मिथुन चक्रवर्ती: संघर्ष की कहानी से सुपरस्टार बनने तक | Mithun Chakraborty: Sangharsh Ki Kahani Se Superstar Banne Tak
मिथुन चक्रवर्ती: रंग के तानों से डिस्को डांसर तक, एक सच्ची रैग्स-टू-रिचेस कहानी!
बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में हर सितारा अपनी एक अलग कहानी लेकर आता है, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो दिल को छू लेती हैं और प्रेरणा देती हैं। आज हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के “डिस्को डांसर” मिथुन चक्रवर्ती की, जिन्होंने न सिर्फ़ अपने डांस मूव्स से लोगों को दीवाना बनाया, बल्कि अपनी ज़िंदगी की कठिनाइयों से लड़कर एक मिसाल कायम की। 350 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम करने वाले मिथुन दा की कहानी किसी फ़िल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। भूखे पेट सोने से लेकर फुटपाथ पर रातें गुज़ारने तक, रंग के तानों को झेलने से लेकर नेशनल अवॉर्ड जीतने तक, और फिर जीनेत अमान के सपोर्ट से सुपरस्टार बनने तक—मिथुन की ज़िंदगी एक रोलरकोस्टर रही है। तो चलिए, उनके इस सफ़र में डूबते हैं और कुछ चटपटे किस्से भी सुनते हैं।
**बचपन से नक्सल आंदोलन तक: मिथुन का शुरुआती सफ़र
16 जुलाई 1950 को बंगाल के एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे मिथुन का असली नाम गौरांग चक्रवर्ती था। कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में पढ़ाई के दौरान 1960 के दशक में वो नक्सल आंदोलन की ओर आकर्षित हुए। उस वक़्त का सियासी माहौल ऐसा था कि कई नौजवान इस आंदोलन से जुड़ गए थे। मिथुन ने भी इसमें हिस्सा लिया, लेकिन उनके भाई की एक दुर्घटना में मौत के बाद उन्होंने इस रास्ते को छोड़ दिया। फिर भी, नक्सल आंदोलन से जुड़ने का ठप्पा उनके साथ लंबे वक़्त तक रहा।
मिथुन ने एक बार पत्रकार अली पीटर जॉन को दिए इंटरव्यू में कहा था, “इंडस्ट्री में और बाहर भी लोग मेरे नक्सल आंदोलन से जुड़ाव के बारे में जानते थे। मैंने अपने परिवार में एक त्रासदी के बाद इसे छोड़ दिया था, लेकिन नक्सली का लेबल मेरे साथ हर जगह गया, चाहे वो पुणे का FTII हो या फिर बॉम्बे।”
**FTII के दिन और शक्ति कपूर की रैगिंग
नक्सल आंदोलन से दूर होने के बाद मिथुन ने भारत के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म स्कूल, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में दाखिला लिया। यहाँ उनकी मुलाक़ात शक्ति कपूर से हुई, जो उनके जूनियर थे। शक्ति ने एक पॉडकास्ट में खुलासा किया कि मिथुन ने उनकी रैगिंग की थी, वो भी इतनी बुरी तरह कि वो रो पड़े।
शक्ति ने बताया, “मिथुन कॉलेज में हीरो की तरह आए थे। उन्होंने कहा, ‘इसके बाल काट दो!’ बस, कैंची ले आए और मेरे बाल काट दिए। मैं बन्दर जैसा दिखने लगा। मैं रोने लगा, उनके पैर छुए। फिर मुझे स्विमिंग पूल में 40 लैप्स करने को कहा गया। मैं फिर रोया, तब जाकर मुझे ब्रेक मिला।” ये सुनकर तो लगता है कि मिथुन दा उस वक़्त से ही “डॉन” थे।
**फुटपाथ से नेशनल अवॉर्ड तक: एक संघर्ष की कहानी
मिथुन ने बॉलीवुड में डेब्यू किया मृणाल सेन की फिल्म ‘मृगया’ से, जिसके लिए उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला। लेकिन इस सफलता से पहले उनका संघर्ष किसी को भी रुला दे। भूखे पेट सोना, फुटपाथ पर रातें गुज़ारना—मिथुन ने सब देखा।
‘सारेगामापा लिल चैंप्स’ में उन्होंने अपने संघर्ष के बारे में बताया, “मैंने वो दिन देखे हैं जब मुझे भूखा सोना पड़ता था। मैं रोते-रोते सो जाता था। कई बार सोचना पड़ता था कि अगला खाना कहाँ से आएगा, सोऊँगा कहाँ। मैंने कई रातें फुटपाथ पर गुज़ारी हैं।”
लेकिन मिथुन अपनी कहानी को बायोपिक के रूप में नहीं दिखाना चाहते। उनका कहना है, “मेरी कहानी किसी को प्रेरित नहीं करेगी, बल्कि तोड़ देगी। मैं नहीं चाहता कि लोग मेरे संघर्ष को देखकर अपने सपनों से डर जाएँ। अगर मैं कर सकता हूँ, तो कोई भी कर सकता है।”
