“श्री 420” 1955 में प्रदर्शित एक क्लासिक हिंदी फिल्म है, जिसका निर्देशन और निर्माण राज कपूर ने किया था। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग की एक महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है। कहानी राज (राज कपूर) नामक एक भोले-भाले युवक के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए गाँव से मुंबई आता है। उसे अपने जीवन में कई चुनौतियों और प्रलोभनों का सामना करना पड़ता है। राज की मासूमियत और ईमानदारी उसे कुछ विशेष परिस्थितियों में डाल देती है, जो समाज में धन और नैतिकता के बीच के संघर्ष को उजागर करती है। फिल्म में प्रदर्शित किया गया है कि कैसे राज अपनी नैतिकता और मूल्यों को बनाए रखते हुए समाज में अपनी जगह बनाने की कोशिश करता है।
फिल्म की कहानी में विद्या (नरगिस) का किरदार भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। विद्या एक स्कूल टीचर है जो राज से प्यार करती है और उसे सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करती है। विद्या और राज की मुलाकात एक भावनात्मक यात्रा की शुरुआत होती है, जिसमें प्रेम, विश्वास और संघर्ष का ताना-बाना बुना गया है। दूसरी ओर, माया (नादिरा) का किरदार राज को भटकाने और उसे समृद्धि की राह पर ले जाने का प्रतीक है। माया के माध्यम से फिल्म यह दर्शाती है कि कैसे भौतिक सुखों और लालच के जाल में फंसकर इंसान अपनी नैतिकता से समझौता कर सकता है। विद्या और माया के बीच का द्वंद्व, राज के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाता है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देता है कि सच्ची खुशी और सफलता क्या है।
फिल्म का संगीत शंकर-जयकिशन द्वारा रचित है और इसे भारतीय सिनेमा के सबसे यादगार साउंडट्रैक्स में से एक माना जाता है। “मेरा जूता है जापानी”, “प्यार हुआ इकरार हुआ”, और “दिल का हाल सुने दिलवाला” जैसे गाने न केवल फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि दर्शकों को एक गहरा भावनात्मक अनुभव भी प्रदान करते हैं। “श्री 420” में सामाजिक और आर्थिक मुद्दों की गहरी पड़ताल की गई है, जो आज भी प्रासंगिक हैं। यह फिल्म न केवल मनोरंजन के लिए देखी जाती है, बल्कि यह समाज में नैतिकता और मूल्यों के महत्व को भी रेखांकित करती है। राज कपूर की यह फिल्म भारतीय सिनेमा का एक मील का पत्थर है, जिसने दर्शकों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी है।
श्री 420 (1955) – विस्तृत मूवी रीकैप
निर्देशक: राज कपूर
कलाकार: राज कपूर, नरगिस, नादिरा, ललिता पवार, निशी
संगीत: शंकर-जयकिशन
शैली: सामाजिक ड्रामा, रोमांस, व्यंग्य
भूमिका
“श्री 420” भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली फिल्मों में से एक है। यह फिल्म भारत में गरीबी बनाम अमीरी, इमानदारी बनाम धोखाधड़ी, और संस्कार बनाम भ्रष्टाचार की लड़ाई को दर्शाती है।
राज कपूर का किरदार राज इस फिल्म में एक मासूम और ईमानदार युवक से लेकर एक चालाक और धूर्त इंसान तक का सफर तय करता है। यह फिल्म एक साधारण आदमी के समाज में अपने अस्तित्व को बचाने के संघर्ष को बखूबी दिखाती है।
कहानी
प्रारंभ: मासूम राज का शहर आगमन
कहानी का नायक राज (राज कपूर) एक गरीब लेकिन ईमानदार युवक है।
- वह अपने गांव से सपनों की नगरी बंबई (मुंबई) आता है, जहां उसे लगता है कि वह मेहनत और ईमानदारी से अपना नाम बनाएगा।
