निर्देशक: विशाल भारद्वाज
निर्माता: कुमार मंगत पाठक
कलाकार: अजय देवगन, सैफ अली खान, करीना कपूर, विवेक ओबेरॉय, कोंकणा सेन शर्मा, बिपाशा बसु, नसीरुद्दीन शाह
संगीत: विशाल भारद्वाज
शैली: क्राइम, ड्रामा, थ्रिलर
Director
Vishal Bhardwaj directed the 2006 Hindi film “Omkara.” Known for his adept storytelling and unique adaptations of Shakespearean plays, Bhardwaj brought a distinct rustic and intense flair to this adaptation of “Othello.”
Main Cast
The film features an ensemble cast led by Ajay Devgn as Omkara, Saif Ali Khan as Ishwar ‘Langda’ Tyagi, and Kareena Kapoor as Dolly Mishra. These performances were widely acclaimed, particularly Khan’s portrayal of Langda Tyagi, which earned him several accolades.
Supporting Cast
The supporting cast includes Vivek Oberoi as Keshav ‘Kesu Firangi’ Upadhyay, Konkona Sen Sharma as Indu Tyagi, and Bipasha Basu as Billo Chamanbahar. Each actor brought depth to their roles, contributing to the film’s critical success.
Music
Vishal Bhardwaj not only directed the film but also composed its music, with lyrics by Gulzar. The soundtrack, featuring songs like “Beedi” and “Naina,” played a pivotal role in enhancing the film’s narrative and was well-received by audiences.
Cinematography
Tassaduq Hussain handled the cinematography for “Omkara,” capturing the raw and gritty essence of rural India, which was integral to the film’s atmospheric storytelling.
Production
Produced by Kumar Mangat Pathak and starring a notable ensemble, “Omkara” was produced under the banner of Shemaroo Entertainment. The film’s production design and authentic portrayal of its setting were key elements in its storytelling.
Adaptation
“Omkara” is an adaptation of William Shakespeare’s play “Othello,” transposed to the backdrop of political warfare in rural Uttar Pradesh, India. Bhardwaj’s adaptation retained the core themes of jealousy, betrayal, and revenge while infusing a distinct Indian cultural context.
🎙️🎬Full Movie Recap
मूवीज़ फिलॉसफी पॉडकास्ट में आपका स्वागत है!
नमस्ते दोस्तों, स्वागत है आपका ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ पॉडकास्ट में, जहाँ हम भारतीय सिनेमा की गहराइयों में उतरते हैं और कहानियों के पीछे छुपे भावनाओं, संघर्षों और जीवन के सबक को खोजते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी फिल्म की, जिसने भारतीय सिनेमा में एक अलग ही छाप छोड़ी है। यह फिल्म है ‘ओमकारा’, जो शेक्सपियर की ‘ओथेलो’ से प्रेरित होकर भारतीय मिट्टी की गंध और देसी जुनून को पर्दे पर उतारती है। विशाल भारद्वाज के निर्देशन में बनी यह फिल्म न सिर्फ एक गैंगस्टर ड्रामा है, बल्कि प्रेम, विश्वासघात, ईर्ष्या और जातीय भेदभाव की एक गहरी कहानी भी है। तो चलिए, इस कहानी के रंगों में खो जाते हैं और देखते हैं कि कैसे एक प्रेम कहानी ट्रेजेडी में बदल जाती है।
परिचय: ‘ओमकारा’ की दुनिया