**रंग के ताने और डांस से जीत
नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद भी मिथुन को अपने रंग की वजह से ताने सुनने पड़े। उन्होंने एक बार कहा, “मुझे मेरे रंग के लिए हमेशा ताने मारे गए। कई सालों तक मेरी त्वचा के रंग की वजह से मुझे अपमान झेलना पड़ा।” यहाँ तक कि कई बड़े स्टार्स ने उनके साथ काम करने से मना कर दिया, क्योंकि वो उन्हें “स्वीकार्य हीरो” नहीं मानते थे।
मिथुन ने रेडियो नशा को दिए इंटरव्यू में बताया, “मैंने सोचा कि अगर मैं अपने पैरों से डांस करूँगा, तो लोग मेरा रंग नहीं देखेंगे। और ऐसा ही हुआ। मेरे डांस ने लोगों को मेरा रंग भुला दिया। मेरे रंग का हीरो किसी ने नहीं सोचा था। मैं बहुत बुरा महसूस करता था, रोता था।”
यहाँ से मिथुन ने अपने डांस को हथियार बनाया और ‘डिस्को डांसर’ बन गए। उनके डांस मूव्स ने उन्हें आम आदमी का हीरो बना दिया। वो कहते हैं, “मेरी वजह से लोगों की उम्मीदें बढ़ीं। उन्होंने सोचा कि अगर मैं चॉल या गाँव से हूँ, तब भी मेरा बेटा एक्टर बन सकता है। मैं आम आदमी का सुपरस्टार बना, ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी।”
**जीनेत अमान बनीं मसीहा
जब मिथुन को बड़े स्टार्स ने रिजेक्ट कर दिया, तब जीनेत अमान ने उनका साथ दिया। उस वक़्त की नंबर वन हीरोइन जीनेत ने बृज सदानाह की फिल्म ‘तक़दीर’ में मिथुन के साथ काम करने के लिए हामी भरी। इस फिल्म ने मिथुन को A-लिस्ट एक्टर की श्रेणी में ला खड़ा किया।
मिथुन ने ‘सारेगामापा’ में कहा, “जीनेत जी ने उस जिंक्स को तोड़ा। उनके बाद हर एक्ट्रेस ने मेरे साथ काम करना शुरू कर दिया। ‘तक़दीर’ के रिलीज़ होने के बाद मैं A-कैटेगरी का एक्टर बन गया।”
**डिस्को डांसर से दादासाहेब फाल्के तक
‘मृगया’ के बाद मिथुन को 1979 की फिल्म ‘सुरक्षा’ से एक और ब्रेकथ्रू मिला, जिसने उनकी सुपरस्टारडम की नींव रखी। इसके बाद ‘डिस्को डांसर’, ‘डांस डांस’, ‘प्यार झुकता नहीं’, और ‘कसम पैदा करने वाले की’ जैसी फिल्मों ने उन्हें 80 के दशक का सुपरस्टार बना दिया। उन्होंने दो और नेशनल अवॉर्ड जीते—’तहादेर कथा’ (1992) और ‘स्वामी विवेकानंद’ (1998) के लिए। हाल ही में 2024 में 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में उन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाज़ा गया।
**चटपटे डायलॉग्स और फिल्मी संदर्भ
1. मिथुन दा के डांस को देखकर तो लगता है, “जिमी जिमी जिमी, आजा आजा आजा!”—’डिस्को डांसर’ का ये गाना आज भी हमें थिरकने पर मजबूर कर देता है।
2. उनके संघर्ष को देखकर लगता है, “ज़िंदगी एक जुआ है, लेकिन मैं हार मानने वालों में से नहीं हूँ!”—ये मिथुन की ज़िंदगी का मंत्र सा लगता है।
3. रंग के तानों पर मिथुन का जवाब तो ऐसा था, “रंग काला सही, लेकिन दिल सोने का है बाबू!”—उनके डांस ने सबको जवाब दे दिया।
4. जीनेत अमान के सपोर्ट पर मिथुन कह सकते हैं, “तुमने मुझे तक़दीर दी, अब मैं स्टार बन गया!”—सच में, जीनेत जी ने उनका हाथ थामा।
5. मिथुन के फैंस तो आज भी कहते हैं, “डिस्को डांसर एक बार डांस कर दे, तो सारी दुनिया थिरकने लगे!”
**दर्शकों का प्यार और ट्रेंड्स
मिथुन चक्रवर्ती की कहानी आज भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करती है। उनके डांस मूव्स को नए जमाने के डांसर्स कॉपी करते हैं। उनके फैंस उनकी सादगी और संघर्ष की कहानियों को शेयर करते रहते हैं। ट्विटर पर एक फैन ने लिखा, “मिथुन दा ने साबित किया कि टैलेंट का कोई रंग नहीं होता। वो हमारे हीरो हैं।”
आज के दौर में जहाँ फ़िल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़म की बातें होती हैं, मिथुन जैसे सेल्फ-मेड स्टार्स की कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि ताने सुनो, लेकिन हार मत मानो।
तो दोस्तों, मिथुन चक्रवर्ती की ये कहानी हमें ये बताती है कि ज़िंदगी में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, डांस करते रहो, लड़ते रहो, और जीतते रहो। मिथुन दा, आप सच में एक लेजेंड हैं! आप क्या सोचते हैं? हमें कमेंट में ज़रूर बताएँ।