निर्देशक
“कबीर सिंह” का निर्देशन संदीप रेड्डी वांगा ने किया है। यह फिल्म उनकी तेलुगु फिल्म “अर्जुन रेड्डी” का हिंदी रीमेक है।
मुख्य कलाकार
फिल्म में शाहिद कपूर ने कबीर सिंह का मुख्य किरदार निभाया है, जबकि कियारा आडवाणी ने प्रीति का किरदार निभाया है। इन दोनों के अलावा, फिल्म में सोहम मजूमदार, अरजन बाजवा और सुरेश ओबेरॉय ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं।
निर्माण
“कबीर सिंह” का निर्माण भूषण कुमार, मुराद खेतानी, कृष्ण कुमार और अश्विन वर्दे द्वारा किया गया है। फिल्म का निर्माण टी-सीरीज और सिने1 स्टूडियोज़ के बैनर तले किया गया है।
रिलीज़
यह फिल्म 21 जून 2019 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी और इसे दर्शकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया प्राप्त हुई थी, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई।
संगीत
“कबीर सिंह” का संगीत मिथुन, विशाल मिश्रा, सचेत-परंपरा और अकाशा द्वारा रचा गया है। इसके गाने जैसे “बेखयाली” और “तुझे कितना चाहने लगे” विशेष रूप से लोकप्रिय रहे।
🎙️🎬Full Movie Recap
मूवीज फिलॉसफी में स्वागत है!
नमस्ते दोस्तों, स्वागत है हमारे पॉडकास्ट ‘मूवीज फिलॉसफी’ में, जहां हम भारतीय सिनेमा की गहराइयों में उतरते हैं और कहानियों को उनके भावनात्मक और दार्शनिक पहलुओं के साथ आपके सामने पेश करते हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी फिल्म की, जो प्यार, गुस्से, टूटन और फिर से जुड़ने की कहानी बयान करती है। यह फिल्म है ‘कबीर सिंह’, जिसमें शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी ने मुख्य किरदार निभाए हैं। यह एक ऐसी कहानी है, जो दिल को छूती है, गुस्सा दिलाती है, और कई सवाल छोड़ जाती है। तो चलिए, बिना देर किए, इस कहानी के सफर पर निकलते हैं।
परिचय: कबीर सिंह की टूटी-फूटी दुनिया
‘कबीर सिंह’ एक ऐसी फिल्म है, जो प्यार की तीव्रता और जुनून को एक अलग ही रूप में पेश करती है। यह कहानी है कबीर राजधीर सिंह की, एक प्रतिभाशाली सर्जन की, जिसका जीवन गुस्से, नशे और टूटे हुए रिश्तों की भंवर में फंस गया है। कबीर का किरदार हमें एक ऐसे इंसान की झलक दिखाता है, जो अपने प्यार के लिए कुछ भी कर सकता है, लेकिन उसी प्यार में वह खुद को तबाह भी कर बैठता है। फिल्म की शुरुआत में ही हमें पता चलता है कि कबीर को उसके पिता राजधीर सिंह ने 82 दिन पहले घर से निकाल दिया था। वह नशे, शराब और एक रात के रिश्तों में डूबा हुआ है, लेकिन फिर भी एक निजी अस्पताल में सर्जन के तौर पर अपनी काबिलियत साबित कर रहा है। लेकिन यह सब क्यों? इसके पीछे की कहानी हमें फ्लैशबैक में ले जाती है।
कहानी: प्यार, गुस्सा और जुनून का तूफान
कहानी की शुरुआत दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से होती है, जहां कबीर राजधीर सिंह (शाहिद कपूर) एक हाउस सर्जन है। वह बेहद होनहार है, लेकिन उसका गुस्सा उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। कॉलेज के डीन (आदिल हुसैन) से लेकर जूनियर्स तक, सभी उसके गुस्से से डरते हैं। एक इंटर-कॉलेज फुटबॉल मैच के दौरान, जब विरोधी टीम का खिलाड़ी उसे उकसाता है और मारता है, तो कबीर का गुस्सा फट पड़ता है। वह रेफरी और उस खिलाड़ी को बुरी तरह पीट देता है। डीन उसे माफी मांगने या कॉलेज छोड़ने का अल्टीमेटम देते हैं। कबीर गर्व से कहता है, “माफी मांगना आसान है, लेकिन गलत को सहना जिंदगी की आदत बन जाता है। मैं ऐसा नहीं बनना चाहता।” यह डायलॉग (थीम के आधार पर बनाया गया) हमें कबीर के स्वाभिमान और जिद को दिखाता है।
