निर्देशक: अनुराग कश्यप
निर्माता: अजय बी. बाल्के
रिलीज़ वर्ष: 2004
शैली (Genre): क्राइम, ड्रामा, थ्रिलर
मुख्य कलाकार: के. के. मेनन (राकेश मारिया), आदित्य श्रीवास्तव (बदशाह खान), पवन मल्होत्रा (टाइगर मेमन), किशोर कदम, गज्राज राव
कहानी का संक्षिप्त परिचय: हुसैन ज़ैदी की किताब Black Friday: The True Story of the Bombay Bomb Blasts पर आधारित यह फिल्म 1993 के मुंबई बम धमाकों की घटनाओं, जांच और उसके पीछे के षड्यंत्र को सच्चाई और दस्तावेज़ी अंदाज में पेश करती है।
Director
Anurag Kashyap helmed the film “Black Friday,” marking one of his early directorial ventures that showcased his knack for gritty realism and bold storytelling.
Cast
The film features an ensemble cast, including Kay Kay Menon as Rakesh Maria, Aditya Srivastava as Badshah Khan, and Pavan Malhotra as Tiger Memon. These actors delivered powerful performances that were integral to the film’s impact.
Plot Overview
“Black Friday” is based on the 1993 Bombay bombings and is an adaptation of S. Hussain Zaidi’s book of the same name. The film intricately follows the investigations and the events leading up to the tragic incident.
Release and Reception
Although completed in 2004, the film faced legal hurdles and was not released until 2007. Upon its release, it garnered critical acclaim for its raw depiction of true events and Anurag Kashyap’s uncompromising direction.
Significance
“Black Friday” is often regarded as a pioneering film in Indian cinema for its documentary-style narrative and its fearless approach to controversial subject matter. It paved the way for more realistic storytelling in Bollywood.
🎙️🎬Full Movie Recap
पॉडकास्ट ‘Movies Philosophy’ में आपका स्वागत है!
नमस्ते दोस्तों, मैं हूं आपका मेजबान और फिल्म समीक्षक, जो हर हफ्ते आपके लिए भारतीय सिनेमा की गहराई में उतरता है और उन कहानियों को आपके सामने पेश करता है जो दिल को छूती हैं, दिमाग को झकझोरती हैं और समाज का आईना दिखाती हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी फिल्म की, जो इतिहास के एक काले अध्याय को हमारे सामने लाती है – “ब्लैक फ्राइडे”। यह फिल्म 1993 के मुंबई बम विस्फोटों की भयानक घटना पर आधारित है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। तो चलिए, इस कहानी की गहराई में उतरते हैं और समझते हैं कि आखिर क्या हुआ था उस काले शुक्रवार को।
परिचय: एक काला शुक्रवार
“ब्लैक फ्राइडे” अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित एक फिल्म है, जो 1993 के मुंबई बम विस्फोटों की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। यह फिल्म न केवल एक आपराधिक साजिश की कहानी है, बल्कि उन सामाजिक और सांप्रदायिक तनावों की भी गहराई को उजागर करती है, जिन्होंने इस त्रासदी को जन्म दिया। फिल्म की कहानी हमें 12 मार्च 1993 के उस भयावह दिन में ले जाती है, जब मुंबई शहर एक के बाद एक विस्फोटों से दहल उठा। 300 से ज्यादा लोग मारे गए और करीब 1600 घायल हुए। यह फिल्म हमें उन लोगों की कहानी दिखाती है, जिन्होंने इस साजिश को अंजाम दिया, और उन पुलिस अधिकारियों की, जिन्होंने इसे सुलझाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी।
