“गाइड” 1965 की एक प्रतिष्ठित हिंदी फिल्म है, जो आर. के. नारायण के प्रसिद्ध उपन्यास “द गाइड” पर आधारित है। इस फिल्म का निर्देशन विजय आनंद ने किया है और इसमें देव आनंद और वहीदा रहमान मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म की कहानी एक गाइड, राजू के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करता है। राजू एक छोटे से कस्बे में पर्यटकों को ऐतिहासिक स्थलों की सैर कराने का काम करता है। उसकी जिंदगी में तब बदलाव आता है जब वह एक असंतुष्ट नर्तकी, रोज़ी, से मिलता है, जो अपने पति के साथ एक असफल वैवाहिक जीवन जी रही है। रोज़ी की कला के प्रति समर्पण और उसकी स्वतंत्रता की खोज, राजू को उसकी मदद करने के लिए प्रेरित करती है और वह उसे अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, राजू और रोज़ी के बीच का संबंध गहरा होता जाता है, लेकिन उनके जीवन में जटिलताएं भी बढ़ती जाती हैं। राजू, रोज़ी के करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह नैतिक और कानूनी समस्याओं में फंस जाता है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह राजू की महत्वाकांक्षाएं और गलत निर्णय उसे जेल तक पहुंचा देते हैं। जेल से बाहर आने के बाद, राजू की जिंदगी एक नए मोड़ पर पहुंचती है जब वह एक गांव में पहुंचता है और ग्रामीणों द्वारा उसे एक संत के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है। यह घटना राजू को आत्मनिरीक्षण करने और अपने जीवन के अर्थ को समझने का अवसर देती है।
फिल्म का आखिरी हिस्सा राजू के आत्म-बलिदान और पुनर्जन्म की कहानी को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे वह एक साधारण इंसान से एक आध्यात्मिक गाइड के रूप में परिवर्तित हो जाता है। “गाइड” न केवल एक रोमांटिक ड्रामा है, बल्कि यह मानव स्वभाव, मोक्ष और आत्म-खोज की जटिलताओं की गहन पड़ताल भी करता है। इसके संवाद, संगीत और निर्देशन ने इसे भारतीय सिनेमा की एक कालजयी कृति बना दिया है। एस. डी. बर्मन का संगीत और शैलेंद्र के गीत फिल्म की आत्मा को और भी प्रभावी बनाते हैं। “गाइड” अपने समय से आगे की सोच और समाज के प्रति नायक के दृष्टिकोण के कारण आज भी प्रासंगिक मानी जाती है।
गाइड (1965) – विस्तृत मूवी रीकैप
निर्देशक: विजय आनंद
कलाकार: देव आनंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू, लीलावती, अनवर हुसैन
संगीत: एस. डी. बर्मन
शैली: रोमांस, ड्रामा, आत्मा की खोज
भूमिका
“गाइड” भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और विचारोत्तेजक फिल्मों में से एक है। यह फिल्म आर. के. नारायण के प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यास “द गाइड” पर आधारित है।
“गाइड” एक साधारण टूर गाइड राजू की कहानी है, जो प्यार, धोखे, आत्म-खोज, और मोक्ष के जटिल रास्तों से गुजरता है। यह फिल्म एक इंसान के सांसारिक जीवन से आध्यात्मिक जीवन तक की यात्रा को दर्शाती है।
कहानी
प्रारंभ: राजू – एक टूर गाइड
राजू (देव आनंद) एक स्मार्ट, बातूनी और समझदार टूर गाइड है, जो पर्यटकों को ऐतिहासिक स्थलों की सैर कराता है।
- उसकी चालाकी और समझदारी से लोग प्रभावित होते हैं।
- उसे अपने आसपास के लोगों की कमजोरियां समझने की आदत होती है।
