Airlift: Full Movie Recap, Iconic Dialogues, Review & Hidden Facts

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Written By moviesphilosophy

Director:

राजा कृष्ण मेनन

Lead Cast:

अक्षय कुमार, निम्रत कौर

Supporting Cast:

पुरब कोहली, कुमुद मिश्रा, इनामुलहक

Music Composer:

Amaal Mallik, Ankit Tiwari

Release Date:

22 जनवरी 2016

Production Companies:

T-Series, Cape of Good Films, Abundantia Entertainment

Language:

हिंदी

Genre:

थ्रिलर, ड्रामा

Plot Summary:

फिल्म “Airlift” 1990 में हुए खाड़ी युद्ध के दौरान कुवैत में फंसे भारतीयों की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। अक्षय कुमार ने रंजीत कत्याल का किरदार निभाया है, जो कुवैत में बसे भारतीय मूल के बिजनेसमैन हैं। फिल्म में उनके द्वारा किए गए विशाल बचाव अभियान पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें 170,000 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित भारत लाया गया।

🎙️🎬Full Movie Recap

मूवीज़ फिलॉसफी पॉडकास्ट में आपका स्वागत है!

नमस्ते दोस्तों, स्वागत है आप सभी का हमारे पॉडकास्ट ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ में, जहां हम भारतीय सिनेमा की गहराइयों में उतरते हैं और कहानियों को उनके भावनात्मक और दार्शनिक पहलुओं के साथ आपके सामने पेश करते हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी फिल्म की, जो न केवल एक सच्ची घटना पर आधारित है, बल्कि यह भी दिखाती है कि मुश्किल वक्त में इंसानियत और हिम्मत किस तरह से एक आम इंसान को नायक बना सकती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म **’एयरलिफ्ट’ (2016)** की। यह फिल्म 1990 के कुवैत संकट की पृष्ठभूमि पर बनी है, जब इराक ने कुवैत पर हमला किया था और हजारों भारतीय वहां फंस गए थे। तो चलिए, इस फिल्म की कहानी को विस्तार से समझते हैं, इसके किरदारों की गहराई को महसूस करते हैं और उन डायलॉग्स को याद करते हैं, जो हमारे दिलों को छू गए।

परिचय: एक संकट की शुरुआत

फिल्म की शुरुआत होती है अगस्त 1990 में कुवैत से, जहां रंजीत कटियाल (अक्षय कुमार) एक सफल भारतीय व्यवसायी हैं। रंजीत एक कड़क और महत्वाकांक्षी बिजनेसमैन हैं, जो मुनाफे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। वे खुद को कुवैती कहते हैं और भारतीयों के प्रति उनका रवैया ताने मारने वाला है। उनकी जिंदगी में सबकुछ सही चल रहा है—एक शानदार घर, प्यारी पत्नी अमृता (निमरत कौर) और छोटी सी बेटी सिमू (अबीदा हुसैन)। लेकिन एक रात सबकुछ बदल जाता है, जब उन्हें खबर मिलती है कि इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया है। रंजीत को लगता है कि यह एक छोटा-मोटा सीमा विवाद है, और वह अमृता और सिमू को कुछ दिनों के लिए लंदन भेजने का फैसला करते हैं। लेकिन जल्द ही हालात बेकाबू हो जाते हैं।

इराकी सैनिक कुवैत में घुस आते हैं, शहर को लूटते हैं और बेकसूर लोगों को मारना शुरू कर देते हैं। रंजीत अपने ड्राइवर नायर के साथ भारतीय दूतावास पहुंचने की कोशिश करते हैं, लेकिन रास्ते में इराकी सैनिक उन्हें रोक लेते हैं। नायर की हत्या कर दी जाती है, और रंजीत किसी तरह दूतावास पहुंचते हैं। वहां उन्हें पता चलता है कि कुवैत सरकार भाग चुकी है, और 1,70,000 भारतीय अब शरणार्थी बन गए हैं। इस संकट की घड़ी में रंजीत का असली इम्तिहान शुरू होता है।