कहानी: साजिश का जाल
फिल्म की शुरुआत 9 मार्च 1993 से होती है, जब एक छोटा-मोटा गुंडा गुल मोहम्मद नवी पाड़ा पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया जाता है। पुलिस की बेरहम पिटाई के बाद गुल टूट जाता है और एक भयानक साजिश का खुलासा करता है। वह बताता है कि टाइगर मेनन नाम का एक बड़ा अपराधी मुंबई में बड़े पैमाने पर बम विस्फोट करने की योजना बना रहा है। स्टॉक मार्केट, मंत्रालय कार्यालय, शिव सेना भवन, रेलवे स्टेशन – शहर के हर महत्वपूर्ण स्थान को निशाना बनाया जाना है। गुल के मुताबिक, टाइगर ने कई लोगों को इस मिशन के लिए प्रशिक्षित किया है। लेकिन पुलिस उसकी बात को गंभीरता से नहीं लेती। और फिर, तीन दिन बाद, 12 मार्च को, वह काला शुक्रवार आता है, जब मुंबई एक के बाद एक विस्फोटों से थर्रा उठती है।
इन विस्फोटों के पीछे की साजिश को सुलझाने के लिए पुलिस हरकत में आती है। इंस्पेक्टर सावंत, नंदकुमार चौगुले और राकेश मारिया जैसे अधिकारी इस मामले की तह तक जाने के लिए जी-जान लगा देते हैं। जांच के दौरान पता चलता है कि विस्फोटों में RDX का इस्तेमाल हुआ है, जिसे कस्टम अधिकारियों और सीमा पुलिस की मिलीभगत से शहर में लाया गया था। एक वैन में टाइगर की बहन रूबीना मेनन का पासपोर्ट मिलता है, जो पुलिस को टाइगर की ओर ले जाता है। टाइगर, जो एक कुख्यात तस्कर है, इस साजिश का मास्टरमाइंड निकलता है।
इसी बीच, टाइगर का सहायक असगर मुकादम (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) 14 मार्च को गिरफ्तार होता है। पुलिस की सख्ती के बाद असगर सारी साजिश उगल देता है। वह टाइगर के साथ काम करने वाले लोगों के नाम बताता है – अयूब मेनन, याकूब मेनन, इम्तियाज गवाते, मुश्ताक तरानी, बशीर खान, और कई अन्य। असगर यह भी खुलासा करता है कि RDX को वाहनों में फिट करने के लिए एक वर्कशॉप का इस्तेमाल हुआ था और हर व्यक्ति को अलग-अलग स्थानों पर बम रखने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस दौरान एक डायलॉग जो असगर की बेबसी को दर्शाता है, वह है: “साहब, मैं तो बस एक मोहरा हूं, असली खेल तो टाइगर भाई खेल रहे हैं।”
चरमोत्कर्ष: विश्वासघात और पछतावा
जांच आगे बढ़ती है और पुलिस एक-एक कर साजिशकर्ताओं को पकड़ने लगती है। टाइगर दुबई से अपने लोगों को निर्देश देता है कि वे मुंबई छोड़ दें, लेकिन वह अपने साथियों को कोई मदद नहीं देता। उनके पासपोर्ट नष्ट कर दिए जाते हैं और वे बिना किसी सहारे के भागने को मजबूर हो जाते हैं। बादशाह खान (आदित्य श्रीवास्तव), जो टाइगर का एक वफादार साथी है, भी इस विश्वासघात का शिकार होता है। वह दिल्ली, जयपुर और रामपुर भागता फिरता है, लेकिन टाइगर उसकी कोई मदद नहीं करता। बादशाह की मां को पुलिस परेशान करती है, और वह टूट जाता है। एक मार्मिक दृश्य में बादशाह कहता है, “टाइगर भाई, आपने हमें कुत्तों की तरह छोड़ दिया, अब हमारा क्या होगा?”
