छावा’ फिल्म छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित एक ऐतिहासिक ड्रामा है, जिसका निर्देशन लक्ष्मण उतेकर ने किया है। फिल्म में विक्की कौशल ने संभाजी महाराज की भूमिका निभाई है, जबकि रश्मिका मंदाना ने उनकी पत्नी येसुबाई का किरदार अदा किया है। अन्य प्रमुख कलाकारों में अक्षय खन्ना (औरंगजेब), आशुतोष राणा (सर लश्कर हंबीराव मोहिते) और विनीत कुमार सिंह (कवि कलश) शामिल हैं।
कहानी सारांश:
फिल्म की कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद शुरू होती है, जब मुगल शासक औरंगजेब (अक्षय खन्ना) यह मान लेता है कि अब दक्खन में उसे चुनौती देने वाला कोई नहीं बचा। लेकिन शिवाजी महाराज के पुत्र, 24 वर्षीय निर्भीक योद्धा संभाजी उर्फ़ छावा (विक्की कौशल), अपने पिता के स्वराज्य के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। संभाजी अपनी पत्नी येसुबाई (रश्मिका मंदाना) और सेनापति हंबीराव मोहिते (आशुतोष राणा) के साथ मिलकर मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखते हैं। वे बुरहानपुर पर आक्रमण कर मुगल सेना को पराजित करते हैं, जिससे औरंगजेब की चिंता बढ़ जाती है। इसके बाद नौ वर्षों तक संभाजी और उनकी सेना मुगलों के विभिन्न किलों पर आक्रमण करते हैं, जिससे औरंगजेब की रणनीतियाँ विफल हो जाती हैं। हालांकि, अंततः विश्वासघात के कारण संभाजी को गिरफ्तार कर लिया जाता है, जहां उन्हें कठोर यातनाओं का सामना करना पड़ता है। फिल्म उनके बलिदान और अडिग साहस को प्रदर्शित करती है।
प्रमुख पात्र:
- संभाजी महाराज (विक्की कौशल): मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति, जिन्होंने अपने पिता शिवाजी महाराज के स्वराज्य के सपने को आगे बढ़ाया और मुगलों के खिलाफ नौ वर्षों तक संघर्ष किया।
- येसुबाई (रश्मिका मंदाना): संभाजी महाराज की पत्नी, जो संकट के समय में अपने पति के साथ खड़ी रहीं और स्वराज्य की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- औरंगजेब (अक्षय खन्ना): मुगल शासक, जो दक्खन पर पूर्ण नियंत्रण की इच्छा रखता था, लेकिन संभाजी महाराज के प्रतिरोध के कारण उसे निरंतर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- सर लश्कर हंबीराव मोहिते (आशुतोष राणा): संभाजी महाराज के सेनापति, जिन्होंने युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- कवि कलश (विनीत कुमार सिंह): संभाजी महाराज के मित्र और सलाहकार, जो उनकी यात्रा में साथ रहे।
समीक्षा:
फिल्म को समीक्षकों से मिश्रित प्रतिक्रियाएँ मिली हैं। नवभारत टाइम्स ने इसे 3/5 सितारे देते हुए विक्की कौशल के अभिनय की प्रशंसा की है, लेकिन कहानी में गहराई की कमी महसूस की है। प्रभात खबर ने भी विक्की कौशल और अक्षय खन्ना के प्रदर्शन की सराहना की है, लेकिन स्क्रीनप्ले को कमजोर बताया है। जनसत्ता ने फिल्म को 3.5/5 सितारे देते हुए विक्की कौशल की यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस मानी है।
निष्कर्ष:
‘छावा’ एक ऐतिहासिक फिल्म है जो छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन, उनके साहस और बलिदान को प्रदर्शित करती है। विक्की कौशल का उत्कृष्ट अभिनय और भव्य एक्शन सीक्वेंस फिल्म की प्रमुख विशेषताएँ हैं। हालांकि, कुछ समीक्षकों ने कहानी में गहराई की कमी की ओर संकेत किया है। यदि आप ऐतिहासिक फिल्मों के शौकीन हैं और मराठा योद्धाओं की गाथा से प्रेरित होना चाहते हैं, तो ‘छावा’ एक देखने योग्य फिल्म है।