कहानी: स्वार्थ से इंसानियत की ओर

रंजीत को इराकी मेजर खलाफ (इनामुलहक) के पास ले जाया जाता है, जो उन्हें पहचानता है और दोस्ती का हाथ बढ़ाता है। लेकिन यह दोस्ती कारोबारी फायदे की है। मेजर कहता है, “रंजीत, दोस्ती निभाओ, और हम तुम्हें सबकुछ देंगे।” रंजीत घर लौटते हैं, लेकिन उनका घर लूट लिया गया है। सौभाग्य से उनकी पत्नी और बेटी उनके ऑफिस में सुरक्षित हैं। रंजीत अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक स्कूल में अस्थायी कैंप बनाते हैं, जहां करीब 500 भारतीय ठहरते हैं। अमृता रंजीत से कहती हैं, “अपनी जान की परवाह करो, हमें यहां से निकालो,” लेकिन रंजीत, जो पहले सिर्फ अपने परिवार के बारे में सोचते थे, अब एक नया रास्ता चुनते हैं। वे कहते हैं, “अगर मैं सिर्फ अपने लिए जीया, तो क्या फायदा? अब सबको साथ ले जाना है।”

रंजीत का यह बदलाव फिल्म का सबसे भावनात्मक पहलू है। वे भारतीय दूतावास की मदद लेने की कोशिश करते हैं, लेकिन वहां भी कोई समाधान नहीं मिलता। कैंप पर इराकी सैनिकों का हमला होता है, और मेजर खलाफ कहता है कि उसके सैनिकों को खाना चाहिए, वरना वे फिर आएंगे। रंजीत बगदाद जाते हैं, जहां भारतीय दूतावास भी मदद नहीं कर पाता। लेकिन इराकी विदेश मंत्री अजीज, जो रंजीत का दोस्त है, उनकी मदद करता है। वह बताता है कि एक भारतीय जहाज इराक आने वाला है, और वह चुपचाप 500 भारतीयों को उस जहाज से निकालने की इजाजत दे देता है। लेकिन जैसे ही बसें तैयार होती हैं, खबर आती है कि संयुक्त राष्ट्र ने इराक पर नाकाबंदी लगा दी है, और कोई जहाज वहां नहीं आ सकता। इस बीच कैंप में रंजीत के खिलाफ गुस्सा भड़कता है, लेकिन अमृता उनकी हिम्मत बनती है। वह कहती है, “रंजीत, तुम अकेले नहीं हो, हम सब तुम्हारे साथ हैं।”

चरमोत्कर्ष: हिम्मत और एकता की जीत

दूसरी ओर, भारत में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव कोहली (कुमुद मिश्रा) को रंजीत बार-बार फोन करते हैं। कोहली पहले टालमटोल करते हैं, लेकिन जब उनके पिता उन्हें भारत-पाकिस्तान बंटवारे की अपनी दर्दनाक कहानी सुनाते हैं, तो कोहली का दिल बदल जाता है। वे मंत्री से बात करते हैं और 1,70,000 भारतीयों की निकासी के लिए एक बड़ा ऑपरेशन शुरू करते हैं। कोहली कहते हैं, “सर, ये हमारे लोग हैं, इन्हें छोड़ नहीं सकते।” एयर इंडिया इस मिशन में शामिल होती है, और पायलट, जो पहले युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरने से मना कर रहे थे, अब अपने भाइयों को बचाने के लिए तैयार हो जाते हैं।

कुवैत में रंजीत मेजर खलाफ को धमकाते हैं और किसी तरह सभी को निकालने की इजाजत ले लेते हैं। लेकिन रास्ते में एक सीमा चौकी पर इराकी सैनिक उन्हें रोक लेते हैं और अमृता को धमकी देते हैं। रंजीत उनसे भिड़ जाते हैं, और तभी भारतीय समूह उनके पीछे आ जाता है। सैनिक हथियार डाल देते हैं और उन्हें जाने देते हैं। सभी जॉर्डन पहुंचते हैं, जहां अम्मान दूतावास को आखिरी वक्त में इजाजत मिलती है। एयर इंडिया के विमान तैयार हैं, और भारतीय तिरंगा जॉर्डन हवाई अड्डे पर लहराता है। भारतीय रंजीत को सलाम करते हैं, और वे विमानों में सवार होकर घर लौटते हैं। रंजीत की आंखों में आंसू हैं, और वे कहते हैं, “आज पता चला कि असली घर तो वतन ही होता है।”