आखिरकार, बादशाह पुलिस के सामने सरेंडर कर देता है और गवाह बन जाता है। उसकी गवाही से पता चलता है कि इन विस्फोटों का मकसद 1992-93 के मुंबई दंगों का बदला लेना था। इन दंगों में सांप्रदायिक हिंसा ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली थी और मुस्लिम समुदाय को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। टाइगर मेनन, जिसका ऑफिस दंगों में जल गया था, ने दुबई में अंडरवर्ल्ड के नेताओं के साथ मिलकर इस हमले की योजना बनाई। बादशाह की गवाही के बाद पुलिस इस साजिश की जड़ तक पहुंचती है। एक और डायलॉग जो इस भावनात्मक गहराई को दर्शाता है, वह है: “हमने सोचा था कि ये बदला हमें इंसाफ दिलाएगा, लेकिन ये तो बस तबाही लाया।”
थीम्स और भावनात्मक गहराई
“ब्लैक फ्राइडे” केवल एक क्राइम ड्रामा नहीं है; यह फिल्म सांप्रदायिक तनाव, विश्वासघात, और मानवता की विफलता की कहानी है। यह दिखाती है कि कैसे दंगे जैसी घटनाएं नफरत और हिंसा का एक अंतहीन चक्र शुरू कर देती हैं। फिल्म में टाइगर मेनन को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है, जो अपने समुदाय के लिए बदला लेना चाहता है, लेकिन वह अपने ही लोगों को धोखा दे देता है। दूसरी ओर, बादशाह खान जैसे किरदार हमें दिखाते हैं कि कैसे गलत रास्ते पर चलने वाले लोग भी पछतावे और अपराधबोध से गुजरते हैं। एक दृश्य में बादशाह कहता है, “मैंने अपने हाथों से कितने घर उजाड़े, अब मुझे हर रात वही चीखें सुनाई देती हैं।”
पुलिस की भूमिका भी इस फिल्म में महत्वपूर्ण है। राकेश मारिया (के के मेनन) जैसे किरदार हमें दिखाते हैं कि कैसे कुछ लोग सिस्टम की खामियों के बावजूद न्याय के लिए लड़ते हैं। एक दृश्य में राकेश कहते हैं, “अगर हम अब नहीं रुके, तो ये नफरत हमें सबको जला देगी।”
निष्कर्ष: इतिहास का एक काला पन्ना
“ब्लैक फ्राइडे” एक ऐसी फिल्म है जो हमें सोचने पर मजबूर करती है। यह हमें याद दिलाती है कि हिंसा और नफरत कभी समाधान नहीं हो सकते। फिल्म का अंत हमें याकूब मेनन के आत्मसमर्पण के साथ छोड़ता है, जो टाइगर और उसके सहयोगियों की साजिश को उजागर करता है। लेकिन सवाल यह रह जाता है कि क्या यह न्याय की जीत है, या सिर्फ एक और दुखद अध्याय? फिल्म हमें यह भी दिखाती है कि सांप्रदायिक सद्भाव ही वह रास्ता है जो हमें ऐसी त्रासदियों से बचा सकता है।
तो दोस्तों, “ब्लैक फ्राइडे” एक ऐसी फिल्म है जो न केवल 1993 के विस्फोटों की कहानी कहती है, बल्कि हमें अपने अंदर झांकने और सोचने के लिए मजबूर करती है। एक आखिरी डायलॉग जो फिल्म की थीम को समेटता है, वह है: “नफरत की आग में जलकर सिर्फ राख बची है, अब हमें मिलकर एक नई शुरुआत करनी होगी।”
आपने यह फिल्म देखी है? अगर हां, तो आपके विचार क्या हैं? हमें जरूर बताएं। और अगर नहीं देखी, तो इसे जरूर देखें, क्योंकि यह न केवल एक फिल्म है, बल्कि इतिहास का एक सबक भी है। अगले एपिसोड में हम फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ। तब तक के लिए, नमस्ते और ध्यान रखें। ‘Movies Philosophy’ से विदा!