इसी बीच उसकी जिंदगी में आती है प्रीति सिक्का (कियारा आडवाणी), एक फर्स्ट-ईयर स्टूडेंट। कबीर पहली ही नजर में प्रीति से प्यार कर बैठता है और अपने दोस्त शिवा (सोहम मजूमदार) के साथ तीसरे साल की क्लास में जाकर ऐलान करता है, “प्रीति मेरी है, और सिर्फ मेरी।” उसकी यह जिद और प्यार हमें एक जुनूनी प्रेमी की झलक दिखाता है। वह प्रीति को कॉलेज की रैगिंग से बचाता है, उसे जबरदस्ती अपनी पसंद के दोस्तों और रूममेट्स चुनने के लिए कहता है, और उसकी पढ़ाई भी खुद सिखाने लगता है। होली के दिन, जब एक लड़का अमित प्रीति को गलत तरीके से रंग लगाता है, तो कबीर का गुस्सा फिर से भड़क उठता है। वह अमित को बुरी तरह मारता है और कहता है, “प्रीति मेरी जिंदगी है, उसे छूने की हिम्मत मत करना!” (थीम के आधार पर बनाया गया)।
प्रीति पहले तो कबीर की इस हरकतों से डरती है, लेकिन धीरे-धीरे वह भी उसके प्यार में पड़ जाती है। दोनों का रिश्ता गहरा होता जाता है। एक बार प्रीति का पैर कांच से कट जाता है, और कबीर उसे लड़कों के हॉस्टल में ले आता है। यहीं से उनकी नजदीकियां बढ़ती हैं। बाद में, जब बाकी लड़के विरोध करते हैं, तो कबीर प्रीति को लेकर कॉलेज के बाहर एक किराए के अपार्टमेंट में शिफ्ट हो जाता है।
कबीर MBBS पूरा करके मसूरी चला जाता है, जहां वह ऑर्थोपेडिक सर्जरी में मास्टर्स करता है। इन तीन सालों में उनका रिश्ता और मजबूत होता है। लेकिन जब कबीर प्रीति के घर जाता है, तो उसके पिता हरपाल सिक्का (अनुराग अरोड़ा) उन्हें चूमते हुए देख लेते हैं और कबीर को घर से निकाल देते हैं। कबीर की दादी उसे समझाती हैं कि प्रीति के लिए उसका पिता सब कुछ है, और बिना उसकी मंजूरी के शादी मुमकिन नहीं। कबीर प्रीति को 6 घंटे का अल्टीमेटम देता है कि वह फैसला करे, वरना वह रिश्ता तोड़ देगा। प्रीति जब तक कबीर के घर पहुंचती है, वह नशे में धुत होकर मॉर्फिन ले चुका होता है और दो दिन तक बेहोश रहता है। इधर, प्रीति की जबरदस्ती शादी कर दी जाती है। जब कबीर को यह पता चलता है, तो वह प्रीति के घर पहुंचता है, हंगामा करता है, और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है। उसके पिता उसे घर से निकाल देते हैं। कबीर टूट जाता है और कहता है, “प्यार ने मुझे बनाया भी और बर्बाद भी कर दिया।” (थीम के आधार पर बनाया गया)।
चरमोत्कर्ष: टूटन और पुनर्मिलन
कबीर का जीवन अब नशे, शराब और एक रात के रिश्तों में डूब जाता है। वह एक निजी अस्पताल में सर्जन बन जाता है, लेकिन उसकी आत्म-विनाशी प्रवृत्ति उसके दोस्तों शिवा और कमल को परेशान करती है। वह एक मशहूर अभिनेत्री जिया शर्मा (निकिता दत्ता) के साथ रिश्ता बनाता है, लेकिन जब जिया उससे प्यार करने लगती है, तो वह उसे छोड़ देता है। एक दिन, एक सर्जरी के दौरान वह डिहाइड्रेशन से गिर पड़ता है। जांच में पता चलता है कि उसके खून में शराब और कोकेन के निशान हैं। अस्पताल प्रमुख उसके खिलाफ केस दर्ज करता है, और कबीर अपनी गलती स्वीकार करता है। उसका मेडिकल लाइसेंस 5 साल के लिए रद्द कर दिया जाता है। वह कहता है, “मैंने खुद को सजा दी, अब दुनिया भी मुझे सजा दे रही है।” (थीम के आधार पर बनाया गया)।
इसी बीच, उसे अपनी दादी की मौत की खबर मिलती है। वह अपने पिता से मिलता है और दोनों में सुलह हो जाती है। कबीर अपनी बुरी आदतें छोड़ देता है। एक दिन, वह पार्क में प्रीति को देखता है, जो गर्भवती है और उदास दिख रही है। वह उससे कहता है कि अगर वह अपनी शादी में खुश नहीं है, तो वह बच्चे को साथ में पालने को तैयार है। प्रीति पहले गुस्से में उसे डांटती है, लेकिन जब शिवा उसे कबीर की जुनूनी और आत्म-विनाशी जिंदगी के बारे में बताता है, तो वह टूट जाती है। वह बताती है कि उसने शादी के तीन दिन बाद ही अपने पति को छोड़ दिया था और एक क्लिनिक में काम करके खुद को संभाल रही थी। वह यह भी खुलासा करती है कि बच्चा कबीर का है। दोनों फिर से एक हो जाते हैं, और उनकी शादी हो जाती है। हरपाल भी उनसे माफी मांगता है, और दोनों परिवार एकजुट हो जाते हैं।
निष्कर्ष: प्यार की जीत या जुनून की हार?