- उसके पास सिर्फ एक झोला, एक सादा कोट और बहुत सारी उम्मीदें होती हैं।
- वह पढ़ाई में होशियार होता है, इसलिए उसे लगता है कि शहर में उसे नौकरी मिल जाएगी।
गाना:
- “मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिस्तानी” – इस गीत के माध्यम से राज कपूर ने उस समय के आम भारतीय की मानसिकता को दर्शाया।
विद्या से प्रेम और ईमानदारी की राह
शहर में राज की मुलाकात विद्या (नरगिस) से होती है।
- विद्या एक सीधी-सादी और आदर्शवादी शिक्षिका होती है।
- वह ईमानदारी में विश्वास रखती है और चाहती है कि राज भी मेहनत और सच्चाई के रास्ते पर चले।
- राज विद्या के सरल स्वभाव से प्रभावित होकर उससे प्रेम करने लगता है।
गाना:
- “प्यार हुआ, इकरार हुआ” – राज और विद्या का यह गाना बॉलीवुड का सबसे यादगार रोमांटिक गीत बन गया।
राज का भ्रष्टाचार की दुनिया में जाना
शहर में धोखा, चालाकी और भ्रष्टाचार हर जगह फैला होता है।
- राज को जल्द ही यह एहसास होता है कि ईमानदारी से पैसा कमाना आसान नहीं है।
- उसकी मुलाकात एक अमीर महिला माया (नादिरा) से होती है, जो उसे धोखाधड़ी और जुए की दुनिया में खींच लेती है।
- धीरे-धीरे, राज अपनी मासूमियत खोने लगता है और खुद को एक चालाक और लालची इंसान में बदलने देता है।
राज का पतन:
- माया उसे एक बड़ी धोखाधड़ी स्कीम में शामिल कर लेती है।
- अब राज को पैसे और शोहरत की भूख लगने लगती है।
- वह विद्या को छोड़कर माया के साथ चला जाता है, जो उसे अमीरी की दुनिया में और नीचे गिराती है।
राज का पछतावा और विद्या की सीख
- हालांकि राज अमीर बन जाता है, लेकिन उसका अंतरमन अशांत रहता है।
- विद्या के साथ बिताए सादगी और सच्चाई भरे दिन उसे याद आते हैं।
- उसे एहसास होता है कि वह जिस दौलत और ऐशो-आराम के पीछे भाग रहा था, वह असली खुशी नहीं है।
टर्निंग पॉइंट:
- जब राज को पता चलता है कि गरीब लोगों के साथ बड़ी धोखाधड़ी की जा रही है, तो उसका जमीर जाग जाता है।
- वह अपनी गलतियों को सुधारने का फैसला करता है।
क्लाइमैक्स: समाज को धोखेबाजों से बचाने की लड़ाई
- राज अपने अंदर के श्री 420 (धोखेबाज) को मारकर फिर से ईमानदार इंसान बनने की कोशिश करता है।
- वह लोगों को बताता है कि भ्रष्टाचार और लालच से कुछ नहीं मिलता।
- राज माया और उसके गिरोह का पर्दाफाश करता है और गरीबों को उनके पैसे वापस दिलाने की कोशिश करता है।
संघर्ष और अंतिम फैसला:
- हालांकि राज को अमीर समाज द्वारा गद्दार और धोखेबाज घोषित कर दिया जाता है, लेकिन विद्या और आम लोग उसकी सच्चाई को पहचानते हैं।
- वह शहर में रहकर सच्चाई और ईमानदारी से नई जिंदगी शुरू करने का फैसला करता है।
फिल्म की खास बातें
1. समाज पर गहरा व्यंग्य
- फिल्म दिखाती है कि कैसे एक ईमानदार आदमी को समाज भ्रष्टाचार की ओर धकेल देता है।
- यह पूंजीवाद और गरीबी के बीच की खाई को भी उजागर करती है।
- गरीबों को अमीर बनने का सपना दिखाकर लूटा जाता है, जबकि असली खुशी पैसे में नहीं, सच्चाई और प्रेम में होती है।
2. राज कपूर की चार्ली चैपलिन-स्टाइल एक्टिंग
- इस फिल्म में राज कपूर का किरदार चार्ली चैपलिन के “ट्रैम्प” (The Tramp) कैरेक्टर से प्रेरित था।
- उनकी मासूमियत, कॉमिक टाइमिंग और इमोशनल एक्सप्रेशन इस फिल्म की जान थे।
3. अविस्मरणीय संवाद और दृश्य
- “शहर में रहने के लिए धूर्त और चालाक बनना पड़ता है!”
