Angoor (1982) – Full Movie Recap, Iconic Quotes & Hidden Facts

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Written By moviesphilosophy

अंगूर (1982) – विस्तृत मूवी रीकैप

निर्देशक: गुलज़ार
लेखक: गुलज़ार (विलियम शेक्सपीयर के नाटक “The Comedy of Errors” पर आधारित)
कलाकार: संजीव कुमार, देवेन वर्मा, मौसमी चटर्जी, अरुणा ईरानी, दीप्ति नवल, उत्पल दत्त
संगीत: आर. डी. बर्मन
शैली: कॉमेडी, ड्रामा


भूमिका

“अंगूर” हिंदी सिनेमा की सबसे साधारण लेकिन सबसे बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों में से एक है

  • यह फिल्म विलियम शेक्सपीयर के नाटक “The Comedy of Errors” पर आधारित थी, लेकिन गुलज़ार ने इसे पूरी तरह से भारतीय अंदाज में पेश किया।
  • संजीव कुमार और देवेन वर्मा के डबल रोल ने फिल्म में जबरदस्त कॉमेडी का तड़का लगाया
  • यह एक क्लीन कॉमेडी फिल्म थी, जिसमें कोई फालतू ड्रामा नहीं था, सिर्फ मजेदार सिचुएशन्स और ग़लतफ़हमियों की भरमार थी

कहानी

प्रारंभ: दो जुड़वां जोड़ों की अदला-बदली

  • कहानी शुरू होती है दो जुड़वां भाइयों से – अशोक (संजीव कुमार) और बहादुर (देवेन वर्मा)
  • इन दोनों का बचपन में ही दूसरे जुड़वां भाइयों से बिछड़ाव हो जाता है
  • एक अशोक और बहादुर इलाहाबाद में बड़े होते हैं और दूसरे अशोक और बहादुर शिमला में
  • किस्मत का खेल ऐसा चलता है कि दोनों जोड़ी एक ही शहर में आ जाती हैं – और फिर शुरू होती है मजेदार ग़लतफ़हमियों की कॉमेडी!

अशोक और बहादुर की दोहरी जिंदगी

इलाहाबाद वाले अशोक और बहादुर:

  • अशोक (संजीव कुमार) एक गंभीर आदमी होता है, जिसकी शादी सुमिता (मौसमी चटर्जी) से हुई होती है।
  • बहादुर (देवेन वर्मा) उसका नौकर होता है और हमेशा छोटी-छोटी हरकतों से घर में हंगामा करता है।

शिमला वाले अशोक और बहादुर:

  • दूसरा अशोक (संजीव कुमार) थोड़ा मज़ाकिया और मस्तमौला इंसान होता है
  • दूसरा बहादुर (देवेन वर्मा) भी नौकर होता है, लेकिन उसे शराब पीने का बहुत शौक होता है
  • दोनों अपनी गर्लफ्रेंड (अरुणा ईरानी और दीप्ति नवल) के साथ रोमांस में बिजी होते हैं

ग़लतफ़हमियों का दौर – जब एक दूसरे से टकराते हैं

  • जब दोनों अशोक और बहादुर गलती से एक ही शहर में आ जाते हैं, तो मजेदार ग़लतफहमियां शुरू हो जाती हैं
  • सुमिता (मौसमी चटर्जी) अपने पति को पहचान नहीं पाती और सोचती है कि उसका पति अजीब तरह से बर्ताव कर रहा है
  • दूसरी ओर, अशोक (शिमला वाला) सोचता है कि लोग उसे बिना कारण परेशान कर रहे हैं
  • नौकर बहादुर की भी ऐसी ही हालत हो जाती है, जब दोनों बहादुर एक-दूसरे के मालिकों को देखकर कंफ्यूज़ हो जाते हैं

गाना:

  • “प्रीतम आन मिलो” – एक मजेदार गीत, जिसमें कंफ्यूजन अपने चरम पर होती है।

क्लाइमैक्स – जब सब कुछ साफ़ होता है

  • आखिर में, दोनों जुड़वां जोड़ी एक ही जगह पर मिल जाती हैं और पूरी ग़लतफ़हमी का खुलासा होता है
  • सब लोग हंसते हैं, परेशान होते हैं और फिर गले लगकर इस अनोखी स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं
  • फिल्म का अंत सभी के खुशी-खुशी साथ आने से होता है