अधिक जानकारी के लिए, आप नीचे दिए गए वीडियो समीक्षा देख सकते हैं:
‘छावा’ फिल्म की गहरी समीक्षा और ब्रेकडाउन
फिल्म का नाम: छावा
निर्देशक: लक्ष्मण उतेकर
मुख्य कलाकार:
- विक्की कौशल (संभाजी महाराज)
- रश्मिका मंदाना (येसुबाई)
- अक्षय खन्ना (औरंगजेब)
- आशुतोष राणा (हंबीराव मोहिते)
- विनीत कुमार सिंह (कवि कलश)
1. फिल्म की पृष्ठभूमि
‘छावा’ फिल्म मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति, संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है। यह कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद के घटनाक्रम को दर्शाती है, जब मुगल शासक औरंगजेब दक्षिण भारत में अपना आधिपत्य जमाने के लिए पूरी कोशिश करता है।
लेकिन संभाजी महाराज, जो अपने पिता के समान ही वीर, बुद्धिमान और रणनीतिकार थे, अपने साम्राज्य की रक्षा करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। यह फिल्म संभाजी महाराज के संघर्ष, उनके नेतृत्व, युद्धनीति और अंततः बलिदान की कहानी बयां करती है।
2. फिल्म का विस्तार से घटनाक्रम (ब्रेकडाउन)
पहला भाग: संघर्ष की शुरुआत
- शिवाजी महाराज का निधन होते ही मुगल साम्राज्य दक्षिण भारत में विस्तार के लिए आगे बढ़ता है।
- औरंगजेब को लगता है कि अब मराठा साम्राज्य कमजोर हो चुका है, लेकिन संभाजी महाराज अपने पिता के सपने को आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हैं।
- इस दौरान अंदरूनी राजनीति भी दिखती है, जहां मराठा दरबार में ही कुछ लोग संभाजी को हटाने की साजिश रचते हैं।
- संभाजी महाराज की पत्नी येसुबाई हर स्थिति में उनके साथ खड़ी रहती हैं और उनके संकल्प को और मजबूत करती हैं।
दूसरा भाग: मुगलों से युद्ध और रणनीति
- संभाजी महाराज औरंगजेब की सेना को मात देने के लिए छापामार युद्धनीति अपनाते हैं।
- वे बुरहानपुर पर हमला करते हैं, जिससे मुगलों को भारी नुकसान होता है।
- इस घटना से औरंगजेब को यह अहसास होता है कि संभाजी उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती बनने वाले हैं।
- इसके बाद लगभग 9 वर्षों तक मराठा और मुगलों के बीच युद्ध चलता है।
तीसरा भाग: विश्वासघात और गिरफ्तारी
- मुगलों को बार-बार हार का सामना करना पड़ता है, लेकिन वे राजनीतिक चालें खेलते हैं।
- कुछ मराठा सरदार धोखा देते हैं और मुगलों से मिल जाते हैं, जिससे संभाजी महाराज की स्थिति कमजोर हो जाती है।
- अंततः, एक षड्यंत्र के तहत संभाजी महाराज को गिरफ्तार कर लिया जाता है।
चौथा भाग: यातनाएँ और बलिदान
- औरंगजेब चाहता है कि संभाजी इस्लाम कबूल कर लें, लेकिन वे अपने धर्म और मराठा गौरव से कभी समझौता नहीं करते।
- उन्हें कठोर यातनाएँ दी जाती हैं, लेकिन वे अडिग रहते हैं।
- अंततः, संभाजी महाराज को क्रूरता से मार दिया जाता है, लेकिन उनकी शहादत मराठा सेना के लिए और अधिक प्रेरणा बन जाती है।
- उनकी मृत्यु के बाद भी, मराठा साम्राज्य और अधिक मजबूत होता है और अंततः मुगलों का पतन होता है।
3. फिल्म की खास बातें
ए. किरदारों का प्रदर्शन
- विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के रूप में जबरदस्त अभिनय किया है। उनका जोश, संवाद अदायगी और युद्ध दृश्यों में उनकी ऊर्जा देखने लायक है।
- रश्मिका मंदाना ने येसुबाई की भूमिका में शानदार काम किया है। उनके दृढ़ निश्चय और अपने पति के लिए प्रेम को बहुत ही भावनात्मक रूप से दिखाया गया है।
- अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के रूप में बेहतरीन अभिनय किया है। उनका किरदार बहुत ही प्रभावशाली और खतरनाक दिखता है।
बी. युद्ध और एक्शन सीक्वेंस
- फिल्म में महाकाव्य युद्ध दृश्य दिखाए गए हैं, जो भव्यता और ऐतिहासिक सटीकता से भरपूर हैं।
- घुड़सवारी, तलवारबाजी और छापामार युद्धनीति को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
सी. बैकग्राउंड स्कोर और सिनेमेटोग्राफी
- फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर शक्तिशाली और उत्साहित करने वाला है।
- सिनेमेटोग्राफी भी शानदार है, जिससे मराठा साम्राज्य का यथार्थपूर्ण चित्रण होता है।
4. फिल्म की समीक्षा (रेटिंग और राय)
सकारात्मक पहलू:
✔ विक्की कौशल का दमदार अभिनय
✔ इतिहास को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है
✔ महाकाव्य युद्ध दृश्य और एक्शन सीक्वेंस
✔ भावनात्मक गहराई और दमदार संवाद
नकारात्मक पहलू:
❌ कुछ जगहों पर स्क्रिप्ट कमजोर लगती है।
❌ कुछ सहायक किरदारों को अधिक विकसित किया जा सकता था।
रेटिंग:
⭐ IMDb: 7.5/10
⭐ Rotten Tomatoes: 80%
⭐ नवभारत टाइम्स: 3.5/5
5. निष्कर्ष
‘छावा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि संभाजी महाराज के बलिदान और वीरता की गाथा है।
यह फिल्म इतिहास प्रेमियों, एक्शन मूवी दर्शकों और मराठा संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए जरूरी रूप से देखने लायक है।
क्या आपको यह फिल्म देखनी चाहिए?
अगर आप ऐतिहासिक फिल्मों और वीर गाथाओं के प्रशंसक हैं, तो ‘छावा’ जरूर देखें!
’छावा’ फिल्म में कई प्रभावशाली संवाद हैं जो दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख डायलॉग्स प्रस्तुत हैं:
- “हमारा युद्ध किसी धर्म के विरुद्ध नहीं है, हम हर धर्म का सम्मान करते हैं।”
— विक्की कौशल (छत्रपति संभाजी महाराज) - “सह्याद्री के पहाड़ों में, गोदावरी की लहरों में, रायगढ़ की मिट्टी में, नासिक की हवाओं में, कोंकण के कोनों में, आई भवानी की चरणों में लाखों मराठाओं के नस-नस में है स्वराज्य।”
— विक्की कौशल (छत्रपति संभाजी महाराज) - “काश मेरी एक औलाद संभाजी जैसी होती तो हिन्दुस्तान क्या, पूरी दुनिया मेरी होती।”
— अक्षय खन्ना (औरंगजेब) - “हाथी, घोड़े, तोप, तलवारें, फौज तो तेरी सारी है, पर जंजीरों में जकड़ा मेरा राजा अब भी सब पर भारी है।”
— विनीत कुमार (कवि कलश) - “संभा अपनी मौत का जश्न मना कर चला गया और हमें छोड़ गया अपनी जिंदगी का मातम मनाने।”
— डायना पेंटी (अकबर की बेटी) - “फाड़ देंगे मुगल सल्तनत की छाती, अगर मराठा साम्राज्य के विरुद्ध सोचने की भी जुर्रत की।” TV9 Hindi+1YouTube+1dainandini.in
- “हम शोर नहीं करते, सीधा शिकार करते हैं।” dainandini.in
- “मौत के घुंघरू पहन के नाचते हैं हम औरंग, हमारी मौत मराठों के हर घर एक नया सिवा, एक नया संभा पैदा करेगी, लेकिन जब तू मरेगा तब ये तेरी मुगल सल्तनत भी मर जाएगी।” dainandini.in