रोशन और रोजी की मुलाकात
राजू की जिंदगी तब बदल जाती है जब उसकी मुलाकात रोजी (वहीदा रहमान) और उसके पति मार्को (किशोर साहू) से होती है।
- मार्को एक पुरातत्वविद् (archaeologist) है, जो गुफाओं की खोज में व्यस्त रहता है।
- रोजी उसकी पत्नी है, लेकिन वह बहुत अवसाद में और असंतुष्ट रहती है।
रोजी का सपना: एक नर्तकी बनना
- रोजी बचपन से एक प्रसिद्ध नर्तकी बनना चाहती थी।
- लेकिन उसका पति मार्को उसे कंट्रोल करता है और उसकी इच्छाओं को दबा देता है।
- रोजी एक कैद पंछी की तरह महसूस करती है, जो अपने सपनों को जीना चाहती है।
राजू और रोजी का प्यार
राजू रोजी को समझता है और उसे स्वतंत्रता और प्रेम का अनुभव कराता है।
- धीरे-धीरे, राजू और रोजी एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं।
- रोजी अपने पति को छोड़ देती है और अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने का फैसला करती है।
- राजू रोजी का समर्थन करता है और उसे एक प्रसिद्ध नर्तकी बनने में मदद करता है।
गाना:
- “पिया तोसे नैना लागे रे” – रोजी के सपनों को सच होते हुए दिखाने वाला गीत।
राजू का पतन: लालच और धोखा
जब रोजी एक बड़ी स्टार बन जाती है, तब राजू लालच और भ्रम में फंसने लगता है।
- वह रोजी के पैसे और सफलता का फायदा उठाने लगता है।
- धीरे-धीरे, उसका व्यवहार बदलने लगता है और वह अपनी ही दुनिया में खो जाता है।
घोटाला और जेल की सजा
- एक दिन, राजू रोजी के नाम से एक जाली दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर देता है।
- जब यह बात सामने आती है, तो उसे धोखाधड़ी के आरोप में जेल भेज दिया जाता है।
- रोजी को गहरा सदमा पहुंचता है और वह उसे छोड़कर चली जाती है।
गाना:
- “दिन ढल जाए, हाय रात न जाए” – राजू के अकेलेपन और पछतावे को दर्शाने वाला गीत।
आध्यात्मिक यात्रा और मोक्ष
जेल से छूटने के बाद, राजू पूरी तरह से बदल चुका होता है।
- अब वह अपने अतीत को छोड़कर एक नया जीवन जीना चाहता है।
- वह एक छोटे से गांव में पहुंचता है, जहां लोग उसे संत (महात्मा) समझने लगते हैं।
राजू का आत्म-ज्ञान और बलिदान
- गांव में भयंकर सूखा पड़ जाता है और लोग उससे प्रार्थना करने को कहते हैं।
- राजू को पहली बार अपनी जिम्मेदारी और आत्म-ज्ञान का एहसास होता है।
- वह 12 दिन तक अनशन (उपवास) करता है, ताकि गांव में बारिश हो जाए।
गाना:
- “मोसे छल किए जाए” – जीवन के संघर्षों और धोखे को दर्शाने वाला गीत।
क्लाइमैक्स: बलिदान और मोक्ष
राजू का उपवास जारी रहता है और वह अंतिम सांस लेने से पहले आत्म-ज्ञान प्राप्त करता है।
- अंत में, जब वह गिरता है, तभी बारिश शुरू हो जाती है।
- गांववाले उसे एक संत और महान आत्मा के रूप में स्वीकार कर लेते हैं।
- वह एक स्वार्थी आदमी से आध्यात्मिक गुरु बन जाता है।
गाना:
- “कांटों से खींच के ये आंचल” – रोजी की आज़ादी और राजू के मोक्ष को दर्शाने वाला भावनात्मक गीत।
फिल्म की खास बातें
1. जीवन का गहरा दर्शन
- “गाइड” केवल एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि आध्यात्मिक परिवर्तन की कहानी है।
- यह फिल्म दिखाती है कि एक इंसान गलतियों से सीखकर खुद को कैसे बदल सकता है।
- भौतिक सफलता और आध्यात्मिक शांति के बीच का संघर्ष फिल्म की आत्मा है।