‘ओमकारा’ उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर आधारित एक कहानी है, जहाँ राजनीति, अपराध और जुनून एक-दूसरे से गुँथे हुए हैं। फिल्म का मुख्य किरदार है ओमकारा शुक्ला, जिसे प्यार से ‘ओमी’ कहा जाता है। अजय देवगन ने इस किरदार को इतनी गहराई से निभाया है कि हर दृश्य में उनकी आँखों में गुस्सा, प्रेम और दर्द साफ झलकता है। ओमी एक कठोर गैंगस्टर है, जो तिवारी भाईसाहब (नसीरुद्दीन शाह) के लिए राजनीतिक अपराध करता है। वह एक ऐसा इंसान है, जो जिंदगी को काले और सफेद रंगों में देखता है – या तो अच्छा, या बुरा। उसकी जिंदगी में ग्रे शेड्स की कोई जगह नहीं। ओमी एक निचली जाति की माँ और ब्राह्मण पिता की नाजायज संतान है, और यह पहचान उसके अंदर एक गहरा गुस्सा और असुरक्षा भरती है।
दूसरी तरफ है डोली मिश्रा (करीना कपूर), एक मासूम, चंचल और प्यार में डूबी लड़की, जो ओमी से बेइंतहा मोहब्बत करती है। डोली की मासूमियत और उसका बेबाक प्यार इस कहानी की शुरुआत है, लेकिन यही मासूमियत बाद में उसके लिए घातक बन जाती है। फिल्म में अन्य महत्वपूर्ण किरदार हैं – लंगड़ा त्यागी (सैफ अली खान), जो ओमी का वफादार सिपाही है, लेकिन उसकी ईर्ष्या कहानी को मोड़ देती है, और केशव ‘केसू फिरंगी’ (विवेक ओबेरॉय), एक पढ़ा-लिखा और शहरी लड़का, जो ओमी का दूसरा विश्वासपात्र है। इन किरदारों के बीच का तनाव, प्रेम और विश्वासघात ‘ओमकारा’ को एक अविस्मरणीय कहानी बनाता है।
कहानी: प्रेम और विश्वासघात का जाल
कहानी की शुरुआत होती है एक शादी के मंडप से, जहाँ लंगड़ा त्यागी एक दुस्साहसिक चुनौती देता है। वह राज्जू (दीपक डोबरियाल) को ताने मारता है कि अगर उसमें हिम्मत है, तो वह ओमकारा को डोली को भगा ले जाने से रोक ले। लेकिन राज्जू नाकाम रहता है, और ओमकारा डोली को लेकर चला जाता है। यह दृश्य ही बता देता है कि ओमी एक ऐसा इंसान है, जो जो चाहता है, उसे हासिल करके रहता है। डोली के पिता, वकील रघुनाथ मिश्रा, इस घटना से क्रोधित हो जाते हैं और ओमी को जान से मारने की धमकी देते हैं। लेकिन जब भाईसाहब डोली को अपने पिता के सामने पेश करते हैं, तो डोली साफ कहती है कि उसने अपनी मर्जी से ओमी के साथ भागने का फैसला किया था। फिर भी, उसके पिता उसे ताने मारते हैं और कहते हैं, “जो बेटी अपने बाप की न हुई, वो किसी की क्या होगी?” यह डायलॉग डोली के चरित्र पर एक सवालिया निशान लगा देता है, जो बाद में ओमी के मन में भी शक का बीज बो देता है।
ओमकारा की जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा होता है। वह भाईसाहब के लिए एक बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को MMS स्कैंडल के जरिए हरा देता है और उनके पूरे गैंग को खत्म कर देता है, जब वे डोली के साथ उसके रिश्ते का अपमान करते हैं। भाईसाहब संसद के लिए चुने जाते हैं, और ओमी को आगामी राज्य चुनावों के लिए उम्मीदवार बनाया जाता है। लेकिन यहीं से कहानी में दरार पड़नी शुरू होती है। ओमी अपने उत्तराधिकारी के रूप में लंगड़ा की बजाय केसू को चुनता है, क्योंकि वह मानता है कि केसू की पढ़ाई-लिखाई और शहरी अंदाज उसे युवा वोटरों के बीच लोकप्रिय बनाएंगे। यह फैसला लंगड़ा के लिए एक बड़ा झटका है। वह वर्षों से ओमी का वफादार रहा था, और अब उसकी महत्वाकांक्षा को ठेस पहुँचती है। लंगड़ा का गुस्सा और ईर्ष्या उसे अंदर से तोड़ देती है, और वह कहता है, “जो मेरा हक था, वो किसी और को दे दिया… अब देखो, मैं क्या करता हूँ!”
