जाने भी दो यारो (1983) – विस्तृत मूवी रीकैप
निर्देशक: कुंदन शाह
लेखक: कुंदन शाह, रंजीत कपूर, सतीश कौशिक
कलाकार: नसीरुद्दीन शाह, रवि बसवानी, ओम पुरी, पंकज कपूर, सतीश शाह, सतीश कौशिक, भावना भाटिया, नीना गुप्ता
संगीत: वानराज भाटिया
शैली: कॉमेडी, सटायर, क्राइम
भूमिका
“जाने भी दो यारो” भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन सटायरिकल (व्यंग्यात्मक) फिल्मों में से एक है।
- यह भ्रष्टाचार, राजनीति और सिस्टम की खामियों पर एक जबरदस्त कटाक्ष करती है।
- कुंदन शाह की यह फिल्म हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक्स में गिनी जाती है।
- इसमें कॉमेडी और ट्रैजेडी का ऐसा अनोखा मिश्रण था, जिसे आज भी हर सिनेमा प्रेमी पसंद करता है।
कहानी
प्रारंभ: विनोद और सुदीर – दो स्ट्रगलिंग फोटोग्राफर
- कहानी की शुरुआत होती है विनोद (नसीरुद्दीन शाह) और सुदीर (रवि बसवानी) से, जो दो फोटोग्राफर होते हैं।
- वे अपनी नई फोटो स्टूडियो “बॉम्बे फोटो” खोलते हैं और ईमानदारी से काम करके सफलता पाने का सपना देखते हैं।
- लेकिन मुंबई की भ्रष्ट व्यवस्था में ईमानदारी के लिए कोई जगह नहीं होती।
भ्रष्ट बिल्डर और घोटाले का पर्दाफाश
- बिजनेसमैन तारनेजा (पंकज कपूर) और अहूजा (ओम पुरी) दो भ्रष्ट बिल्डर होते हैं, जो सरकारी अधिकारियों से मिलकर घोटाले करते हैं।
- वे अवैध रूप से बिल्डिंग निर्माण कराते हैं और सरकारी तंत्र को अपने नियंत्रण में रखते हैं।
- विनोद और सुदीर को एक पत्रकार श्रोवण कुमार (भावना भाटिया) एक घोटाले की तस्वीरें लेने के लिए भेजती है।
मर्डर का खुलासा – लाश के पीछे भागमभाग
- जब वे तस्वीरें डेवेलप करते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि उन्होंने गलती से एक मर्डर की तस्वीर ले ली है।
- मर्डर का शिकार धीमान (सतीश शाह) नाम का एक इंजीनियर होता है, जिसे इन बिल्डर्स ने रास्ते से हटा दिया था।
- अब, विनोद और सुदीर के पास सबूत है, लेकिन भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ इसे साबित करना मुश्किल है।
गाना:
- “हम होंगे कामयाब” – फिल्म का सबसे प्रतीकात्मक और व्यंग्यात्मक गीत।
क्लाइमैक्स – महाभारत का मजेदार सीन
- सबसे मजेदार और आइकॉनिक सीन तब आता है, जब सभी किरदार एक थिएटर में महाभारत नाटक के दौरान घुस जाते हैं।
- मर्डर की लाश (सतीश शाह) बार-बार अलग-अलग लोगों के हाथ लग जाती है, और सभी भीष्म पितामह के किरदार में लाश को छुपाने की कोशिश करते हैं।
- यह सीन हिंदी सिनेमा के सबसे मजेदार सीन्स में से एक माना जाता है।
अंत – सच्चाई की हार, भ्रष्टाचार की जीत
- अंत में, भ्रष्ट सिस्टम और ताकतवर लोग जीत जाते हैं।
- विनोद और सुदीर बेगुनाह होते हुए भी जेल में डाल दिए जाते हैं।
- फिल्म का अंत एक बहुत ही गंभीर संदेश के साथ होता है – कि भारत में ईमानदारी और सच बोलने वालों की कोई जगह नहीं है।
फिल्म की खास बातें
1. भारतीय सिस्टम और भ्रष्टाचार पर कटाक्ष
- यह फिल्म सिर्फ एक कॉमेडी नहीं थी, बल्कि भ्रष्टाचार पर गहरा व्यंग्य थी।