- “अमीरी की यह दुनिया झूठी और धोखेबाजों से भरी हुई है।”
4. यादगार संगीत
शंकर-जयकिशन का संगीत फिल्म की आत्मा है। कुछ प्रसिद्ध गीत:
- “मेरा जूता है जापानी” – भारतीय आत्मनिर्भरता और दुनिया को देखने का उत्साह।
- “प्यार हुआ, इकरार हुआ” – भारतीय सिनेमा का सबसे रोमांटिक गीत।
- “दिल का हाल सुने दिलवाला” – आम आदमी की भावनाओं को व्यक्त करता हुआ गीत।
- “रामैया वस्तावैया” – दिल को छू लेने वाला इमोशनल गाना।
5. शानदार निर्देशन और सिनेमाटोग्राफी
- राज कपूर की निर्देशन शैली ने फिल्म को भावनात्मक गहराई दी।
- फिल्म का ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमाटोग्राफी, बंबई की सड़कों का चित्रण और समाज की वास्तविकता का प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण इसे क्लासिक बनाता है।
निष्कर्ष
“श्री 420” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक विचारधारा है। यह फिल्म दिखाती है कि समाज में ईमानदारी और धोखाधड़ी के बीच संघर्ष हमेशा चलता रहेगा, लेकिन अंततः सत्य की जीत होगी।
“श्री 420” आज भी एक प्रेरणादायक फिल्म है, जो हमें यह सिखाती है कि असली दौलत पैसों में नहीं, बल्कि सच्चाई और प्रेम में होती है।
“श्री 420 – हर इंसान के अंदर का ईमानदार और धोखेबाज दोनों पक्ष दिखाने वाली कालजयी कृति!”
“श्री 420” (1955) के बेहतरीन संवाद और जीवन दर्शन
“श्री 420” राज कपूर द्वारा निर्देशित और अभिनीत एक कालजयी फिल्म है, जिसमें नरगिस और नादिरा ने भी प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं। यह फिल्म ईमानदारी, समाज, गरीबी और शहरी जीवन के संघर्षों को बेहद खूबसूरती से दिखाती है। “मेरा जूता है जापानी” और “प्यार हुआ इकरार हुआ” जैसे गाने आज भी अमर हैं। इसके संवाद जीवन की कड़वी सच्चाइयों और ईमानदारी की ताकत को उजागर करते हैं।
🗣 सर्वश्रेष्ठ संवाद और उनका जीवन दर्शन
1. ईमानदारी और समाज पर आधारित संवाद
📝 “किसी को धोखा देकर खुशियाँ हासिल करना सबसे बड़ा पाप है!”
👉 दर्शन: सच्ची खुशी ईमानदारी और सच्चाई में है, न कि छल-कपट में।
📝 “इस दुनिया में ईमानदारी से जीने वाले को या तो भिखारी बनना पड़ता है या फिर भगवान!”
👉 दर्शन: समाज की सच्चाई यही है कि ईमानदार आदमी को हर कदम पर संघर्ष करना पड़ता है।
📝 “नफरत से दुनिया में कुछ नहीं मिलता, प्यार से सब कुछ मिलता है!”
👉 दर्शन: प्रेम ही सबसे बड़ी ताकत है, जो समाज और इंसान को बदल सकता है।
2. किस्मत और संघर्ष पर आधारित संवाद
📝 “मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता!”
👉 दर्शन: आत्म-सम्मान किसी भी कीमत पर नहीं बेचा जा सकता। यह संवाद हमें सिखाता है कि स्वाभिमान सबसे ऊपर है।
📝 “जिनके पास कुछ नहीं होता, वो किस्मत को सबसे ज्यादा दोष देते हैं!”
👉 दर्शन: किस्मत को दोष देने के बजाय अपने कर्मों पर विश्वास करना चाहिए।
📝 “इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक देने वाले और दूसरे लेने वाले!”
👉 दर्शन: असली सुख और शांति देने में है, न कि लेने में।
3. प्रेम और त्याग पर आधारित संवाद
📝 “प्यार अगर सच्चा हो, तो उसमें छल-कपट की जगह नहीं होती!”
👉 दर्शन: सच्चा प्रेम निष्कपट और निस्वार्थ होता है, जिसमें किसी स्वार्थ की जगह नहीं होती।
📝 “प्यार में अगर दर्द न हो, तो वो प्यार ही क्या!”
👉 दर्शन: प्रेम की गहराई दर्द और त्याग में ही छिपी होती है।
📝 “प्यार कभी नफरत में नहीं बदलता, वो तो या तो जीतता है या मर जाता है!”
