दीवार (1975) – विस्तृत मूवी रीकैप
निर्देशक: यश चोपड़ा
लेखक: सलीम-जावेद
कलाकार: अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, निरूपा रॉय, परवीन बाबी, नीतू सिंह, मदन पुरी, इफ्तिखार
संगीत: आर. डी. बर्मन
शैली: क्राइम, ड्रामा, एक्शन
भूमिका
“दीवार” भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली फिल्मों में से एक मानी जाती है।
- यह फिल्म एक मां के दो बेटों के संघर्ष, सिस्टम के खिलाफ बगावत, और ईमानदारी बनाम अपराध की जंग को दिखाती है।
- इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन को “एंग्री यंग मैन” के रूप में स्थापित कर दिया।
- “मेरे पास मां है” – यह संवाद हिंदी सिनेमा के सबसे अमर डायलॉग्स में से एक बन गया।
कहानी
प्रारंभ: ईमानदार पिता का बलिदान
- कहानी की शुरुआत होती है आनंद वर्मा (ए. के. हंगल) से, जो एक ईमानदार मजदूर नेता होते हैं।
- उन्हें अत्याचारी व्यापारी और गुंडे धमकी देते हैं, लेकिन वह सिस्टम के खिलाफ लड़ाई जारी रखते हैं।
- जब आनंद वर्मा उनकी शर्तें मानने से इंकार कर देते हैं, तो गुंडे उनके हाथ में एक अपमानजनक टैटू गुदवा देते हैं – “मेरा बाप चोर है”।
- आनंद मजबूर होकर परिवार छोड़कर चला जाता है।
मां और दो बेटों की संघर्ष भरी जिंदगी
- आनंद के जाने के बाद, उसकी पत्नी सुमित्रा (निरूपा रॉय) अपने दो बेटों – विजय (अमिताभ बच्चन) और रवि (शशि कपूर) को पालने के लिए संघर्ष करती है।
- विजय, जो बड़ा बेटा है, गरीबी और समाज के ताने सुन-सुनकर कठोर बन जाता है।
- रवि ईमानदार और सीधा-सादा लड़का होता है, जिसे सिस्टम पर पूरा भरोसा होता है।
गाना:
- “कह दूं तुम्हें” – शशि कपूर और नीतू सिंह के रोमांस को दर्शाने वाला हल्का-फुल्का गीत।
विजय का अपराध की दुनिया में प्रवेश
- गरीबी और बचपन में मिली जिल्लतों के कारण विजय अपराध की दुनिया में चला जाता है।
- वह अंडरवर्ल्ड का बड़ा डॉन बन जाता है और शहर में उसकी धाक जम जाती है।
- विजय का एक ही मकसद होता है – अपनी मां को खुशहाल जिंदगी देना।
डायलॉग:
- “आज खुश तो बहुत होंगे तुम?” – विजय का सबसे यादगार संवाद।
रवि – कानून के रास्ते पर चलता है
- दूसरी ओर, रवि पुलिस अफसर बन जाता है और देश की सेवा करने की कसम खाता है।
- उसे विजय के बारे में सच्चाई पता चलती है और वह उसे छोड़ने के लिए कहता है।
- लेकिन विजय अब अंडरवर्ल्ड की दुनिया से निकल नहीं सकता।
गाना:
- “आईये आप कौन?” – अमिताभ बच्चन और परवीन बाबी के मॉडर्न रोमांस को दर्शाने वाला गीत।
मां का संघर्ष – ईमानदारी बनाम अपराध
- निरूपा रॉय (मां) इस फिल्म की आत्मा हैं।
- जब उसे पता चलता है कि विजय अपराधी बन चुका है, तो वह उससे रिश्ता तोड़ देती है।
- विजय यह सब सिर्फ अपनी मां के लिए कर रहा होता है, लेकिन उसकी मां उसे गलत मानती है।
डायलॉग:
- “बोल, मेरे साथ आएगा?” – विजय रवि से पूछता है।
- “नहीं!” – रवि जवाब देता है।
- “मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, तुम्हारे पास क्या है?”