- “मन के जीते जीत है, मन के हारे हार, हार गए जो बिन लड़े, उन पर है धिक्कार।” dainandini.in
- “भोंसले परिवार का हर पुरुष पहाड़ी तूफान है, जिसकी गति को पर्वत भी नहीं रोक पाया, उसका कोई क्या बिगाड़ लेगा।” dainandini.in
इन संवादों ने फिल्म की गहराई और भावनात्मक प्रभाव को और भी प्रबल बनाया है, जो दर्शकों के बीच लंबे समय तक याद रहेंगे।
’छावा’ फिल्म से जुड़े कुछ रोचक और कम ज्ञात तथ्य निम्नलिखित हैं:
- विक्की कौशल का शारीरिक परिवर्तन: संभाजी महाराज की भूमिका के लिए विक्की कौशल ने विशेष प्रशिक्षण लिया, जिसमें तलवारबाजी, घुड़सवारी और मराठी भाषा की बारीकियाँ शामिल थीं। उन्होंने अपने शारीरिक स्वरूप में भी बदलाव किया ताकि वे ऐतिहासिक योद्धा की भूमिका में पूरी तरह फिट हो सकें।
- रश्मिका मंदाना की मराठी सीखने की यात्रा: दक्षिण भारतीय फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रश्मिका मंदाना ने येसुबाई की भूमिका निभाने के लिए मराठी भाषा सीखी। उन्होंने मराठी संस्कृति और इतिहास को समझने के लिए विशेष कक्षाएँ लीं, जिससे उनके प्रदर्शन में प्रामाणिकता आई।
- अक्षय खन्ना का ऐतिहासिक किरदार: अक्षय खन्ना ने औरंगजेब की भूमिका निभाने के लिए मुगल इतिहास का गहन अध्ययन किया। उन्होंने उर्दू भाषा और मुगल दरबार की शिष्टाचार को समझने के लिए विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लिया, जिससे उनके किरदार में गहराई आई।
- वास्तविक स्थानों पर शूटिंग: फिल्म की प्रामाणिकता बढ़ाने के लिए, कई महत्वपूर्ण दृश्यों की शूटिंग महाराष्ट्र के वास्तविक किलों और ऐतिहासिक स्थानों पर की गई। इससे दर्शकों को मराठा साम्राज्य की वास्तविक झलक मिलती है।
- संगीत में मराठी लोक धुनों का समावेश: फिल्म के संगीत में मराठी लोक धुनों और पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग किया गया है, जिससे साउंडट्रैक में सांस्कृतिक गहराई आई है।
- कला निर्देशन और वेशभूषा की प्रामाणिकता: कला निर्देशक और वेशभूषा डिजाइनरों ने 17वीं शताब्दी के मराठा और मुगल परिधानों का गहन अध्ययन किया, जिससे फिल्म में उस युग की सटीकता प्रतिबिंबित होती है।
- बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन: फिल्म ने रिलीज के बाद बॉक्स ऑफिस पर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया, जिससे यह विक्की कौशल के करियर की एक महत्वपूर्ण फिल्म बन गई।
- लेखक का योगदान: फिल्म की कहानी मराठी लेखक शिवाजी सावंत के प्रसिद्ध उपन्यास ‘छावा’ पर आधारित है, जो संभाजी महाराज के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालता है।
- संभाजी महाराज की कविताएँ: फिल्म में संभाजी महाराज की कविताओं और साहित्यिक योगदान को भी दर्शाया गया है, जो कम ही लोगों को ज्ञात है।
- अंतर्राष्ट्रीय पहचान: ‘छावा’ ने न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी प्रशंसा प्राप्त की, जिससे मराठा इतिहास को वैश्विक मंच पर पहचान मिली।
इन तथ्यों से पता चलता है कि ‘छावा’ फिल्म को बनाने में कितनी मेहनत और शोध किया गया है, जिससे यह एक प्रामाणिक और प्रभावशाली ऐतिहासिक प्रस्तुति बन सकी।