2. शानदार अभिनय
- देव आनंद ने राजू के किरदार में जान डाल दी और उनके अभिनय को आज भी सराहा जाता है।
- वहीदा रहमान का नृत्य और अभिनय फिल्म को एक अलग ही ऊंचाई पर ले जाता है।
3. कालजयी संगीत
एस. डी. बर्मन का संगीत इस फिल्म की आत्मा है। कुछ प्रसिद्ध गीत:
- “गाता रहे मेरा दिल” – रोमांस और जीवन के प्रति उत्साह को दर्शाने वाला गीत।
- “आज फिर जीने की तमन्ना है” – रोजी के आत्म-सशक्तिकरण को दर्शाने वाला प्रेरणादायक गीत।
- “क्या से क्या हो गया” – राजू के जीवन के उतार-चढ़ाव को दर्शाने वाला गीत।
4. शानदार निर्देशन और सिनेमाटोग्राफी
- विजय आनंद की कहानी कहने की शैली, कैमरा मूवमेंट और क्लोज़-अप शॉट्स इस फिल्म को एक सिनेमाई मास्टरपीस बनाते हैं।
- फिल्म के रंगों, प्राकृतिक दृश्यों और गहराई भरे संवादों ने इसे एक आइकॉनिक फिल्म बना दिया।
निष्कर्ष
“गाइड” केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक दर्शन है, एक आत्मा की यात्रा है। यह फिल्म हमें सिखाती है कि हमारी गलतियां हमें परिभाषित नहीं करतीं, बल्कि हम उनसे क्या सीखते हैं, वही मायने रखता है।
“गाइड” भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है, जो हर दौर में नई प्रेरणा देती है।
“आज फिर जीने की तमन्ना है!”
“गाइड” (1965) के बेहतरीन संवाद और अनसुने तथ्य
“गाइड” विजय आनंद द्वारा निर्देशित और देव आनंद और वहीदा रहमान द्वारा अभिनीत एक कालजयी फिल्म है, जो आर. के. नारायण के उपन्यास “द गाइड” पर आधारित है। यह फिल्म प्रेम, धोखा, आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की गहरी कहानी है। इसके संवाद और गाने आज भी यादगार हैं और जीवन के गहरे दर्शन को उजागर करते हैं।
🗣 सर्वश्रेष्ठ संवाद और उनका जीवन दर्शन
1. प्रेम और मोहभंग पर आधारित संवाद
📝 “तुम्हारे बिना इस दुनिया में कुछ भी अच्छा नहीं लगता, लेकिन तुम्हारे साथ यह दुनिया ही अच्छी नहीं लगती।”
👉 दर्शन: जब प्रेम अंधा हो जाता है, तो यह हमें सही-गलत का अहसास भी नहीं होने देता।
📝 “प्यार में जब धोखा मिलता है, तो इंसान सबसे पहले खुद से ही नफ़रत करने लगता है।”
👉 दर्शन: प्रेम में असफलता आत्म-संदेह और आत्म-घृणा को जन्म देती है।
📝 “तुम्हें पाकर भी तुम्हें खोने का डर था, और तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने की उम्मीद।”
👉 दर्शन: प्रेम का असली स्वरूप यही है – अधूरा, बेचैन और असमाप्त।
2. आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष पर आधारित संवाद
📝 “ज़िंदगी एक रंगमंच है, और हम सब बस किरदार निभा रहे हैं।”
👉 दर्शन: जीवन एक नाटक है, और हमें अपने हिस्से का काम निभाकर चले जाना है।
📝 “सच की राह पर चलने वाले कभी अकेले नहीं होते।”
👉 दर्शन: सच्चाई का रास्ता कठिन है, लेकिन उस पर चलने से आत्म-संतोष मिलता है।
📝 “जिस दिन मुझे यह समझ आया कि मैं कुछ नहीं हूँ, उसी दिन मैंने सब कुछ पा लिया।”
👉 दर्शन: अहंकार का त्याग ही आत्म-साक्षात्कार का मार्ग है।
3. समाज और उसकी सच्चाई पर आधारित संवाद
📝 “लोगों का काम है कहना, वो कहेंगे ही।”
👉 दर्शन: समाज हमेशा कुछ न कुछ कहता रहेगा, हमें अपने रास्ते पर ध्यान देना चाहिए।
📝 “जो लोग खुद को नहीं समझ सकते, वो दूसरों को क्या समझेंगे?”
