अनोखा संगम देखने को मिला। इस फिल्म ने यह साबित किया कि डरावनी कहानियाँ भी हास्य के साथ प्रस्तुत की जा सकती हैं, और दर्शकों ने इस प्रयोगात्मक शैली को सराहा। ‘रूही’ की सफलता ने यह भी दिखाया कि भारतीय दर्शक नई और अनोखी कहानियों के लिए खुले हैं जो उन्हें हंसाती हैं और डराती भी हैं। इस प्रकार, ‘रूही’ ने भारतीय सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

🍿⭐ Reception & Reviews

हार्दिक मेहता द्वारा निर्देशित, यह हॉरर-कॉमेडी राजकुमार राव, जान्हवी कपूर, और वरुण शर्मा के साथ एक चुड़ैल की कहानी है। फिल्म को इसके हास्य, राजकुमार के अभिनय, और जान्हवी के डबल रोल के लिए कुछ प्रशंसा मिली, लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट और असंगत टोन की आलोचना हुई। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे 2.5/5 रेटिंग दी, इसे “मनोरंजक लेकिन भुलक्कड़” कहा। रेडिफ ने इसे “स्त्री की कमजोर कॉपी” माना। दर्शकों ने इसके कॉमिक सीन्स को पसंद किया, लेकिन कुल मिलाकर निराशा हुई। यह ओटीटी पर रिलीज हुई और औसत रही। Rotten Tomatoes: 50%, IMDb: 4.3/10, Times of India: 2.5/5, Bollywood Hungama: 2.5/5।

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