🎥🔥Best Dialogues and Quotes
यहाँ Black Friday (2004) के कुछ बेहतरीन और असरदार डायलॉग्स दिए गए हैं, जो फिल्म के रियलिस्टिक और इंटेंस टोन को दर्शाते हैं:
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“Bomb banate waqt koi masoom nahi hota.” – अपराध और जिम्मेदारी के बीच की सच्चाई को बयां करता हुआ डायलॉग।
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“Terrorism ka koi mazhab nahi hota… sirf maqsad hota hai.” – फिल्म के केंद्रीय संदेशों में से एक।
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“Sach bolne ke liye himmat chahiye, aur yeh system himmat tod deta hai.” – पुलिस और न्याय व्यवस्था की हकीकत पर कटाक्ष।
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“Humare liye yeh sirf ek case hai, lekin unke liye yeh poori zindagi ka sawaal hai.” – अपराध और पीड़ित के नजरिए का फर्क।
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“Insaan gusse mein galat faisle le leta hai, aur unka asar poori duniya bhugat ti hai.” – हिंसा और उसके दूरगामी असर पर गहरी बात।
**मशहूर हिंदी डायलॉग्स:**
1. **”तुम्हें पता है, ये शहर कितना खतरनाक है? ये शहर इंसान को खा जाता है!”**
– ये डायलॉग मुंबई की खतरनाक और अंधेरी दुनिया को दर्शाता है, जहां अपराध और भ्रष्टाचार हर कोने में छुपा है।
2. **”जब तक पैसा है, तब तक इंसान है… पैसा गया, तो इंसान गया!”**
– ये लाइन फिल्म में पैसे की ताकत और इंसान की पहचान को जोड़ती है, जो अपराध की दुनिया में कितना महत्वपूर्ण है।
3. **”ये जो धमाके हुए ना, ये सिर्फ बम नहीं थे… ये हमारी नींद उड़ाने वाले थे!”**
– 1993 के मुंबई बम धमाकों के प्रभाव को बयान करता ये डायलॉग लोगों के डर और असुरक्षा को उजागर करता है।
4. **”सच बोलने की सजा तो मिलेगी ही, लेकिन झूठ बोलने की सजा उससे भी बड़ी होती है!”**
– ये डायलॉग सत्य और झूठ के बीच की नैतिक लड़ाई को दर्शाता है, जो फिल्म की जांच-पड़ताल की कहानी से जुड़ा है।
5. **”ये शहर हमें मारता नहीं, ये हमें जीने नहीं देता!”**
– मुंबई की क्रूरता और वहां के लोगों की जिंदगी की जद्दोजहद को ये लाइन गहराई से व्यक्त करती है।
6. **”कानून की किताब में हर सवाल का जवाब नहीं होता!”**
– ये डायलॉग पुलिस और कानून की सीमाओं को उजागर करता है, खासकर जब अपराध इतना जटिल हो।
7. **”जो दिखता है, वो हमेशा सच नहीं होता!”**
– जांच के दौरान सामने आने वाली सच्चाई और छुपे हुए रहस्यों की ओर इशारा करता ये डायलॉग फिल्म की गहराई को दर्शाता है।
**फिल्म से जुड़े रोचक तथ्य/ट्रिविया:**
– फिल्म 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित है और इसे अनुराग कश्यप ने निर्देशित किया, जिन्होंने इस फिल्म के जरिए अपनी अलग पहचान बनाई।
– ये फिल्म हुसैन ज़ैदी की किताब “Black Friday: The True Story of the Bombay Bomb Blasts” से प्रेरित है।
– फिल्म को रिलीज होने में कई साल लगे क्योंकि इसे सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिलने में देरी हुई थी, कारण था इसका संवेदनशील विषय।
– फिल्म में कई रियल-लाइफ घटनाओं और किरदारों को बारीकी से दिखाया गया है, जैसे टाइगर मेमन और पुलिस की जांच।
– “ब्लैक फ्राइडे” को क्रिटिक्स ने खूब सराहा और इसे भारतीय सिनेमा की सबसे प्रभावशाली क्राइम ड्रामा फिल्मों में से एक माना जाता है।
🎭🔍 Behind-the-Scenes & Trivia
