निर्देशक:
विशनु वर्धन
मुख्य कलाकार:
सिद्धार्थ मल्होत्रा, कियारा आडवाणी
निर्माता:
करण जौहर, हिरू यश जौहर, अपूर्व मेहता, शब्बीर बॉक्सवाला
लेखक:
संजीव कपूर, सिद्धार्थ मल्होत्रा
संगीत:
जॉन स्टीवर्ट एडुरी
रिलीज़ तिथि:
12 अगस्त 2021
भाषा:
हिंदी
कहानी का सारांश:
यह फिल्म कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान अपनी वीरता और साहस के लिए परमवीर चक्र प्राप्त किया था।
🎙️🎬Full Movie Recap
मूवीज़ फिलॉसफी में आपका स्वागत है!
नमस्कार दोस्तों, स्वागत है हमारे पॉडकास्ट ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ में, जहाँ हम भारतीय सिनेमा की गहराइयों में उतरते हैं और उन कहानियों को फिर से जीते हैं जो हमारे दिलों को छूती हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी फिल्म की, जो न सिर्फ एक योद्धा की कहानी है, बल्कि देशभक्ति, बलिदान और प्यार की एक अनमोल गाथा भी है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं फिल्म **’शेरशाह’** की, जो कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता और जीवन पर आधारित है। सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी अभिनीत यह फिल्म हमें एक ऐसे नायक की कहानी सुनाती है, जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की रक्षा की। तो चलिए, इस भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानी को एक बार फिर से जीते हैं।
परिचय: एक वीर की कहानी
‘शेरशाह’ फिल्म की शुरुआत होती है विशाल बत्रा (सिद्धार्थ मल्होत्रा) के साथ, जो एक सभागार में अपने जुड़वां भाई कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत की कहानी बयान कर रहे हैं। विशाल हमें ले जाते हैं फ्लैशबैक में, जहाँ हम देखते हैं विक्रम के बचपन को। एक जिद्दी और साहसी लड़का, जो क्रिकेट खेलते हुए अपनी गेंद वापस लेने के लिए गुंडों से भिड़ जाता है। जब उसके पिता जी.एल. बत्रा (पवन चोपड़ा) उसे डांटते हैं, तो विक्रम का जवाब होता है, *”कोई मेरी चीज़ नहीं छीन सकता, पापा।”* यह डायलॉग हमें विक्रम के स्वभाव की झलक देता है – एक ऐसा इंसान जो अपने हक के लिए लड़ना जानता है।
विक्रम की प्रेरणा बनता है 80 के दशक का टीवी शो ‘परम वीर चक्र’, जिसे वह अपने पड़ोसी के घर पर देखता है। यहीं से उसके मन में सेना में जाने का सपना जन्म लेता है। यह सपना उसे एक साधारण लड़के से एक वीर सैनिक बनने की राह पर ले जाता है।
कहानी: सपनों और जिम्मेदारियों का सफर
1998 में, विक्रम अब एक सैनिक बन चुका है और जम्मू-कश्मीर के सोपोर में 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स (13 JAK RIF) की डेल्टा कंपनी में तैनात है। वहाँ उसकी मुलाकात होती है मेजर राजीव कपूर, नायब सूबेदार बंसी लाल शर्मा, कर्नल सुब्रत मुखर्जी और कैप्टन संजीव जमवाल जैसे साथियों से। विक्रम जल्द ही स्थानीय लोगों के बीच अपनी दोस्ती और भरोसा बना लेता है। लेकिन उसकी जिंदगी सिर्फ ड्यूटी तक सीमित नहीं है; उसका दिल धड़कता है डिंपल चीमा (कियारा आडवाणी) के लिए, जो उसकी प्रेमिका है।