थीम्स और भावनात्मक गहराई

‘एयरलिफ्ट’ सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि यह एकता, हिम्मत और इंसानियत की कहानी है। रंजीत का किरदार हमें सिखाता है कि स्वार्थ से ऊपर उठकर जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं, तभी असली जीत हासिल होती है। फिल्म में भारत सरकार और एयर इंडिया की भूमिका भी हमें गर्व से भर देती है, क्योंकि यह दिखाती है कि मुश्किल वक्त में हमारा देश अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ता। रंजीत और अमृता का रिश्ता भी फिल्म का एक मजबूत पहलू है, जो हमें दिखाता है कि परिवार की ताकत हमें किसी भी संकट से लड़ने की हिम्मत देती है।

निष्कर्ष: एक प्रेरणादायक कहानी

‘एयरलिफ्ट’ एक ऐसी फिल्म है, जो हमें इतिहास के एक काले अध्याय की याद दिलाती है, लेकिन साथ ही यह भी सिखाती है कि हिम्मत और एकता से कोई भी मुश्किल हल की जा सकती है। रंजीत कटियाल का किरदार हमें प्रेरित करता है कि हम अपने अंदर के नायक को कैसे जगा सकते हैं। फिल्म का अंत हमें गर्व से भर देता है, जब भारतीय तिरंगा लहराता है और हमारे लोग सुरक्षित घर लौटते हैं।

तो दोस्तों, यह थी ‘एयरलिफ्ट’ की कहानी। अगर आपने यह फिल्म देखी है, तो हमें बताएं कि आपको सबसे ज्यादा कौन सा सीन पसंद आया। और अगर नहीं देखी, तो इसे जरूर देखें। अगले एपिसोड तक के लिए अलविदा, और अपने आसपास की कहानियों से प्रेरणा लेते रहें। धन्यवाद, और फिर मिलेंगे ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ में! जय हिंद!

🎥🔥Best Dialogues and Quotes

जो लोग कभी झुकते नहीं, ज़िंदगी उन्हें झुका देती है।

जिस दिन हम अपनी ताकत पर विश्वास करने लगते हैं, उस दिन हम जीत जाते हैं।

वक्त बदलने में वक्त नहीं लगता।

कभी-कभी हमें वो करना पड़ता है जो सही है, न कि जो आसान है।

जब तक हम एक साथ हैं, कुछ भी नामुमकिन नहीं है।

कभी-कभी हालात से लड़ने के लिए हिम्मत नहीं, बल्कि धैर्य चाहिए।

हमारी ताकत हमारी एकता में है।

ज़िंदगी में असली जीत वही है, जो अपने डर पर विजय पाता है।

हर मुश्किल के पीछे एक नया अवसर छिपा होता है।

इंसान की असली पहचान उसके हालात में छुपी होती है।

🎭🔍 Behind-the-Scenes & Trivia

फिल्म “एirlift” ने दर्शकों को एक ऐसी कहानी से अवगत कराया जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी, लेकिन इसके बारे में काफी लोग अनजान थे। यह फिल्म 1990 में कुवैत में बसे भारतीय नागरिकों के सबसे बड़े निकासी अभियान पर आधारित है। इस घटना को लेकर फिल्म में दिखाई गई कई घटनाएं और पात्र वास्तविक जीवन से प्रेरित थे, लेकिन निर्देशक राजा कृष्णा मेनन ने इसे और भी रोमांचक और भावनात्मक बनाने के लिए कुछ रचनात्मक स्वतंत्रता ली। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण चरण था जब भारतीय एयरलाइंस ने करीब 1,70,000 भारतीयों को सुरक्षित निकाला, जो एक विश्व रिकॉर्ड भी है।