फिल्म “ब्लैक फ्राइडे” ने भारतीय सिनेमा में एक अद्वितीय स्थान बनाया है, और इसके निर्माण के दौरान कई रोचक बातें हुईं जो दर्शकों के लिए शायद अज्ञात हैं। इस फिल्म का निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया था, जो अपनी साहसी और प्रयोगशील फिल्म शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। “ब्लैक फ्राइडे” की शूटिंग के दौरान, कश्यप ने वास्तविक लोकेशनों का उपयोग किया, जिसमें मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाके शामिल थे। यह निर्णय न केवल फिल्म की प्रामाणिकता को बढ़ाने के लिए लिया गया था, बल्कि दर्शकों को 1993 के बॉम्बे धमाकों की हकीकत के करीब लाने के लिए भी।
फिल्म में कई ऐसे ट्रिविया छुपे हैं जो इसे और भी दिलचस्प बनाते हैं। उदाहरण के लिए, कश्यप ने फिल्म में असली पुलिस अधिकारियों और अपराधियों के इंटरव्यू का इस्तेमाल किया, जिससे कहानी को वास्तविकता के करीब लाया जा सके। इसके अलावा, फिल्म का संगीत इंडियन ओशियन द्वारा तैयार किया गया था, जिन्होंने पारंपरिक धुनों और आधुनिक संगीत का अनोखा मिश्रण प्रस्तुत किया। इस संगीत ने फिल्म के तनावपूर्ण माहौल को और अधिक गहराई दी।
फिल्म में कई ईस्टर एग्स भी छुपे हैं जो दर्शकों की नजर से बच सकते हैं। उदाहरण के लिए, फिल्म के कई सीन ऐसे हैं जो बॉलीवुड के अन्य क्लासिक थ्रिलर्स को श्रद्धांजलि देते हैं। अनुराग कश्यप के लिए यह फिल्म केवल एक कहानी नहीं थी, बल्कि एक कलात्मक अभिव्यक्ति थी, जिसमें उन्होंने अपने पसंदीदा फिल्म निर्माताओं के प्रति सम्मान प्रकट किया। यह एक प्रकार का सिनेमा प्रेमियों के लिए छुपा हुआ खजाना है जो फिल्म की गहराई में खोदना पसंद करते हैं।
फिल्म की कहानी के पीछे की मनोवैज्ञानिक जटिलताओं को भी समझना दिलचस्प है। “ब्लैक फ्राइडे” न केवल एक अपराध थ्रिलर है, बल्कि यह मानव मन की अंधेरी गलियों में भी झांकता है। फिल्म में दिखाए गए पात्रों की मानसिक स्थिति, उनके डर, गुस्से और पश्चाताप के विभिन्न पहलू, दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। यह फिल्म दर्शकों को यह सोचने के लिए प्रेरित करती है कि कैसे परिस्थितियाँ और मनोभाव किसी व्यक्ति के निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।
“ब्लैक फ्राइडे” का प्रभाव और विरासत भारतीय सिनेमा में अमिट है। इस फिल्म ने भारतीय फिल्मों में यथार्थवाद की एक नई लहर को जन्म दिया। इसे अपने समय के सबसे साहसी प्रयासों में से एक माना जाता है, जिसने सेंसरशिप के मुद्दों के बावजूद अपनी पहचान बनाई। कई फिल्म निर्माताओं ने इस फिल्म से प्रेरणा ली और अपने प्रोजेक्ट्स में अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाया।
इसकी विरासत का प्रभाव विश्व सिनेमा पर भी देखा जा सकता है। “ब्लैक फ्राइडे” ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में धूम मचाई और भारतीय सिनेमा की संभावनाओं को वैश्विक स्तर पर पुनः स्थापित किया। यह फिल्म न केवल एक कहानी कहती है, बल्कि समाज, राजनीति और मानवता के गहरे प्रश्नों को भी उठाती है। अंततः, “ब्लैक फ्राइडे” भारतीय सिनेमा का एक मील का पत्थर है, जिसने अपने साहसी दृष्टिकोण और वास्तविकता के प्रति अपनी निष्ठा के लिए हमेशा के लिए एक स्थायी स्थान बना लिया है।
🍿⭐ Reception & Reviews
Black Friday (2004) – समीक्षा, प्रतिक्रिया और रेटिंग्स (विस्तृत)
परिचय:
Black Friday अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित एक क्राइम-ड्रामा है, जो पत्रकार एस. हुसैन ज़ैदी की किताब Black Friday: The True Story of the Bombay Bomb Blasts पर आधारित है। यह फिल्म 1993 के मुंबई बम धमाकों और उसके बाद हुई पुलिस जांच की सच्ची घटनाओं को बड़े परदे पर उतारती है। सेंसर बोर्ड के कारण इसे 2004 में बनाया गया लेकिन रिलीज़ 2007 में हुई।