चरमोत्कर्ष: शक और ट्रेजेडी
लंगड़ा अपनी चालें चलना शुरू करता है। वह केसू और राज्जू के बीच झगड़ा करवाता है, जिससे ओमी का केसू पर विश्वास डगमगा जाता है। इसके बाद, वह केसू को डोली के पास भेजता है ताकि वह ओमी को मनाए, लेकिन साथ ही ओमी के मन में यह शक बो देता है कि डोली और केसू के बीच कुछ गलत चल रहा है। लंगड़ा की पत्नी इंदु (कोंकणा सेन शर्मा), जो ओमी की बहन भी है, को वह डोली की एक कीमती पारिवारिक ज्वेलरी चुराने के लिए कहता है। यह ज्वेलरी बाद में केसू की प्रेमिका बिलो (बिपाशा बसु) को दे दी जाती है, जिसे देखकर ओमी का शक और गहरा हो जाता है। लंगड़ा ओमी से कहता है, “भैया, जो आँखों से दिखता है, वो झूठा कैसे हो सकता है? देख लो, तुम्हारी ज्वेलरी बिलो के पास कैसे पहुँची!”
ओमी का मन अब पूरी तरह से शक से भर जाता है। वह डोली से ज्वेलरी माँगता है, लेकिन डोली उसे नहीं दे पाती। लंगड़ा और राज्जू मिलकर एक ऐसा जाल बुनते हैं, जिसमें ओमी को लगता है कि डोली और केसू के बीच अफेयर है। आखिरकार, अपनी शादी की रात को, ओमी का गुस्सा फूट पड़ता है। वह डोली को मार डालता है, यह सोचकर कि उसने उसे धोखा दिया। उसी समय, लंगड़ा केसू पर हमला करवाता है, लेकिन केसू बच जाता है। जब इंदु को सच्चाई पता चलती है, तो वह ओमी को बता देती है कि ज्वेलरी उसने लंगड़ा के कहने पर चुराई थी। यह सुनकर ओमी को अपनी गलती का अहसास होता है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इंदु गुस्से में लंगड़ा का गला काट देती है, और ओमी खुद को खत्म कर लेता है, अपनी पत्नी डोली के पास मरते हुए।
निष्कर्ष: ‘ओमकारा’ का सबक
‘ओमकारा’ सिर्फ एक गैंगस्टर ड्रामा नहीं है; यह एक ऐसी कहानी है जो हमें शक, ईर्ष्या और विश्वासघात की भयानक परिणतियों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। ओमी का किरदार हमें दिखाता है कि कैसे एक इंसान का अतीत और असुरक्षा उसे अपने सबसे करीबियों पर शक करने के लिए मजबूर कर सकती है। डोली की मासूमियत और उसकी ट्रेजिक मौत हमें यह सवाल पूछने पर मजबूर करती है कि क्या प्रेम में विश्वास इतना कमजोर हो सकता है? फिल्म का एक डायलॉग, जो ओमी कहता है, “प्यार में शक की एक बूँद भी जहर बन जाती है,” इस पूरी कहानी को समेट लेता है।
लंगड़ा त्यागी का किरदार, जिसे सैफ अली खान ने बेजोड़ तरीके से निभाया है, हमें दिखाता है कि ईर्ष्या एक इंसान को कितना नीचे गिरा सकती है। आखिर में, फिल्म हमें एक कड़वा सबक देती है कि सच्चाई को परखे बिना लिए गए फैसले जिंदगी को तबाह कर सकते हैं।
तो दोस्तों, ‘ओमकारा’ एक ऐसी फिल्म है, जो न सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि हमें गहरे सवालों के साथ छोड़ जाती है। अगर आपने यह फिल्म नहीं देखी, तो जरूर देखें, और अगर देखी है, तो हमें बताएं कि इस कहानी ने आपको सबसे ज्यादा क्या प्रभावित किया। ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ के इस एपिसोड को यहीं समाप्त करते हैं। अगली बार फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ। तब तक, सिनेमा के जादू में खोए रहें। नमस्ते!