👉 दर्शन: आत्म-ज्ञान के बिना दूसरों को समझना असंभव है।
📝 “धर्म के नाम पर जो अंधविश्वास है, वो इंसान को भगवान से दूर कर देता है।”
👉 दर्शन: सच्चा धर्म प्रेम और सेवा में है, न कि दिखावे और अंधविश्वास में।
4. सफलता और असफलता पर आधारित संवाद
📝 “कभी-कभी हारना ही जीतने का सबसे बड़ा सबक होता है।”
👉 दर्शन: असफलता हमें उन सबक को सिखाती है जो सफलता कभी नहीं सिखा सकती।
📝 “अहंकार में डूबा इंसान खुद को ही खो देता है।”
👉 दर्शन: अहंकार इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है, जो उसे भीतर से खोखला कर देता है।
📝 “सपने वो नहीं जो सोते वक्त आते हैं, सपने वो हैं जो सोने नहीं देते।”
👉 दर्शन: सच्चे सपने हमेशा इंसान को जाग्रत रखते हैं और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
5. जीवन और उसकी अनिश्चितता पर आधारित संवाद
📝 “कल की फिक्र में आज को बर्बाद मत करो।”
👉 दर्शन: वर्तमान में जीना ही असली सुख है, क्योंकि भविष्य किसी ने नहीं देखा।
📝 “जीवन एक नदी की तरह है, जो बहते रहने का नाम ही जीवन है।”
👉 दर्शन: ठहराव मृत्यु है, और प्रवाह ही जीवन है।
📝 “जिनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता, वही सबसे ज्यादा आज़ाद होते हैं।”
👉 दर्शन: असली स्वतंत्रता उन चीजों से मुक्त होने में है, जिनसे हम बंधे हुए हैं।
🌟 अनसुने और रोचक तथ्य (“गाइड” से जुड़े हुए) 🌟
1️⃣ पहली रंगीन फिल्म होने का गौरव
👉 “गाइड” देव आनंद की पहली पूर्ण रंगीन फिल्म थी, जो तकनीकी और सिनेमाटोग्राफी के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि थी।
2️⃣ देव आनंद और वहीदा रहमान के बीच रोमांस की अफवाह
👉 फिल्म की शूटिंग के दौरान, देव आनंद और वहीदा रहमान के अफेयर की खबरें आम थीं, लेकिन दोनों ने इसे हमेशा नकारा।
3️⃣ आर.के. नारायण ने फिल्म को नापसंद किया था
👉 उपन्यास के लेखक आर.के. नारायण को फिल्म का अंत और कई बदलाव पसंद नहीं आए और उन्होंने इसे अपनी किताब से बहुत अलग बताया।
4️⃣ दो भाषाओं में बनाई गई थी फिल्म
👉 “गाइड” हिंदी और अंग्रेजी, दोनों में बनाई गई थी। अंग्रेजी संस्करण का निर्देशन स्वयं देव आनंद ने किया था।
5️⃣ वहीदा रहमान का सबसे साहसी किरदार
👉 1960 के दशक में, रोसी का चरित्र – एक शादीशुदा महिला का अपने पति को छोड़कर दूसरे व्यक्ति के साथ जीवन शुरू करना – उस समय के लिए बेहद साहसिक और विवादास्पद था।
6️⃣ गोल्डन ग्लोब्स के लिए नामांकित हुई थी फिल्म
👉 “गाइड” गोल्डन ग्लोब्स में ‘बेस्ट फॉरेन फिल्म’ कैटेगरी में नामांकित हुई थी, जो उस समय भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
7️⃣ “आज फिर जीने की तमन्ना है” गीत एक टेक में रिकॉर्ड हुआ था
👉 लता मंगेशकर ने इस गाने को बिना किसी री-टेक के गाया और इसे आज भी हिंदी सिनेमा के सबसे आइकॉनिक गानों में गिना जाता है।
8️⃣ राज कपूर थे पहली पसंद
👉 राजू गाइड के किरदार के लिए पहली पसंद राज कपूर थे, लेकिन बाद में यह भूमिका देव आनंद को मिली और उन्होंने इसे अमर बना दिया।