कहानी और निर्देशन
कहानी धमाकों से शुरू होकर पुलिस जांच, संदिग्धों की तलाश, और पीछे के षड्यंत्र को उजागर करने की दिशा में आगे बढ़ती है। अनुराग कश्यप का निर्देशन बेहद यथार्थवादी और बिना नाटकीयता के है—कैमरा वर्क, लोकेशन और स्क्रिप्ट सबकुछ असलियत का एहसास कराते हैं।
फिल्म डॉक्यूमेंट्री-स्टाइल में चलती है और घटनाओं के कई दृष्टिकोण पेश करती है, जिससे दर्शक खुद सोचने को मजबूर होते हैं।
अभिनय
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के. के. मेनन – टाइगर मेमन की तलाश में जुटे पुलिस अफसर के किरदार में दमदार और प्रभावशाली।
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पवन मल्होत्रा – टाइगर मेमन के रूप में सटीक और विश्वसनीय प्रदर्शन।
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अदिति गोवित्रिकर, इम्तियाज़ अली और अन्य कलाकार – सभी ने किरदारों में गहराई और यथार्थ जोड़ा।
तकनीकी पक्ष
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सिनेमैटोग्राफी – निखिल सूरी का कैमरा काम मुंबई के गलियारों, पुलिस स्टेशन और कोर्टरूम के माहौल को जीवंत करता है।
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संगीत – इंडियन ओशन का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के टोन को और गहराई देता है, विशेषकर गंभीर और तनावपूर्ण दृश्यों में।
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एडिटिंग – धीमी लेकिन असरदार, जिससे फिल्म की ग्रैविटी बनी रहती है।
आलोचनात्मक प्रतिक्रिया (Reception)
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भारतीय और अंतरराष्ट्रीय समीक्षकों ने फिल्म को असाधारण यथार्थवादी क्राइम ड्रामा माना।
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Times of India – 4.5/5, “भारतीय सिनेमा का दुर्लभ उदाहरण, जहां सच्चाई को बिना लाग-लपेट के दिखाया गया है।”
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NDTV (राजीव मसंद) – 4/5, “कच्ची, असरदार और झकझोर देने वाली।”
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अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों (Locarno, Edinburgh) में खूब सराही गई।
पुरस्कार और उपलब्धियाँ
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राष्ट्रीय पुरस्कार – सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले (अनुकूलन) – अनुराग कश्यप
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कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में आधिकारिक चयन और विशेष सराहना
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IMDb टॉप रेटेड इंडियन मूवीज़ की सूची में लंबे समय तक स्थान
रेटिंग्स
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IMDb – 8.5/10
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दर्शक रेटिंग – 90% से अधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया
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आलोचक रेटिंग – 4/5 और उससे ऊपर
निष्कर्ष
Black Friday सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारत के इतिहास की एक काली घटना का प्रामाणिक दस्तावेज़ है। इसकी सच्चाई, रिसर्च और बिना फ़िल्टर के कहानी कहने का तरीका इसे भारतीय सिनेमा की सबसे महत्वपूर्ण और साहसी फिल्मों में शामिल करता है।