फ्लैशबैक में हमें 1995 की एक खूबसूरत प्रेम कहानी दिखाई जाती है। विक्रम और डिंपल की मुलाकात दोस्तों के ग्रुप में होती है और जल्द ही उनका प्यार परवान चढ़ता है। जब विक्रम डिंपल को शादी के लिए प्रपोज करता है, तो वह खुशी-खुशी हाँ कर देती है। लेकिन डिंपल के पिता उनकी अलग जाति को लेकर आपत्ति जताते हैं। विक्रम अपने माता-पिता से इस बारे में बात करता है, जो इस रिश्ते से खुश हैं। डिंपल के पिता को मनाने के लिए वह मर्चेंट नेवी जॉइन करने का फैसला करता है, लेकिन जल्द ही उसे एहसास होता है कि उसका असली सपना सेना में है। वह डिंपल से कहता है, *”तू इंतज़ार कर, मैं ट्रेनिंग पूरी करके ऑफिसर बनकर आऊँगा।”* डिंपल भी अपने पिता से साफ कह देती है कि अगर विक्रम से शादी नहीं हुई, तो वह कभी शादी नहीं करेगी। यह दृश्य हमें उनकी प्रेम की गहराई दिखाता है।
ड्यूटी और खतरे: विक्रम की वीरता
वर्तमान में, विक्रम की यूनिट को एक चौकी पर तैनात किया जाता है, जहाँ उन्हें हथियारों की तस्करी की खबर मिलती है। एक जीप को देखकर विक्रम बिना आदेश के हमला कर देता है और आतंकवादियों को मार गिराता है। इस दौरान वह संजीव की जान भी बचाता है, लेकिन संजीव उसे आदेशों की अवहेलना के लिए डांटता है। बाद में संजीव उसे धन्यवाद देते हुए कहता है, *”तूने मेरी जान बचा ली, विक्रम, लेकिन अगली बार सोच-समझकर कदम उठाना।”* यह डायलॉग विक्रम के साहस और उसकी आवेगशीलता को दर्शाता है।
इसी बीच, आतंकवादी सरगना हैदर (मीर सरवर) चार मुखबिरों को मार डालता है और 13 JAK RIF के 13 सैनिकों को मारने की कसम खाता है। विक्रम का दोस्त गफूर (ज़हूर ज़ैदी) अपने बेटे अरसलान को आतंकवादी संगठन से निकालने के लिए उसकी मदद माँगता है। विक्रम अरसलान को हैदर के पास कुछ दिन और रहने के लिए मनाता है ताकि वह सेना के लिए जानकारी जुटा सके। लेकिन हैदर की चालाकी से मुखर्जी की पलटन पर हमला होता है, जिसमें कई सैनिक शहीद हो जाते हैं, जिसमें बंसी भी शामिल है, जो अपनी बेटी से मिलने की छुट्टी पर जाने वाला था। इस घटना से विक्रम का गुस्सा भड़क उठता है और वह कहता है, *”अब इनका हिसाब करना होगा, चाहे जो हो जाए!”*
विक्रम की अगुवाई में एक ऑपरेशन शुरू होता है और अंततः हैदर को ढेर कर दिया जाता है। लेकिन खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। पाकिस्तानी सेना, जनरल मुशर्रफ के आदेश पर, LOC के पास पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लेती है। गर्मियों में भारतीय सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। 13 JAK RIF को रिजर्व से सक्रिय यूनिट में शामिल किया जाता है और विक्रम को कोडनेम ‘शेरशाह’ दिया जाता है। उन्हें पॉइंट 5140 पर कब्जा करने का मिशन मिलता है, जो 17,000 फीट की ऊँचाई पर है।
चरमोत्कर्ष: बलिदान की गाथा
रात भर 85 डिग्री की चढ़ाई के बाद, विक्रम की यूनिट सुबह के पहले उजाले में पाकिस्तानी चौकियों पर हमला करती है। संजीव के साथ मिलकर वे सभी दुश्मनों को मार गिराते हैं और पॉइंट 5140 पर कब्जा कर लेते हैं। विक्रम को कैप्टन के पद पर प्रमोट किया जाता है। उनकी सफलता के बाद, 13 JAK RIF को सबसे मुश्किल पहाड़ी पॉइंट 4875 पर कब्जा करने का मिशन मिलता है, जो 70 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को नियंत्रित करता है। इस पहाड़ी पर कब्जा करने का मतलब है कारगिल युद्ध का अंत।