🎥🔥Best Dialogues and Quotes
तुम्हारे जैसी छोरियाँ तो छत्तीसगढ़ी में भी नहीं मिलती।
बेवकूफी का दूसरा नाम मोहब्बत होता है।
जमाना बदल गया है, अब तो जंग जीतने के लिए दिमाग से खेलना पड़ता है।
जितने गहरे रंग के होंठ, उतनी गहरी मक्कारी।
इस दुनिया में सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग।
जब तक धोखा न खाओ, तब तक इंसान की पहचान नहीं होती।
कभी-कभी इंसान अपना दुश्मन खुद बन जाता है।
आखिरकार, इंसान अपने कर्मों से ही जाना जाता है।
सच्चाई का एक ही रंग है, और वो है सफेद।
हर आदमी के दो चेहरे होते हैं, एक वो जो दुनिया को दिखाता है और दूसरा वो जो वो खुद देखता है।
1. “बेवफ़ाई का मज़ा तो वफ़ा में है।”
यह संवाद विश्वास और वफ़ादारी के महत्व को उजागर करता है। जीवन में सच्चाई और ईमानदारी से जीने की प्रेरणा देता है।
2. “जब प्यार और धोखा एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं।”
इस विचार में प्रेम और विश्वासघात की जटिलता का वर्णन है। यह दर्शाता है कि जीवन में अच्छाई और बुराई साथ-साथ चलती हैं।
3. “हर कोई अपने हिस्से की कहानी का हीरो होता है।”
यह संवाद बताता है कि हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में महत्वपूर्ण होता है और अपने अनुभवों का नायक होता है।
4. “जिसे हमसे प्यार होता है, वो हमें बदलने की कोशिश नहीं करता।”
यह विचार सच्चे प्यार के स्वभाव को दर्शाता है, जो व्यक्ति को उसकी पहचान के साथ स्वीकार करता है।
5. “दुनिया से जीतने के लिए, खुद से हारना जरूरी है।”
इस संवाद में आत्म-साक्षात्कार और आत्म-विकास की बात की गई है। खुद पर विजय प्राप्त करने से ही सही मायनों में जीवन में सफलता मिलती है।
6. “जीवन में रिश्ते बनाना आसान है, उन्हें निभाना मुश्किल।”
यह विचार रिश्तों की जटिलता और उन्हें निभाने की चुनौती को दर्शाता है।
7. “असली ताकत प्यार में होती है, नफरत में नहीं।”
यह संवाद दर्शाता है कि प्रेम से बड़ी कोई ताकत नहीं होती और नफरत से केवल विनाश होता है।
8. “सच्चाई छुप नहीं सकती, चाहे लाख पर्दे डाल दो।”
यह विचार सत्य की शक्ति को दर्शाता है, कि चाहे कितनी भी कोशिश हो, सच सामने आ ही जाता है।
9. “खुद को समझना सबसे बड़ी समझदारी है।”
यह संवाद आत्म-ज्ञान की महत्ता को दर्शाता है, जो जीवन में सच्ची समझदारी लाता है।
10. “खुद की नजर में गिरना सबसे बड़ी हार है।”
यह विचार आत्म-सम्मान और आत्म-स्वीकृति की महत्वता को दर्शाता है।
11. “हर कोई अपनी अच्छाई और बुराई का मालिक होता है।”
यह संवाद दर्शाता है कि हर व्यक्ति अपनी अच्छाई और बुराई के लिए स्वयं जिम्मेदार होता है।
12. “ज़िंदगी में कुछ भी स्थायी नहीं होता।”
यह विचार जीवन की अस्थिरता और परिवर्तनशीलता को बखूबी दर्शाता है।
13. “प्यार की ताकत को कभी कम ना समझो।”
यह संवाद प्रेम की असीम शक्ति और उसकी सकारात्मकता को दर्शाता है।
14. “जो लोग खुद से प्यार करते हैं, वो ही दूसरों को प्यार दे सकते हैं।”
यह विचार आत्म-प्रेम की आवश्यकता और उसकी सकारात्मकता को दर्शाता है।
15. “हर रिश्ते की नींव विश्वास है।”
यह संवाद रिश्तों की स्थिरता और सफलता के लिए विश्वास की अहमियत को दर्शाता है।