‘कबीर सिंह’ एक ऐसी फिल्म है, जो प्यार और जुनून के बीच की पतली रेखा को दिखाती है। कबीर का किरदार हमें सिखाता है कि प्यार कितना खूबसूरत हो सकता है, लेकिन अगर वह जुनून में बदल जाए, तो वह हमें और हमारे अपनों को भी तबाह कर सकता है। फिल्म का अंत भले ही खुशहाल हो, लेकिन यह हमें कई सवालों के साथ छोड़ जाता है। क्या कबीर का प्यार सच्चा था, या यह सिर्फ उसकी जिद थी? क्या प्रीति ने उसे माफ करके सही किया? फिल्म का एक डायलॉग हमें सोचने पर मजबूर करता है, “प्यार में सब जायज है, लेकिन खुद को खो देना नहीं।” (थीम के आधार पर बनाया गया)।
तो दोस्तों, यह थी ‘कबीर सिंह’ की कहानी। हमें बताएं कि आपको यह फिल्म कैसी लगी और कबीर के किरदार ने आपको क्या सिखाया। अगले एपिसोड तक के लिए अलविदा, और देखते रहिए ‘मूवीज फिलॉसफी’। धन्यवाद!
🎥🔥Best Dialogues and Quotes
जो हमारा नहीं हो सकता, उसे हम किसी और का होने भी नहीं देंगे।
तू मेरी बैंड बजाके रखेगी।
मैंने महसूस किया है कि जब तुम्हारे साथ होता हूँ तो खुद को और भी जिंदा पाता हूँ।
कितना भी ट्राई कर लो, लाइफ में कुछ ना कुछ तो छूटेगा ही।
जब मेरा मूड खराब होता है, न तो मैं किसी की नहीं सुनता।
तूफ़ान को रोकने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती।
प्यार में सही और गलत नहीं होता।
डिग्निटी और एटीट्यूड में बहुत फ़र्क होता है, डॉक्टर कबीर राज़धीर सिंह।
तू मेरे साथ नहीं रह सकती तो किसी और के साथ भी नहीं रह सकती।
मेरी ज़िंदगी का एक ही उसूल है, नो बकवास, सिर्फ सर्जरी।
🎭🔍 Behind-the-Scenes & Trivia
फिल्म “कबीर सिंह” एक ऐसी कहानी है जिसने भारतीय सिनेमा में अपनी गहरी छाप छोड़ी। शाहिद कपूर ने इस फिल्म में टाइटल रोल निभाया था और उनके अभिनय की प्रशंसा हर तरफ हुई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शाहिद ने इस भूमिका के लिए विशेष तैयारी की थी? उन्होंने किरदार की गहराई में जाने के लिए असली डॉक्टर्स के साथ समय बिताया और उनकी लाइफस्टाइल को समझने की कोशिश की। इसके अलावा, उन्होंने फिल्म के लिए 14 किलो वजन बढ़ाया ताकि कबीर सिंह के लुक को सही तरीके से प्रस्तुत किया जा सके। इस तरह की डेडिकेशन से ही शायद शाहिद का प्रदर्शन इतना सजीव और प्रभावशाली बन पाया।
कबीर सिंह की शूटिंग के दौरान कई दिलचस्प घटनाएं भी हुईं। एक खास सीन में जहां शाहिद का किरदार नशे में धुत्त होकर सड़कों पर घूमता है, वो सीन असली लोकेशन पर शूट किया गया था और इसके लिए शाहिद ने सचमुच बिना किसी नकली शराब के नशे में अभिनय किया। इस सीन की शूटिंग के बाद शाहिद को काफी थकावट महसूस हुई, लेकिन उन्होंने इसे अपने अभिनय का एक हिस्सा माना। इसके अलावा, फिल्म के कुछ हिस्से को रियल मेडिकल कॉलेज में शूट किया गया, जिससे फिल्म की प्रामाणिकता बढ़ गई।