फिल्म की खास बातें

1. संजीव कुमार और देवेन वर्मा का डबल रोल मास्टरपीस था

  • संजीव कुमार ने गंभीर लेकिन मजेदार अशोक के दोनों किरदारों को बखूबी निभाया
  • देवेन वर्मा ने बहादुर के दोनों रूपों में धमाल मचा दिया
  • उनकी कॉमिक टाइमिंग और मजेदार एक्सप्रेशन्स इस फिल्म की जान थे

2. गुलज़ार का बेहतरीन निर्देशन और स्क्रिप्ट

  • यह फिल्म पूरी तरह से स्क्रिप्ट-ड्रिवन थी – हर सीन में हंसी की गारंटी थी
  • बिना किसी ओवर-द-टॉप कॉमेडी के, यह फिल्म स्वाभाविक रूप से मजेदार थी

3. ग़लतफ़हमी वाली सिचुएशन कॉमेडी

  • यह फिल्म ग़लतफहमियों और मिसअंडरस्टैंडिंग्स की एक मास्टरपीस थी
  • कैसे लोग बिना कुछ समझे हंसी-मजाक में उलझते चले जाते हैं, इसे बहुत ही खूबसूरती से दिखाया गया था

4. आर. डी. बर्मन का शानदार संगीत

  • “प्रीतम आन मिलो” – एक क्लासिक गाना, जो फिल्म के कंफ्यूजन को और मजेदार बना देता है।
  • “तुझे देख कर जग वाला हाल” – हल्की-फुल्की रोमांटिक धुन।

5. बिना किसी फालतू मेलोड्रामा के हल्की-फुल्की कॉमेडी

  • इस फिल्म में न तो कोई खलनायक था, न कोई जबरदस्ती का एक्शन – बस एक मजेदार पारिवारिक मनोरंजन था
  • यह एक ऐसी फिल्म थी, जिसे हर कोई अपने परिवार के साथ बैठकर देख सकता था और मज़े ले सकता था

निष्कर्ष

“अंगूर” भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों में से एक है, जिसे आप बार-बार देख सकते हैं और फिर भी हंस सकते हैं!

“अगर आपने ‘अंगूर’ नहीं देखी, तो आपने हिंदी सिनेमा की सबसे मजेदार कॉमेडी मिस कर दी!”

“बड़ों का कहना है – अंगूर खट्टे हैं, लेकिन इस फिल्म के अंगूर हमेशा मीठे ही रहेंगे!”

Best Dialogues and Quotes

1. “Ghadi ghadi ka kaam hai, ghadi ghadi karte rehna chahiye.”

यह संवाद निरंतर प्रयास और मेहनत के महत्व को दर्शाता है। जीवन में सफलता पाने के लिए लगातार काम करते रहना चाहिए।

2. “Zindagi mein jab koi cheez milti nahi, to uska asar aur bhi zyada hota hai.”

यह संवाद उन चीजों की कद्र करने की बात करता है जो आसानी से नहीं मिलती। कठिनाई से मिलने वाली चीजों का महत्व अधिक होता है।

3. “Baat jaise hai waise hi kehni chahiye, kuch badal kar nahi.”

यह सत्यनिष्ठा की बात करता है। हमें हमेशा सच बोलना चाहिए और बातों को तोड़-मरोड़कर नहीं कहना चाहिए।

4. “Zindagi ek rangmanch hai, aur hum sab iske kalakar.”

जीवन को एक नाटक के रूप में देखा गया है जहाँ हर व्यक्ति एक अभिनेता है। हमें अपनी भूमिका को समझदारी से निभाना चाहिए।

5. “Samay ka mahatva samay par samajhna chahiye.”

समय की महत्ता को समय रहते समझना चाहिए। यह संवाद समय प्रबंधन का महत्व बताता है।

6. “Jab tak galat na samjha jaye, tab tak sahin ka kya maza.”

यह विचार प्रक्रिया को दर्शाता है कि गलतफहमी के बिना सही की पहचान नहीं की जा सकती।

7. “Jo hota hai, achhe ke liye hota hai.”

इस संवाद में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की बात कही गई है, कि जो भी होता है, वह किसी अच्छे कारण के लिए होता है।

8. “Dil se jo baat nikalti hai, asar karti hai.”

यह संवाद दिल से कही गई बातों की सच्चाई और उनकी प्रभावशीलता को दर्शाता है।

9. “Duniya ek jaal hai, isme fasne se bacho.”