👉 दर्शन: सच्चा प्रेम अमर होता है, चाहे कोई भी मुश्किल क्यों न आए।
4. समाज और उसकी सच्चाई पर आधारित संवाद
📝 “इस शहर में इंसान नहीं, रुपये बसते हैं!”
👉 दर्शन: पैसे की भूख इंसानियत को मार देती है, यह संवाद समाज की इस सच्चाई को बेनकाब करता है।
📝 “जिसके पास दौलत है, उसी की इज्जत होती है!”
👉 दर्शन: समाज की असली सच्चाई यही है कि सम्मान पैसे से मापा जाता है, न कि इंसानियत से।
📝 “गरीब अगर चोरी करे तो वो गुनाह है, पर अमीर अगर बेईमानी करे तो वो कारोबार!”
👉 दर्शन: समाज का असली चेहरा यही है कि न्याय और कानून दौलतमंदों के लिए अलग होते हैं।
5. संघर्ष और आत्म-सम्मान पर आधारित संवाद
📝 “हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं!”
👉 दर्शन: संघर्ष में हार मान लेना ही असली हार है, लगातार कोशिश करना ही जीत है।
📝 “जिसे अपने ऊपर यकीन हो, उसे किसी और की जरूरत नहीं होती!”
👉 दर्शन: आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास ही असली ताकत है।
📝 “जो सच के रास्ते पर चलता है, उसे रास्ते में अकेले ही चलना पड़ता है!”
👉 दर्शन: सच्चाई का रास्ता कठिन होता है, लेकिन यही असली साहस है।
🌟 अनसुने और रोचक तथ्य (“श्री 420” से जुड़े हुए) 🌟
1️⃣ सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म!
👉 “श्री 420” उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी और इसे ब्लॉकबस्टर का दर्जा मिला।
2️⃣ नरगिस और राज कपूर की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री!
👉 इस फिल्म में राज कपूर और नरगिस की जोड़ी को दर्शकों ने इतना पसंद किया कि इसे क्लासिक मान लिया गया।
3️⃣ “मेरा जूता है जापानी” का रिकॉर्ड!
👉 यह गाना 7 भाषाओं में डब किया गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिट हुआ।
4️⃣ चार्ली चैपलिन से प्रेरणा!
👉 राज कपूर का “राजू” का किरदार चार्ली चैपलिन से प्रेरित था, जिसमें मासूमियत और हंसी-मजाक दोनों थे।
5️⃣ महबूब स्टूडियो में शूटिंग!
👉 फिल्म की अधिकांश शूटिंग महबूब स्टूडियो में हुई और इसके सेट को न्यूयॉर्क की तर्ज पर डिजाइन किया गया था।
6️⃣ पहली ‘फुल साउंडट्रैक’ फिल्म!
👉 “श्री 420” पहली हिंदी फिल्म थी जिसका पूरा साउंडट्रैक LP रिकॉर्ड्स पर रिलीज़ हुआ।
7️⃣ राज कपूर का मास्टरपीस!
👉 राज कपूर ने इस फिल्म को बनाने के लिए अपनी पूरी संपत्ति गिरवी रख दी थी, लेकिन यह सुपरहिट साबित हुई।
8️⃣ “प्यार हुआ इकरार हुआ” का बारिश वाला सीन!
👉 यह गाना मुंबई की असली बारिश में शूट हुआ था और इसे एक ही टेक में फिल्माया गया।
9️⃣ फिल्मफेयर में धमाल!
👉 “श्री 420” ने फिल्मफेयर अवार्ड्स में 5 पुरस्कार जीते, जिसमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (राज कपूर) शामिल था।
🔟 बॉक्स ऑफिस पर धमाल!