हमला शुरू होता है और भारी नुकसान के बावजूद विक्रम की यूनिट दुश्मन की चौकियों को एक-एक कर खत्म करती है। आखिरी बंकर बेहद मजबूत है और उस तक पहुँचने का रास्ता खतरनाक। सीओ विक्रम को बताता है कि पाकिस्तानी सुदृढीकरण रास्ते में हैं और उन्हें जल्द से जल्द पहाड़ी पर कब्जा करना होगा। विक्रम खुद हमले की अगुवाई करता है, लेकिन स्नाइपर की गोली से वह घायल हो जाता है। मरने से पहले वह भारतीय तिरंगे को पहाड़ी पर लहराते हुए देखता है। उसकी आखिरी साँस के साथ वह कहता है, *”ये तिरंगा मेरी जान से प्यारा है।”*
निष्कर्ष: एक शेर की शहादत
विक्रम बत्रा को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाती है और उन्हें मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया जाता है। ‘शेरशाह’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक ऐसे नायक की कहानी है, जिसने अपने देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया। यह फिल्म हमें सिखाती है कि सच्ची वीरता सिर्फ लड़ाई में नहीं, बल्कि अपने सपनों, प्यार और जिम्मेदारियों को निभाने में भी है। विक्रम की कहानी हमें प्रेरित करती है कि हम अपने जीवन में भी ‘शेर’ की तरह जियें – बिना डरे, बिना झुके।
तो दोस्तों, ‘शेरशाह’ की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हमारे देश के वीर सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। उनकी कहानियाँ हमें प्रेरणा देती हैं और हमें गर्व से भर देती हैं। आप इस फिल्म के बारे में क्या सोचते हैं? हमें कमेंट में जरूर बताएँ। अगली बार फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ, तब तक के लिए नमस्ते! ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ से विदा लेते हैं। जय हिंद!
🎥🔥Best Dialogues and Quotes
ये दिल मांगे मोर!
जो अपने देश के लिए झुकता है, वो किसी के सामने नहीं झुकता।
इंसान की पहचान उसके जज्बे से होती है, वरना नाम में क्या रखा है।
जब तक हम किसी चीज को हासिल नहीं कर लेते, तब तक वो नामुमकिन लगती है।
मेरे देश की मिट्टी में ही कुछ खास है, जो मुझे बार-बार खींच लाती है।
हमेशा आगे बढ़ते रहो, चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं।
जो लोग अपने लिए जीते हैं, वो मर जाते हैं; जो देश के लिए मरते हैं, वो हमेशा जिंदा रहते हैं।
किसी भी कीमत पर जीतना है, क्योंकि ये कोई आम लड़ाई नहीं है।
जब तक हिंदुस्तान में जान है, तब तक पाकिस्तान को मान नहीं है।
सच्चे सिपाही कभी पीछे नहीं हटते, चाहे कुछ भी हो जाए।
🎭🔍 Behind-the-Scenes & Trivia
फिल्म “शेरशाह” ने अपने वास्तविक और भावनात्मक चित्रण के कारण दर्शकों के दिलों को छू लिया। इस फिल्म के पीछे कई अद्भुत तथ्य छिपे हैं जो शायद ही लोग जानते हों। सबसे पहले, विक्रम बत्रा के किरदार के लिए सिद्धार्थ मल्होत्रा का चयन करना एक चुनौतीपूर्ण निर्णय था। सिद्धार्थ ने विक्रम बत्रा के जीवन को बारीकी से समझने के लिए उनके परिवार से मुलाकात की और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को आत्मसात किया। इसके अलावा, फिल्म की शूटिंग के दौरान सिद्धार्थ ने असली सैनिकों के साथ समय बिताया, जिससे उन्हें किरदार की गहराई को समझने में मदद मिली। यह बात इस तथ्य को उजागर करती है कि कैसे एक अभिनेता ने अपने किरदार को जीवंत करने के लिए कड़ी मेहनत की।