9️⃣ देव आनंद की आत्मकथा में “गाइड” का विशेष उल्लेख
👉 अपनी आत्मकथा “Romancing with Life” में, देव आनंद ने “गाइड” को अपने करियर की सबसे पसंदीदा और चुनौतीपूर्ण फिल्म बताया है।
🔟 साहित्य से सिनेमा तक का सफर
👉 “गाइड” भारतीय सिनेमा की उन पहली फिल्मों में से थी, जिसने साहित्य को सिनेमा में बखूबी उतारा और उसे व्यावसायिक सफलता भी दिलाई।
निष्कर्ष
“गाइड” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार, प्रेम और मोक्ष की यात्रा है। इसके संवाद और गाने जीवन के गहरे अर्थ को उजागर करते हैं और इसे भारतीय सिनेमा का एक अमर क्लासिक बनाते हैं।
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Best Dialogues and Quotes
1. “हर आदमी के अंदर दो आदमी होते हैं।”
यह संवाद मनुष्य की द्वंद्वात्मक प्रकृति को दर्शाता है, जिसमें उसकी अच्छाई और बुराई दोनों शामिल होती हैं।
2. “मंज़िल पाने की खुशी उतनी नहीं होती, जितनी सफर की होती है।”
यह जिंदगी के सफर का महत्त्व समझाता है, जो गंतव्य से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।
3. “इंसान की सबसे बड़ी दुश्मन उसकी खुद की सोच होती है।”
यह विचार इस पर रोशनी डालता है कि हमारी सीमाएं अक्सर हमारी मानसिकता से निर्धारित होती हैं।
4. “सच्चा प्यार वो है जो आपको खुद से जोड़ दे।”
यह प्यार के वास्तविक अर्थ पर जोर देता है, जो आत्म-खोज और आत्म-स्वीकृति का मार्गदर्शन करता है।
5. “जो बीत गई सो बात गई।”
यह अतीत को भूलकर वर्तमान में जीने की सलाह देता है।
6. “खुद को पहचानना ही असली ज्ञान है।”
यह आत्मज्ञान की महत्ता को दर्शाता है, जो जीवन का असली लक्ष्य है।
7. “जिंदगी एक किताब की तरह है, हर पन्ना कुछ सिखाता है।”
यह जिंदगी के अनुभवों से सीखने की प्रक्रिया को दर्शाता है।
8. “असली आज़ादी मन की होती है।”
यह मानसिक स्वतंत्रता की अहमियत को बताता है।
9. “हर मुश्किल में एक सीख छुपी होती है।”
यह विपरीत परिस्थितियों में छिपी सकारात्मकता को पहचानने की प्रेरणा देता है।
10. “किसी का भी इंतज़ार मत करो, अपनी राह खुद बनाओ।”
यह आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की बात करता है।
11. “सपने देखने वालों के लिए कुछ भी असंभव नहीं।”
यह सपनों की शक्ति और उनकी प्राप्ति की संभावना पर जोर देता है।
12. “अहंकार से बड़ा कोई शत्रु नहीं।”
यह अहंकार के विनाशकारी प्रभावों पर प्रकाश डालता है।
13. “सच्चाई की राह कठिन होती है, पर यही सही राह है।”
यह सत्य के मार्ग पर चलने की कठिनाई और उसकी आवश्यकता को दर्शाता है।
14. “वक्त बदलता है, पर यादें हमेशा साथ रहती हैं।”
यह समय के बदलने के बावजूद स्मृतियों की स्थायीता को बताता है।
15. “हर रिश्ते की नींव विश्वास पर टिकी होती है।”
यह भरोसे के महत्व को सभी प्रकार के संबंधों में रेखांकित करता है।
16. “जितनी बड़ी सोच होगी, उतनी बड़ी सफलता मिलेगी।”
यह महत्वाकांक्षा और सफलता के बीच के संबंध को दर्शाता है।
17. “हर व्यक्ति की कहानी में कुछ अनकहा होता है।”