फिल्म के निर्माण के दौरान, अक्षय कुमार ने अपने किरदार के लिए विशेष तैयारी की। उन्होंने वास्तविक जीवन के नायक, मैथ्यूज के बारे में गहराई से अध्ययन किया, जिनकी कहानी ने फिल्म की नींव रखी। फिल्म की शूटिंग के दौरान, फिल्म निर्माताओं ने कुवैत और जॉर्डन में वास्तविक स्थानों का उपयोग किया, जिससे फिल्म की प्रामाणिकता और भी बढ़ गई। साथ ही, अक्षय कुमार और निम्रत कौर की केमिस्ट्री को बढ़ाने के लिए, दोनों ने शूटिंग से पहले काफी समय साथ बिताया और अपने किरदारों की गहराई को समझने की कोशिश की।

फिल्म में कई ऐसे ईस्टर एग्स भी हैं जो दर्शकों के लिए मनोरंजक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, फिल्म के एक दृश्य में, अक्षय कुमार का किरदार रंजीत कत्याल अपने कार्यालय में एक पेंटिंग देखता है, जो वास्तव में एक प्रसिद्ध भारतीय कलाकार की पेंटिंग है। यह पेंटिंग भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है। इसके अलावा, फिल्म में इस्तेमाल किए गए 90 के दशक के गानों ने उस समय की भावना को जीवंत बना दिया, जिससे दर्शकों को उस युग की यादें ताजा हो गईं।

“एirlift” के पीछे की मनोविज्ञान भी गहराई से देखने लायक है। फिल्म दर्शाती है कि किस तरह विपरीत परिस्थितियों में एक व्यक्ति के भीतर की मानवता और संघर्ष की भावना जागृत होती है। रंजीत कत्याल का किरदार बताता है कि किस प्रकार एक स्वार्थी व्यक्ति भी अपनी जड़ों और मूल्यों के प्रति वफादार हो सकता है जब बात दूसरों की सुरक्षा की हो। यह फिल्म इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति की दृढ़ संकल्प और नेतृत्व क्षमता कितनी बड़ी संख्या में लोगों की जिंदगी बचा सकती है।

फिल्म की रिलीज के बाद, “एirlift” ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की, बल्कि दर्शकों और आलोचकों से भी सराहना प्राप्त की। इसने भारतीय सिनेमा में एक नई लहर पैदा की, जहां वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित फिल्में बनाने का चलन बढ़ा। इस फिल्म ने देशभक्ति के नए आयाम को प्रस्तुत किया, जो किसी विशेष दिन या घटना तक सीमित नहीं था, बल्कि एक सतत भावना के रूप में उभरा।

“एirlift” की विरासत यह है कि उसने न केवल भारतीय सिनेमा में एक नए जॉनर का परिचय दिया, बल्कि इसने भारतीय एयरलाइंस और सरकार के योगदान को भी सराहा। इस घटना को बड़े पर्दे पर लाने का साहस किया गया, जिससे आने वाली पीढ़ियों को भारतीयों की अदम्य भावना और साहस की कहानी मिल सके। यह फिल्म न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह एक प्रेरणा स्रोत भी है जो दर्शकों को मानवीय मूल्यों और साहस की याद दिलाती है।

🍿⭐ Reception & Reviews

राजा कृष्ण मेनन द्वारा निर्देशित, यह युद्ध ड्रामा अक्षय कुमार को 1990 के कुवैत संकट में भारतीयों को निकालने वाले रणजीत कात्याल के रूप में दिखाता है। फिल्म को इसके तीव्र कथानक, अक्षय के संयमित अभिनय, और ऐतिहासिक चित्रण के लिए सराहा गया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे 4/5 रेटिंग दी, इसे “रोमांचक और प्रेरणादायक” कहा। रेडिफ ने अक्षय और निमरत कौर की तारीफ की। कुछ आलोचकों ने तथ्यात्मक अशुद्धियों की शिकायत की, लेकिन दर्शकों ने इसके देशभक्ति और सस्पेंस को पसंद किया। यह बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट थी। X पोस्ट्स में इसे अक्षय की सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस में गिना गया। Rotten Tomatoes: 75%, IMDb: 7.9/10, Times of India: 4/5, Bollywood Hungama: 4/5।

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