शेरशाह की शूटिंग के दौरान कई दिलचस्प घटनाएं भी घटित हुईं। उदाहरण के लिए, फिल्म के एक महत्वपूर्ण युद्ध दृश्य को लद्दाख के वास्तविक स्थानों पर फिल्माया गया था, जहां टीम को कठिन मौसम और ऊंचाई की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यही नहीं, फिल्म के कई दृश्यों के लिए असली युद्धक्षेत्र में शूटिंग की गई, जिससे टीम को वास्तविक जीवन की कठिनाइयों का अनुभव हुआ। इसके अलावा, फिल्म की शूटिंग के दौरान कई बार मौसम की वजह से शूटिंग रोकनी पड़ी, लेकिन टीम ने धैर्य नहीं खोया और मिशन को पूरा किया।
फिल्म में कई ईस्टर एग्स भी छुपे हुए हैं जो विक्रम बत्रा के जीवन को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, फिल्म के एक दृश्य में विक्रम बत्रा का शौक दिखाया गया है जिसमें वह गिटार बजाते हुए नजर आते हैं। यह विक्रम बत्रा की वास्तविक जीवन की एक झलक है, जो संगीत प्रेमी थे। इसके अलावा, फिल्म के कई संवाद और दृश्य बत्रा की असली बातचीत और पत्रों से प्रेरित हैं, जो उन्हें और अधिक वास्तविक बनाते हैं। यह दर्शाता है कि फिल्म निर्माताओं ने वास्तविकता को बरकरार रखने के लिए कितनी सावधानी बरती।
फिल्म की कहानी और पात्रों के पीछे की मनोविज्ञान भी काफी रोचक है। विक्रम बत्रा के किरदार को इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि वह साहस, प्रेम और देशभक्ति की मिसाल बन जाते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे बत्रा ने अपने व्यक्तिगत जीवन की परवाह किए बिना देश की सेवा की। उनके इस बलिदान और साहस के पीछे एक गहरा मनोवैज्ञानिक पहलू छुपा है, जो दर्शकों को प्रेरित करता है और उनके अंदर देशभक्ति की भावना को जागृत करता है।
“शेरशाह” का प्रभाव और विरासत भी उल्लेखनीय है। इस फिल्म ने न केवल विक्रम बत्रा की कहानी को जीवंत किया बल्कि भारतीय सेना के साहस और बलिदान को भी सम्मानित किया। फिल्म ने युवाओं के बीच देशभक्ति की भावना को पुनर्जीवित किया और उन्हें अपने देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, फिल्म ने युद्ध के दौरान सैनिकों के असली संघर्ष और उनके परिवारों की कठिनाइयों को भी उजागर किया, जो आमतौर पर अनदेखी रह जाती हैं।
अंततः, “शेरशाह” केवल एक फिल्म नहीं बल्कि एक प्रेरणा है। यह फिल्म दर्शकों को यह याद दिलाती है कि असली नायक कौन होते हैं और उनका जीवन कैसा होता है। फिल्म की सफलता ने न केवल विक्रम बत्रा की विरासत को अमर बना दिया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि सच्ची कहानियां हमेशा दर्शकों के दिलों को छूती हैं। इस फिल्म के जरिए, भारतीय सिनेमा ने एक बार फिर से यह सिद्ध किया कि वास्तविकता की शक्ति कल्पना से कहीं अधिक होती है।
🍿⭐ Reception & Reviews
विष्णु वर्धन द्वारा निर्देशित, यह युद्ध बायोपिक सिद्धार्थ मल्होत्रा को कारगिल युद्ध के नायक विक्रम बत्रा के रूप में दिखाती है। फिल्म को इसके देशभक्ति थीम्स, सिद्धार्थ और कियारा आडवाणी की केमिस्ट्री, और युद्ध दृश्यों के लिए सराहा गया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे 4/5 रेटिंग दी, इसे “मार्मिक और प्रेरणादायक” कहा। रेडिफ ने इसके यथार्थवादी युद्ध चित्रण की तारीफ की। कुछ आलोचकों ने इसके फॉर्मूलाबद्ध दृष्टिकोण की आलोचना की, लेकिन दर्शकों ने इसके भावनात्मक प्रभाव और संगीत को पसंद किया। यह ओटीटी (अमेज़न प्राइम) पर हिट थी और कई अवॉर्ड्स जीती। X पोस्ट्स में इसे 2021 की टॉप वॉर फिल्म माना गया। Rotten Tomatoes: 83%, IMDb: 8.3/10, Times of India: 4/5।