यह मानव जीवन की जटिलताओं और छुपे हुए पहलुओं पर ध्यान दिलाता है।
18. “खुद को बदलो, दुनिया अपने आप बदल जाएगी।”
यह आत्म-सुधार की शक्ति को दर्शाता है जो बाहरी बदलाव भी ला सकती है।
19. “जीवन में संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी कला है।”
यह जीवन में संतुलन की आवश्यकता और उसकी कला को रेखांकित करता है।
20. “हर दिन एक नया मौका है अपने सपनों को जीने का।”
यह रोज़मर्रा की शुरुआत को एक नए अवसर के रूप में देखने की प्रेरणा देता है।
Interesting Facts
हिंदी फिल्म “गाइड” की शूटिंग के दौरान एक अनोखा निर्णय
फिल्म “गाइड” की कहानी को निर्देशक विजय आनंद ने दो बार फिल्माया – एक बार हिंदी में और एक बार अंग्रेजी में। यह भारतीय सिनेमा के लिए उस समय एक दुर्लभ प्रक्रिया थी।
देव आनंद की प्रेरणा
फिल्म “गाइड” आर.के. नारायण के उपन्यास “द गाइड” पर आधारित थी। देव आनंद इस उपन्यास से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने इसे पर्दे पर लाने का निर्णय लिया।
हिट संगीत की रचना
फिल्म का संगीत एस.डी. बर्मन ने तैयार किया था और इसके गीत शैलेन्द्र ने लिखे थे। “आज फिर जीने की तमन्ना है” और “गाता रहे मेरा दिल” जैसे गाने आज भी बहुत लोकप्रिय हैं।
विजय आनंद का निर्देशन
देव आनंद ने अपने भाई विजय आनंद को इस फिल्म के निर्देशन के लिए चुना, जो पहले से ही “तेरे घर के सामने” जैसी सफल फिल्म बना चुके थे।
फिल्म के अंत पर विवाद
फिल्म के अंत को लेकर निर्देशक और लेखक आर.के. नारायण के बीच कुछ मतभेद थे। नारायण का मानना था कि फिल्म का अंत उनके उपन्यास से अलग था।
वहीदा रहमान की भूमिका
वहीदा रहमान ने फिल्म में रोज़ी की भूमिका निभाई, जो उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उन्होंने इस भूमिका के लिए विशेष नृत्य प्रशिक्षण भी लिया।
अंतर्राष्ट्रीय पहचान
फिल्म “गाइड” को 1966 के कान्स फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित किया गया था, जहाँ इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा मिली।
फिल्म का पहले नाम
फिल्म का शुरुआती नाम “द गाइड” रखा गया था, लेकिन बाद में इसे हिंदी में “गाइड” नाम दिया गया।
एस.डी. बर्मन की स्वास्थ्य समस्या
फिल्म के संगीत निर्देशन के दौरान एस.डी. बर्मन बीमार पड़ गए थे, जिससे फिल्म का संगीत तैयार करने में कुछ देरी हुई।
फिल्म की शूटिंग का स्थान
फिल्म का अधिकांश हिस्सा राजस्थान के उदयपुर और आसपास के क्षेत्रों में फिल्माया गया था, जो कहानी के लिए एकदम उपयुक्त पृष्ठभूमि प्रदान करता है।
1. “आजा आजा मैं हूँ प्यार तेरा” – मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर
2. “तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं” – मोहम्मद रफ़ी
3. “दिन ढल जाए” – मोहम्मद रफ़ी
4. “गाता रहे मेरा दिल” – किशोर कुमार, लता मंगेशकर
5. “पिया तोसे नैना लागे रे” – लता मंगेशकर
6. “काँटों से खींच के ये आँचल” – लता मंगेशकर
7. “सजना वे ” – लता मंगेशकर