- कैसे पैसे और पावर वाले लोग सिस्टम को अपने हाथ में रखते हैं और ईमानदार लोग पिसते रहते हैं – यह फिल्म का असली संदेश था।
2. नसीरुद्दीन शाह और रवि बसवानी की शानदार जोड़ी
- दोनों फिल्म के असली हीरो थे, जिन्होंने एक स्ट्रगलिंग आम आदमी का किरदार पूरी ईमानदारी से निभाया।
- उनकी मासूमियत और कॉमिक टाइमिंग इस फिल्म की जान थी।
3. महाभारत सीन – हिंदी सिनेमा का सबसे मजेदार सीन
- जब लाश को छुपाने के लिए लोग महाभारत नाटक में एंट्री लेते हैं, वह सीन आज भी हिंदी सिनेमा का सबसे शानदार कॉमेडी सीन माना जाता है।
- “यह भीष्म पितामह कौन है?” – इस डायलॉग पर आज भी लोग हंसते हैं।
4. ओम पुरी, पंकज कपूर, सतीश शाह का जबरदस्त अभिनय
- ओम पुरी (अहूजा) और पंकज कपूर (तारनेजा) ने बेहतरीन विलेन का किरदार निभाया।
- सतीश शाह मरे हुए इंसान के किरदार में भी लोगों को हंसाने में कामयाब रहे।
5. कुंदन शाह का शानदार निर्देशन
- फिल्म कॉमेडी और ट्रैजेडी का अनोखा मिश्रण थी।
- कुंदन शाह ने इसे सिर्फ मजेदार नहीं, बल्कि गहरी सोचने वाली फिल्म बना दिया।
निष्कर्ष
“जाने भी दो यारो” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सिनेमा का मास्टरपीस है, जो हर बार देखने पर नया मजा देता है!
“अगर आपने ‘जाने भी दो यारो’ नहीं देखी, तो आपने हिंदी सिनेमा की सबसे शानदार सटायरिकल कॉमेडी मिस कर दी!”
“थोड़ा हंस लो, लेकिन अंत में सोचने पर मजबूर कर देने वाली फिल्म!”
Best Dialogues and Quotes
1. “Hum bhi wahi khade hain, jahaan aap khade hain.”
यह संवाद समाज में समानता और एकजुटता का प्रतीक है, जो बताता है कि हम सब एक ही जगह पर खड़े हैं, चाहे परिस्थिति कोई भी हो।
2. “Dikh raha hai, lekin dikh nahi raha hai!”
यह संवाद दृष्टिकोण की महत्ता को दर्शाता है, यह बताता है कि कैसे कभी-कभी चीजें हमारे सामने होते हुए भी दिखाई नहीं देतीं।
3. “Thoda adjust kar lo yaar!”
यह संवाद जीवन में समझौता और सहनशीलता का महत्व बताता है, जो हमें कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
4. “Yeh planning bhi koi planning hai?”
यह संवाद योजना और संगठन की महत्वता पर सवाल उठाता है और बताता है कि बिना ठोस योजना के कुछ भी हासिल करना मुश्किल है।
5. “Shanti! Tumhare haath mein hai!”
यह संवाद हमें यह याद दिलाता है कि शांति और संतोष हमारे अपने हाथ में होते हैं, और हमें उन्हें खुद ही हासिल करना होता है।
6. “Aadmi apni jagah, paisa apni jagah.”
यह संवाद जीवन में पैसे और मानवीय मूल्यों के बीच संतुलन की महत्वता को दर्शाता है।
7. “Kya samajhte ho, hum majak kar rahe hain?”
यह संवाद गंभीरता और जिम्मेदारी के महत्व को बताता है, खासकर जब हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात कर रहे होते हैं।
8. “Kaam ke maamle mein koi compromise nahi!”
यह संवाद कार्य के प्रति समर्पण और ईमानदारी की आवश्यकता को दर्शाता है।
9. “Bhaag DK Bose, bhaag!”