- “मेरे पास मां है!” – यह डायलॉग हिंदी सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित संवाद बन जाता है।
क्लाइमैक्स: भाई बनाम भाई
- पुलिस विजय को गिरफ्तार करने की योजना बनाती है, लेकिन रवि को यह केस सौंप दिया जाता है।
- अब रवि को अपने ही भाई के खिलाफ लड़ना पड़ता है।
- आखिरकार, दोनों भाइयों का आमना-सामना होता है।
गाना:
- “ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है” – फिल्म के थीम को दर्शाने वाला गाना।
अंत:
- विजय अपनी मां के पैरों में दम तोड़ देता है।
- रवि अपने कर्तव्य का पालन करता है, लेकिन भाई को खो देता है।
- मां की आंखों में आंसू होते हैं, लेकिन वह अपने छोटे बेटे के साथ चली जाती है।
फिल्म की खास बातें
1. अमिताभ बच्चन का “एंग्री यंग मैन” अवतार
- इस फिल्म के बाद अमिताभ बच्चन को “एंग्री यंग मैन” कहा जाने लगा।
- उनका डायलॉग डिलीवरी, बॉडी लैंग्वेज और इमोशनल एक्सप्रेशन बेहतरीन थे।
2. ईमानदारी बनाम अपराध का टकराव
- फिल्म दिखाती है कि सिस्टम कैसे गरीबों को मजबूर कर देता है, लेकिन कुछ लोग फिर भी ईमानदारी के रास्ते पर चलते हैं।
- विजय और रवि – दो रास्तों पर चलने वाले भाई इस संघर्ष को दर्शाते हैं।
3. सलीम-जावेद की बेहतरीन पटकथा
- इस फिल्म के संवाद हिंदी सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित डायलॉग्स में से एक बन गए।
- “मेरे पास मां है!” – यह डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर है।
4. आर. डी. बर्मन का अविस्मरणीय संगीत
- “कह दूं तुम्हें” – हल्का-फुल्का रोमांटिक गाना।
- “आईये आप कौन?” – मॉडर्न रोमांस को दर्शाने वाला गीत।
- “ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है” – एक गहरा और विचारशील गीत।
5. यश चोपड़ा का दमदार निर्देशन
- फिल्म में इमोशंस, एक्शन और ड्रामा का परफेक्ट संतुलन था।
- मां-बेटे और भाई-भाई के रिश्ते को बहुत ही संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया गया।
निष्कर्ष
“दीवार” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक पीढ़ी के संघर्ष, दर्द और शक्ति की कहानी है।
“अगर आपने ‘दीवार’ नहीं देखी, तो आपने हिंदी सिनेमा का असली क्लासिक मिस कर दिया!”
“मेरे पास मां है!” – यह सिर्फ एक डायलॉग नहीं, बल्कि एक भावना है! ❤️
Best Dialogues and Quotes
“Mere paas maa hai.”
यह संवाद दर्शाता है कि जीवन में धन-दौलत से अधिक महत्वपूर्ण रिश्ते होते हैं। माँ के प्रेम और सहारे का कोई मोल नहीं होता।
“Aaj mere paas building hai, property hai, bank balance hai, bangla hai, gaadi hai. Kya hai tumhare paas?”
यह संवाद यह स्पष्ट करता है कि जीवन में भौतिक संपत्ति का बहुत महत्व होता है, लेकिन यह संवाद आगे जाकर इस बात को भी दर्शाता है कि असली खुशी और संतोष रिश्तों में है।
“Main aaj bhi phenke hue paise nahi uthata.”
यह संवाद स्वाभिमान और आत्मसम्मान की बात करता है। यह हमें सिखाता है कि अपने सम्मान का महत्व समझना चाहिए।
“Jao pehle us aadmi ka sign leke aao jisne mera baap ko chor kaha tha.”
यह संवाद यह बताता है कि हमें अपने परिवार की इज्जत की रक्षा करनी चाहिए और उनके खिलाफ बोले गए झूठ को चुनौती देना चाहिए।
“Tumhare pairon ke neeche zameen nahi, mere sir ke upar aasman nahi.”
यह संवाद जीवन की कठिनाइयों और अस्थिरता को दर्शाता है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने हालात का सही अंदाज़ा होना चाहिए।
“Aaj khush toh bahut hoge tum.”
यह संवाद सफलता की मिठास और उसके पीछे की कड़ी मेहनत को दर्शाता है। यह एक अभिव्यक्ति है कि मेहनत का फल मीठा होता है।
“Keh diya na, bas keh diya.”
यह संवाद दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यह बताता है कि जब हम कुछ तय कर लेते हैं, तो उसे पूरा करने की ताकत हममें होनी चाहिए।
“Mujhe jo chahiye uska main khud intezaam karunga.”
यह संवाद आत्मनिर्भरता और खुद पर विश्वास की बात करता है। यह हमें सिखाता है कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें खुद पर भरोसा करना चाहिए।
“Tum log mujhe wahan dhoondh rahe ho, aur main tumhara yahan intezaar kar raha hoon.”
यह संवाद आत्मविश्वास और सूझबूझ को दर्शाता है। यह बताता है कि हमें अपनी योजना और रणनीति पर विश्वास रखना चाहिए।
“Mujhe unka haath chahiye jo mujhe wahan se bahar nikaale.”