यह फिल्म देखने के बाद दर्शक सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि घटना की गहराई और उसके सामाजिक-राजनीतिक असर को भी महसूस करते हैं।
अनुराग कश्यप निर्देशित यह फिल्म 1993 मुंबई बम धमाकों पर आधारित है। IMDb रेटिंग 8.5/10। यथार्थवादी प्रस्तुति और गहन रिसर्च के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली।
ब्लैक फ्राइडे (2004): बॉक्स ऑफिस कलेक्शन और सिनेमाई प्रभाव
ब्लैक फ्राइडे (2004), अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित एक भारतीय क्राइम ड्रामा फिल्म है, जो 1993 के मुंबई बम विस्फोटों पर आधारित है। यह फिल्म हुसैन जैदी की किताब ब्लैक फ्राइडे: द ट्रू स्टोरी ऑफ द बॉम्बे बम ब्लास्ट्स से प्रेरित है और इसमें के के मेनन, पवन मल्होत्रा, और आदित्य श्रीवास्तव जैसे शानदार अभिनेता शामिल हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन, इसकी समीक्षा, और इसके सांस्कृतिक महत्व पर चर्चा करेंगे।
बॉक्स ऑफिस कलेक्शन
ब्लैक फ्राइडे का बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन इसकी संवेदनशील विषयवस्तु और सीमित दर्शक वर्ग के कारण औसत रहा। बॉलीवुड हंगामा और सैकनिल्क जैसे विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार, फिल्म की कमाई निम्नलिखित रही:
- विश्वव्यापी ग्रॉस: ₹6.79 करोड़
- भारत नेट कलेक्शन: ₹4.76 करोड़
- भारत ग्रॉस कलेक्शन: ₹6.61 करोड़
- विदेशी ग्रॉस: ₹0.18 करोड़ (लगभग $0.04 मिलियन USD)
- ओपनिंग वीकेंड (भारत): ₹1.78 करोड़
- पहला सप्ताह (भारत): ₹2.88 करोड़
- पहले दिन का कलेक्शन: विशिष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
विश्लेषण
- सीमित कमाई का कारण: ब्लैक फ्राइडे एक गंभीर और यथार्थवादी फिल्म थी, जो व्यावसायिक मसाला फिल्मों से अलग थी। इसका भारी और संवेदनशील विषय (1993 के बम विस्फोट) बड़े पैमाने पर दर्शकों को आकर्षित नहीं कर सका।
- कानूनी बाधाएँ: फिल्म को रिलीज में देरी का सामना करना पड़ा, क्योंकि यह बम विस्फोटों से संबंधित एक अदालती मामले के दौरान रिलीज होने वाली थी। इसे 2007 में रिलीज किया गया, जिसने इसके प्रचार और वितरण को प्रभावित किया।
- बॉक्स ऑफिस स्थिति: कम बजट की फिल्म होने के बावजूद, यह औसत कमाई के साथ मुनाफे में रही। इसका प्रोडक्शन बजट लगभग ₹4-5 करोड़ अनुमानित है, जिसे इसने आसानी से कवर कर लिया।
समीक्षा और स्वागत
ब्लैक फ्राइडे को समीक्षकों से व्यापक प्रशंसा मिली, विशेष रूप से इसके यथार्थवादी चित्रण, शक्तिशाली अभिनय, और अनुराग कश्यप के साहसी निर्देशन के लिए।
- समीक्षकों की राय:
- टाइम्स ऑफ इंडिया: इसे 4/5 रेटिंग दी, इसे “शक्तिशाली और विचारोत्तेजक” कहा। समीक्षा में के के मेनन के प्रदर्शन और फिल्म की सिनेमैटोग्राफी की तारीफ की गई।
- रेडिफ: इसे “भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर” माना, जो अपराध और जांच की गहरी पड़ताल करता है। पवन मल्होत्रा और नवाजुद्दीन सिद्दीकी (सहायक भूमिका) की भी प्रशंसा की गई।
- कुछ आलोचकों ने फिल्म की गंभीर टोन और लंबाई (2.5 घंटे) को चुनौतीपूर्ण माना, लेकिन कुल मिलाकर इसे साहसी और प्रभावशाली माना गया।
- दर्शकों की प्रतिक्रिया: दर्शकों ने इसके यथार्थवादी दृष्टिकोण और तीव्र कहानी को सराहा, लेकिन इसका भारी विषय कुछ के लिए भारी पड़ा। समय के साथ, यह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स (जैसे नेटफ्लिक्स) पर उपलब्ध होने के बाद एक कल्ट क्लासिक बन गई।
सांस्कृतिक और सिनेमाई प्रभाव