16. “जीवन एक खेल है, जिसमें चालों से ज्यादा इरादे मायने रखते हैं।”
यह विचार जीवन के खेल में ईमानदारी और इरादों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
17. “खुद को खोकर अगर कुछ पाना पड़े, तो वो कभी हासिल नहीं होता।”
यह संवाद आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान की महत्वता को दर्शाता है।
18. “सच्चे रिश्ते समय के साथ और मजबूत बनते हैं।”
यह विचार दर्शाता है कि समय के साथ रिश्तों में गहराई और मजबूती आती है।
19. “खुद पर विश्वास ही सबसे बड़ी ताकत है।”
यह संवाद आत्म-विश्वास की महत्ता को दर्शाता है, जो जीवन में सफलता की कुंजी है।
20. “हर इंसान के अंदर अच्छाई और बुराई का संगम होता है।”
यह विचार मानव स्वभाव की जटिलता को दर्शाता है, कि हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों होती हैं।
Interesting Facts
फैक्ट 1: फिल्म का शीर्षक
“ओमकारा” का शीर्षक शेक्सपियर के नाटक “ओथेलो” से प्रेरित है, जिसमें ‘ओमकारा’ शब्द का अर्थ है भगवान शिव।
फैक्ट 2: निर्देशन और प्रेरणा
विषाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित, यह फिल्म विलियम शेक्सपियर के नाटक “ओथेलो” पर आधारित है।
फैक्ट 3: कास्टिंग की चुनौती
फिल्म में सैफ अली खान को ‘लंगड़ा त्यागी’ के किरदार के लिए चुना गया, जो उनके करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं में से एक मानी जाती है।
फैक्ट 4: संगीत की विशेषता
फिल्म का संगीत विषाल भारद्वाज ने खुद दिया है, जिसमें गुलजार के लिखे गीतों को दर्शकों ने खूब सराहा।
फैक्ट 5: फिल्मांकन स्थान
फिल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश के वास्तविक स्थानों पर की गई, जिससे फिल्म की प्रामाणिकता बढ़ी।
फैक्ट 6: राष्ट्रीय पुरस्कार
“ओमकारा” ने कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते, जिसमें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए कोंकणा सेन शर्मा का पुरस्कार शामिल है।
फैक्ट 7: संवाद और भाषा
फिल्म के संवाद और भाषा पूरी तरह से स्थानीय बोली में थे, जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया।
फैक्ट 8: भूमिका परिवर्तन
अजय देवगन ने ‘ओमकारा’ की भूमिका निभाई जबकि करीना कपूर ने ‘डॉली मिश्रा’ की भूमिका निभाई, जो “ओथेलो” में डेस्डेमोना के किरदार पर आधारित है।
फैक्ट 9: आलोचनात्मक प्रशंसा
फिल्म को न केवल दर्शकों से बल्कि आलोचकों से भी भारी प्रशंसा मिली, विशेष रूप से इसकी कहानी और अभिनय के लिए।
फैक्ट 10: बॉक्स ऑफिस सफलता
हालांकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर औसत प्रदर्शन किया, लेकिन इसे भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण फिल्म के रूप में देखा गया।
🎭🔍 Behind-the-Scenes & Trivia
फिल्म “ओमकारा” (2006) ने भारतीय सिनेमा में एक विशेष स्थान बनाया है, लेकिन इसके निर्माण के दौरान कई दिलचस्प पहलू थे जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। निर्देशक विशाल भारद्वाज ने इस फिल्म को बनाने से पहले शेक्सपियर के नाटक ‘ओथेलो’ का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने इस नाटक को भारतीय परिवेश में ढालने के लिए उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों का चयन किया, ताकि कहानी में एक स्थानीय और यथार्थवादी माहौल जोड़ा जा सके। इसके लिए उन्होंने स्थानीय भाषा और बोली का भी बेहद प्रभावी उपयोग किया, जो फिल्म के संवादों को और भी प्रामाणिक बनाता है।