यह संवाद दुनिया की जटिलताओं से बचने की सलाह देता है। हमें सतर्क रहना चाहिए।

10. “Sakshatkar hone par hi vichar spasht hote hain.”

जब किसी चीज का प्रत्यक्ष अनुभव होता है तभी उसके बारे में स्पष्ट विचार बनते हैं।

11. “Samay ke saath badalna seekho.”

समय के साथ बदलना और अनुकूल होना सीखना चाहिए। यह संवाद लचीलापन सिखाता है।

12. “Kuch na kuch naya karte rehna chahiye.”

नवीनता और सृजनशीलता का महत्व बताते हुए, यह संवाद प्रेरित करता है कि हमें हमेशा कुछ नया करने का प्रयास करना चाहिए।

13. “Jo dekhta hai woh bikta hai.”

इस संवाद में व्यावसायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुतिकरण के महत्व को दर्शाया गया है।

14. “Sahi aur galat ki paribhasha har kisi ki alag hoti hai.”

यह संवाद बताता है कि सही और गलत की परिभाषा व्यक्ति विशेष की सोच पर निर्भर करती है।

15. “Har kisi ke paas apni kahani hoti hai.”

इस संवाद में कहा गया है कि हर व्यक्ति के जीवन में उसकी अपनी एक कहानी होती है।

16. “Zindagi mein hamesha khush rehna chahiye.”

जीवन में खुश रहने का महत्व बताया गया है।

17. “Ghar ki baat ghar mein hi rehni chahiye.”

इस संवाद में पारिवारिक गोपनीयता के महत्व को दर्शाया गया है।

18. “Insaan apni kismat khud banata hai.”

यह संवाद आत्मनिर्भरता और मेहनत पर जोर देता है कि व्यक्ति अपनी किस्मत खुद बनाता है।

19. “Samjhota karna bhi ek kala hai.”

समझौते की कला को समझते हुए, यह संवाद बताता है कि कभी-कभी जीवन में समझौता करना भी आवश्यक होता है।

20. “Jitna kam bolna utna achha hai.”

यह संवाद मौन के महत्व को दर्शाता है, कि कम बोलना हमेशा बेहतर होता है।

Interesting Facts

अंगूर (1982) के निर्देशक

अंगूर (1982) का निर्देशन गुलजार ने किया था, जो हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध कवि और लेखक भी हैं।

शेक्सपियर की प्रेरणा

यह फिल्म शेक्सपियर की “द कॉमेडी ऑफ एरर्स” पर आधारित है, जो दो जुड़वा भाइयों की हास्यप्रद कहानी है।

संजय दत्त की उपस्थिति

फिल्म के एक गाने “प्रीतम आन मिलो” में युवा अभिनेता संजय दत्त ने एक कैमियो किया था।

दोहरे भूमिका में संजीव कुमार

अभिनेता संजीव कुमार ने इस फिल्म में दो अलग-अलग भूमिकाएं निभाई थी, जो उनके अभिनय कौशल को दर्शाता है।

मौसमी चटर्जी का अद्वितीय किरदार

मौसमी चटर्जी ने फिल्म में दोहरी भूमिका निभाई थी और उनकी कॉमिक टाइमिंग को दर्शकों ने बहुत सराहा।

राजलक्ष्मी प्रोडक्शन

यह फिल्म राजलक्ष्मी प्रोडक्शन बैनर के तहत निर्मित की गई थी, जो गुलजार की पत्नी राखी के साथ उनका प्रोडक्शन हाउस था।

असली लोकेशन

फिल्म की शूटिंग पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्थानों पर की गई थी, जिससे इसकी प्रामाणिकता बढ़ गई।

म्यूजिक कंपोजर

फिल्म का संगीत आर.डी. बर्मन ने तैयार किया था, जिनके गाने आज भी लोकप्रिय हैं।

क्लासिक संवाद

फिल्म के संवाद गुलजार द्वारा लिखे गए थे, जो अपने अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

हास्य और भ्रम की कहानी

फिल्म की कहानी हास्य और भ्रम से भरी हुई है, जो दर्शकों को बांधे रखती है।

प्रीतम आन मिलो – लता मंगेशकर
रोज रोज डाली डाली – आशा भोसले
माँग में भर ले रंग सखी रे – आशा भोसले
भँवरा बड़ा नादान – आशा भोसले

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