यह संवाद जीवन में तेजी से बदल रही परिस्थितियों के बीच हमारे निर्णय लेने की गति को दर्शाता है।
10. “Yeh bhi koi zindagi hai?”
यह संवाद जीवन में गुणवत्ता और संतोष की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम सच में खुश हैं।
11. “Zindagi ka asli mazaa to dukho me hai.”
यह संवाद जीवन की कठिनाइयों में छिपे सबक और उनसे मिलने वाली वास्तविक खुशी को उजागर करता है।
12. “Hum yahan struggle karne aaye hain, vacation par nahi.”
यह संवाद जीवन में संघर्ष और मेहनत के महत्व को बताता है, जो हमें सफलता की ओर ले जाता है।
13. “Jab tak hum jiyenge, tab tak seekhenge.”
यह संवाद जीवन भर सीखने की प्रक्रिया और ज्ञान के प्रति हमारी असीम प्यास को दर्शाता है।
14. “Yeh duniya ek rangmanch hai.”
यह संवाद जीवन को एक रंगमंच के रूप में देखने की सोच को प्रस्तुत करता है, जहां हर व्यक्ति एक किरदार निभा रहा है।
15. “Khel khatam, paisa hajam!”
यह संवाद भ्रष्टाचार और अनैतिकता पर कटाक्ष करता है, जो समाज में आम हो गया है।
16. “Mere paas time nahi hai, mujhe late ho raha hai.”
यह संवाद आधुनिक जीवन की भागदौड़ और तनाव को दर्शाता है, जहां समय की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है।
17. “Humne jo bhi kiya, dil se kiya.”
यह संवाद सच्चाई और दिल से किए गए प्रयासों की शक्ति को दर्शाता है।
18. “Zindagi ek safar hai, suhana.”
यह संवाद जीवन की यात्रा को एक सुंदर अनुभव के रूप में देखने की प्रेरणा देता है।
19. “Jo dikhta hai, woh hota nahi.”
यह संवाद वास्तविकता और दिखावे के बीच के अंतर को दर्शाता है, जो हमें सतर्क रहने की सलाह देता है।
20. “Hansi ka gubbare, gham ka sahara.”
यह संवाद जीवन में हंसी और दुख के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर करता है।
Interesting Facts
फैक्ट 1: फिल्म का अनोखा शीर्षक
“जाने भी दो यारों” का शीर्षक पहले “कौन मरेगा” रखा गया था, लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया।
फैक्ट 2: कम बजट में बनी फिल्म
फिल्म का बजट बहुत कम था, इसलिए टीम को कई बार संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा।
फैक्ट 3: प्रसिद्ध महाभारत सीन
फिल्म का महाभारत सीन इम्प्रोवाइजेशन का नतीजा था और इसे दर्शकों द्वारा बहुत सराहा गया।
फैक्ट 4: निर्देशक का पहला प्रोजेक्ट
कुंदन शाह के निर्देशन में बनी यह पहली फिल्म थी, जो बाद में क्लासिक बन गई।
फैक्ट 5: अनुपम खेर का कैमियो
अनुपम खेर इस फिल्म में एक छोटे से रोल में नजर आए थे, जिसे दर्शकों ने नोटिस नहीं किया।
फैक्ट 6: फोटोग्राफी का अनूठा प्रयोग
फिल्म में फोटोग्राफी का अनूठा प्रयोग किया गया था, जो कहानी को आगे बढ़ाता है।
फैक्ट 7: फिल्म का साउंडट्रैक
फिल्म का साउंडट्रैक बहुत ही सरल था, फिर भी यह कहानी के साथ पूरी तरह मेल खाता था।
फैक्ट 8: कलाकारों की शानदार केमिस्ट्री
नसीरुद्दीन शाह और रवि बासवानी की केमिस्ट्री ने फिल्म को और भी अधिक मजेदार बना दिया।
फैक्ट 9: राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
फिल्म ने 1984 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
फैक्ट 10: फिल्म का सामाजिक संदेश
फिल्म ने भ्रष्टाचार और सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, जो आज भी प्रासंगिक है।