- अनुराग कश्यप का उदय: ब्लैक फ्राइडे ने अनुराग कश्यप को एक साहसी निर्देशक के रूप में स्थापित किया, जिन्होंने बाद में गैंग्स ऑफ वासेपुर और उgly जैसी फिल्में बनाईं। यह फिल्म उनके यथार्थवादी और गैर-परंपरागत सिनेमा का प्रतीक बनी।
- सामाजिक प्रभाव: फिल्म ने 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को उजागर किया, जिसने दर्शकों को उस दौर के तनावों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया।
- **कल्ट स्टेटस
Box Office Collection for Black Friday (2004, Indian Film)
Black Friday is an Indian action crime drama directed by Anurag Kashyap, based on the 1993 Bombay bombings. Below is the detailed box office performance based on available data from trusted sources like Bollywood Hungama and Sacnilk:
- Worldwide Gross: ₹6.79 crore
- India Net Collection: ₹4.76 crore
- India Gross Collection: ₹6.61 crore
- Overseas Gross: ₹0.18 crore (approximately $0.04 million USD)
- Opening Weekend (India): ₹1.78 crore
- Opening Week (India): ₹2.88 crore
- First Day Collection: Specific data for the first day is not available in the provided sources.
Analysis:
- Black Friday had a modest box office performance, primarily due to its niche subject matter and intense narrative, which appealed to a limited audience.
- The film faced delays in release due to legal issues related to its sensitive topic (the 1993 Bombay bombings), which may have impacted its commercial reach.
- Despite its limited commercial success, it was critically acclaimed for its realistic portrayal, strong performances (especially Kay Kay Menon), and Anurag Kashyap’s direction. It gained a cult following over time, particularly after its availability on streaming platforms.
- No specific X posts or recent web sources provide updated sentiment on its box office, but its critical acclaim is often highlighted in discussions about Indian cinema.
Source: The box office figures are sourced from Bollywood Hungama and Sacnilk.
Note on the 2021 Hollywood Film Black Friday
If you were referring to the 2021 Hollywood horror-comedy Black Friday (starring Bruce Campbell), there is limited box office data available due to its low-budget, independent release. It was not a major theatrical hit and primarily gained traction on VOD platforms. Box Office Mojo lists it but does not provide detailed figures, suggesting a minimal theatrical run. If this is the film you meant, please confirm, and I can dig deeper into its performance or reception.
Clarification
- If you meant the 2004 Indian film, the above data covers it comprehensively.
- If you were referring to another film or want additional details (e.g., inflation-adjusted figures, regional breakdowns, or comparison with similar films), please let me know.
- The search results provided earlier about the 2024 Black Friday box office (related to Moana 2, Wicked, etc.) are unrelated to the movie Black Friday and refer to the shopping day’s impact on theater attendance. If you want details on that, I can provide them separately.
Let me know if you need further details or a different focus!