यह संवाद उस मदद की जरूरत को दर्शाता है जो हमें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाल सके। यह यह भी बताता है कि सहायता मांगने में कोई बुराई नहीं है।
“Ab tujhe kya jawab doon, tujhe kya samjhaun main?”
यह संवाद जीवन के जटिल प्रश्नों और उनके जवाब न मिलने की स्थिति को दर्शाता है। यह बताता है कि कभी-कभी सभी सवालों के जवाब नहीं होते।
“Maan gaya bhai, aap bahut tez hain.”
यह संवाद प्रतिस्पर्धा और दूसरे की प्रतिभा को स्वीकार करने की बात करता है। यह हमें सिखाता है कि हमें दूसरों की क्षमताओं को मान्यता देनी चाहिए।
“Likh di duniya ki sabse badi court me, likh diya maine.”
यह संवाद आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प की बात करता है। यह यह दर्शाता है कि हमें अपनी बात को मजबूती से रखने का साहस होना चाहिए।
“Mujhe maaf kar dena bhai.”
यह संवाद क्षमा और समझदारी का प्रतीक है। यह बताता है कि क्षमा मांगने और देने में ही सच्ची महानता है।
“Meri kahani bhi kisi film ki kahani ki tarah hai.”
यह संवाद जीवन के नाटक और उसकी अनिश्चितताओं को दर्शाता है। यह बताता है कि असली जीवन भी एक फिल्म की तरह होता है जिसमें कई मोड़ होते हैं।
“Mujhe unka haath chahiye jo mujhe wahan se bahar nikaale.”
यह संवाद सहायता के महत्व को दर्शाता है। यह यह भी बताता है कि हमें कभी-कभी दूसरों की मदद स्वीकार करनी चाहिए।
“Tumhare paas itna kuch hai, mere paas sirf ek maa hai.”
यह संवाद यह बताता है कि भौतिक चीजों के मुकाबले रिश्तों का महत्व अधिक होता है। माँ का साथ सबसे बड़ा धन है।
“Aaj mere paas building hai, property hai, bank balance hai, bangla hai, gaadi hai. Kya hai tumhare paas?”
यह संवाद भौतिक सफलता और उसके पीछे की खुशी के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है।
“Tum log mujhe wahan dhoondh rahe ho, aur main tumhara yahan intezaar kar raha hoon.”
यह संवाद धैर्य और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यह बताता है कि हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।
“Main aaj bhi phenke hue paise nahi uthata.”
यह संवाद आत्मसम्मान और आदर्शों के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
Interesting Facts
फिल्म का शीर्षक
“दीवार” का शीर्षक मूल रूप से “दीवारें” रखा गया था, लेकिन बाद में इसे बदलकर “दीवार” कर दिया गया।
अमिताभ बच्चन की भूमिका
अमिताभ बच्चन का किरदार विजय वर्मा, लेखक सलीम-जावेद द्वारा उनके पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता “अग्निपथ” से प्रेरित था।
शशि कपूर का प्रसिद्ध संवाद
शशि कपूर का प्रसिद्ध संवाद “मेरे पास मां है” को भारतीय फिल्म इतिहास के सबसे यादगार संवादों में गिना जाता है।
असली जीवन से प्रेरणा
फिल्म की कहानी एक असली डॉन हाजी मस्तान के जीवन से प्रेरित बताई जाती है।
फिल्म की शूटिंग
फिल्म की मुख्य शूटिंग मुंबई के प्रसिद्ध धारावी स्लम में की गई थी, जो 1970 के दशक में एक प्रमुख अपराध केंद्र था।
निर्देशक की पसंद
यश चोपड़ा ने पहले इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना को लेने की सोची थी, लेकिन बाद में उन्होंने अमिताभ बच्चन को चुना।
समाज पर प्रभाव
इस फिल्म ने उस समय की सामाजिक परिस्थितियों पर गहरा प्रभाव डाला और इसे ‘एंग्री यंग मैन’ की अवधारणा का जनक माना जाता है।
पुरस्कार और सम्मान
फिल्म ने कई फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जिसमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ संवाद शामिल हैं।
पार्श्व संगीत
आर. डी. बर्मन ने फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर को तैयार किया, जो फिल्म के भावनात्मक और नाटकीय दृश्यों को और प्रभावशाली बनाता है।
संवाद लेखन
फिल्म के संवादों को सलीम-जावेद की जोड़ी ने लिखा था, जो उस समय के सबसे मशहूर स्क्रिप्ट राइटर थे।
मैं जब भी अकेली होती हूँ – लता मंगेशकर
खईके पान बनारस वाला – किशोर कुमार
माँ ने मुझसे कहा – किशोर कुमार
कह दूं तुम्हें – किशोर कुमार, आशा भोंसले
इंस्टेंट कव्वाली – मन्ना डे, भूपिंदर सिंह, साथियों