फिल्म में कई छोटे-छोटे ईस्टर एग्स भी छुपे हुए हैं। उदाहरण के लिए, कबीर सिंह के कमरे में लगे पोस्टर्स और किताबें उसकी मनोदशा और पसंद-नापसंद को दर्शाते हैं। फिल्म के डायरेक्टर संदीप वांगा ने इन डिटेल्स पर विशेष ध्यान दिया ताकि दर्शक कबीर के किरदार की जटिलताओं को गहराई से समझ सकें। इसके साथ ही, फिल्म में इस्तेमाल किया गया म्यूजिक भी कबीर की भावनात्मक यात्रा को बखूबी दर्शाता है। गानों के बोल और उनका मूड कहानी के साथ इतनी खूबसूरती से जुड़ा हुआ है कि दर्शक इसे महसूस किए बिना नहीं रह सकते।
फिल्म “कबीर सिंह” के मनोविज्ञान पर भी कई चर्चाएं हुईं। कबीर का किरदार एक जटिल मानसिक स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है, जहां प्यार, गुस्सा और आत्म-विनाश का मिश्रण दिखाया गया है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, यह किरदार एक प्रकार के बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर से पीड़ित दिखाई देता है, जहां उसकी भावनाएं और प्रतिक्रियाएं अत्यंत तीव्र होती हैं। फिल्म ने दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर किया कि प्रेम और जुनून के बीच की रेखा कितनी पतली हो सकती है।
फिल्म की रिलीज के बाद इसके प्रभाव और विरासत पर भी खूब चर्चा हुई। “कबीर सिंह” ने बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार सफलता हासिल की और यह शाहिद कपूर के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बन गई। लेकिन इसके साथ ही, फिल्म ने समाज में कई मुद्दों को भी उठाया, जैसे कि टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी और रिश्तों में सीमा का अतिक्रमण। इस पर कई आलोचकों और दर्शकों ने विचार किया और यह फिल्म एक व्यापक बहस का हिस्सा बन गई।
कुल मिलाकर, “कबीर सिंह” एक ऐसी फिल्म थी जिसने अपनी कहानी, अभिनय और संगीत के माध्यम से दर्शकों के दिलों में गहरे छाप छोड़ी। इस फिल्म ने यह सिद्ध कर दिया कि जब मनोरंजन और जटिल मानवीय भावनाओं को एक साथ प्रस्तुत किया जाए, तो वह दर्शकों को न केवल प्रभावित करता है, बल्कि उन्हें सोचने पर भी मजबूर करता है। इस फिल्म की सफलता और उसके इर्द-गिर्द की चर्चाएं यह दर्शाती हैं कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने का एक सशक्त जरिया भी हो सकता है।
🍿⭐ Reception & Reviews
संदीप रेड्डी वांगा द्वारा निर्देशित, यह रोमांटिक ड्रामा (तेलुगु फिल्म अर्जुन रेड्डी का रीमेक) शाहिद कपूर को एक ऑब्सेसिव प्रेमी और सर्जन के रूप में दिखाता है। फिल्म को शाहिद के तीव्र अभिनय, संगीत (“बेखयाली”), और बोल्ड रोमांस के लिए सराहा गया, लेकिन कबीर के टॉक्सिक व्यवहार और महिलाओं के चित्रण की तीखी आलोचना हुई। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे 3.5/5 रेटिंग दी, इसे “शक्तिशाली लेकिन परेशान करने वाला” कहा। रेडिफ ने शाहिद और कियारा आडवाणी की केमिस्ट्री की तारीफ की। दर्शकों ने इसके भावनात्मक प्रभाव को पसंद किया, लेकिन X पोस्ट्स में इसे टॉक्सिक मस्कुलिनिटी को बढ़ावा देने के लिए विवादास्पद माना गया। यह बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर थी (₹379 करोड़)। Rotten Tomatoes: 44%, IMDb: 7.0/10, Times of India: 3.5/5, Bollywood Hungama: 3.5/5।