फिल्म के निर्माण के दौरान कई दिलचस्प ‘बीहाइंड-द-सीन्स’ किस्से भी सामने आए। एक प्रमुख दृश्य जिसमें सैफ अली खान का किरदार ‘लंगड़ा त्यागी’ अपने पैर को घसीटता है, उसके लिए सैफ ने वास्तव में अपने पैर को बांधकर चलने की प्रैक्टिस की थी। इस प्रक्रिया में उन्होंने कई बार चोट भी खाई, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और अपने किरदार को बखूबी निभाया। इस प्रकार की डेडिकेशन ने फिल्म में उनके प्रदर्शन को बेहद सराहा गया।
ओमकारा में कई ‘ईस्टर एग्स’ भी छुपे हैं जो दर्शकों को पहली बार में नजर नहीं आते। उदाहरण के लिए, फिल्म में पात्रों के नाम शेक्सपियर के मूल नाटक के पात्रों के नामों से प्रेरित हैं, जैसे ओमकारा जिसे ओथेलो कहा जाता है और डॉली का चरित्र जो डेस्डेमोना से प्रेरित है। इसके अलावा, फिल्म की सिनेमाटोग्राफी और सेट डिज़ाइन में कई ऐसे संकेत छुपे हैं जो भारतीय ग्रामीण जीवन के गहन अवलोकन को दर्शाते हैं।
ओमकारा के पीछे गहरी मनोवैज्ञानिक परतें भी हैं, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती हैं। फिल्म में हर किरदार की जटिलता और उनके मनोवैज्ञानिक द्वंद्व को बखूबी दर्शाया गया है। खासकर लंगड़ा त्यागी का किरदार जो ईर्ष्या और महत्वाकांक्षा के जाल में फंसा हुआ है, यह दर्शाता है कि कैसे नकारात्मक भावनाएं इंसान को विनाश की ओर ले जा सकती हैं। फिल्म के पात्रों की यह जटिलता उन्हें वास्तविक जीवन के करीब लाती है और दर्शकों को उनके साथ एक भावनात्मक जुड़ाव महसूस कराने में सफल होती है।
फिल्म की रिलीज़ के बाद, इसके गीत और संगीत भी बेहद लोकप्रिय हुए। विशाल भारद्वाज के निर्देशन में बने इस फिल्म के संगीत को गुलज़ार ने अपने शब्दों से सजाया था। “नमक इश्क का” और “बीड़ी जलइले” जैसे गाने आज भी सुने जाते हैं और इनकी लोकप्रियता का श्रेय उनकी मोहक धुन और शानदार बोलों को जाता है। फिल्म का संगीत कहानी के साथ इस तरह जुड़ता है कि यह दर्शकों को फिल्म के माहौल में डुबो देता है।
ओमकारा का प्रभाव और उसकी विरासत भारतीय सिनेमा पर गहरी छाप छोड़ती है। इस फिल्म ने यह साबित किया कि साहित्यिक कृतियों को भारतीय संदर्भ में कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है। यह फिल्म न केवल एक शानदार मनोरंजन थी, बल्कि इसने गंभीर सिनेमा के मानकों को भी पुनः परिभाषित किया। ओमकारा ने भारतीय सिनेमा में एक नई दिशा दी और यह दिखाया कि उत्कृष्ट अभिनय, निर्देशन और कहानी कहने की कला के माध्यम से एक विश्व स्तरीय फिल्म कैसे बनाई जा सकती है।
🍿⭐ Reception & Reviews
यह फिल्म शेक्सपियर की “ओथेलो” का प्रभावशाली रूपांतरण है, जिसमें निर्देशन, संवाद, पटकथा और अभिनय (विशेषकर सैफ अली खान, कोंकणा सेन शर्मा और करीना कपूर) को व्यापक रूप से प्रशंसा मिली। IMDb पर रेटिंग 8.0/10 है। आलोचनात्मक दृष्टि से इसे अत्यधिक सराहा गया और नेशनल और फिल्मफेयर सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।