👉 “श्री 420” ने 50 करोड़ का आंकड़ा पार किया और उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बनी।
निष्कर्ष
“श्री 420” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि समाज की असली सच्चाई, ईमानदारी और प्रेम की अमर गाथा है। इसके संवाद और गाने हमें यह सिखाते हैं कि असली ताकत आत्म-सम्मान और ईमानदारी में है। यह फिल्म सिखाती है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, सच्चाई और संघर्ष का रास्ता कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
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Best Dialogues and Quotes
श्री 420 (1955) के 20 सर्वश्रेष्ठ संवाद और उद्धरण
1. “मेरा जूता है जापानी…”
यह गीत इस बात का प्रतीक है कि बाहरी चीजों की चमक-दमक मायने नहीं रखती, असली पहचान अपने मूल्यों और संस्कारों से होती है।
2. “दिल का हाल सुने दिलवाला…”
यह संवाद प्रेम और संवेदनाओं की गहराई को दर्शाता है, जहां व्यक्ति अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करता है।
3. “इंसान का दिल बहुत बड़ा होता है, लेकिन कभी-कभी वह छोटा बन जाता है।”
यह जीवन का सत्य है कि मनुष्य के पास दया और करुणा की अद्भुत क्षमता होती है, लेकिन स्वार्थ के कारण वह संकुचित हो जाती है।
4. “कभी-कभी हम जो चाहते हैं वो नहीं मिलता, पर जो मिलता है वो हमारे लिए अच्छा होता है।”
यह जीवन के अप्रत्याशित मोड़ों को स्वीकार करने की सलाह देता है, क्योंकि अक्सर वे हमारे भले के लिए होते हैं।
5. “जिंदगी एक खेल है, इसे खेलना सीखो।”
यह उद्धरण जीवन को खेल की तरह देखने की प्रेरणा देता है, जिसमें हार और जीत दोनों एक अनुभव के रूप में आते हैं।
6. “बड़ा आदमी बनने के लिए बड़ी बातें नहीं, बड़े काम करने पड़ते हैं।”
यह संदेश है कि सफलता केवल बातों से नहीं, बल्कि मेहनत और कर्म से मिलती है।
7. “वक्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता।”
जीवन की अनिश्चितताओं को स्वीकारने की प्रेरणा देता है, क्योंकि सब कुछ समय और भाग्य पर निर्भर करता है।
8. “धन दौलत से नहीं, प्यार से अमीर बनो।”
यह संवाद सच्ची संपत्ति को प्रेम और संबंधों में मानता है, न कि भौतिक वस्तुओं में।
9. “सपने देखो, पर उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत भी करो।”
यह संदेश सपनों को हकीकत में बदलने के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है।
10. “कभी-कभी धोखा खाने में भी फायदा होता है।”
जीवन के कड़वे अनुभवों से सीख लेने की प्रेरणा देता है, जो आगे चलकर हमारे लिए लाभकारी साबित होते हैं।
11. “इंसान को गिरकर उठना चाहिए, हारकर जीतना चाहिए।”
संघर्ष और पराजय के बाद भी उठ खड़े होने की क्षमता को दर्शाता है।
12. “मुसीबत में साथ देने वाला ही सच्चा दोस्त होता है।”
यह जीवन के कठिन समय में सच्चे मित्र की पहचान को दर्शाता है।
13. “हर किसी में अच्छाई होती है, बस उसे पहचानने की जरूरत है।”
यह सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और हर व्यक्ति में अच्छाई देखने की प्रेरणा देता है।
14. “दौलत की चमक-दमक में सच्चे रिश्ते खो जाते हैं।”
यह चेतावनी है कि धन की चकाचौंध में संबंधों की अहमियत न भूलें।
15. “किसी का दिल दुखाने से पहले सोचो, क्योंकि दिल टूटना आसान नहीं होता।”
यह दूसरों की भावनाओं की कद्र करने की सलाह देता है।
16. “ईमानदारी से जीना ही असली जीत है।”
यह ईमानदारी को जीवन का सर्वोच्च मूल्य मानता है।
17. “जो सबके लिए अच्छा सोचता है, वही सच्चा इंसान है।”
यह परोपकार की भावना को बढ़ावा देता है।
18. “सच्चाई की राह कठिन होती है, लेकिन मंजिल पक्की होती है।”
सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, जो अंततः सही परिणाम देती है।
19. “जिंदगी में खुश रहना सबसे बड़ा उपहार है।”
यह खुश रहने और जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को संजोने की प्रेरणा देता है।
20. “कभी-कभी हारकर भी जीतने का मजा आता है।”
यह संदेश है कि पराजय भी अनुभव और संतोष ला सकती है।
Interesting Facts
राज कपूर की फिल्म का विशेष महत्व
“श्री 420” राज कपूर के करियर की सबसे महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है और इसे भारतीय सिनेमा के क्लासिक्स में गिना जाता है।
फिल्म का प्रसिद्ध गीत
“मेरा जूता है जापानी” गीत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति प्राप्त की और इसे कई भाषाओं में अनुवादित किया गया।
रूपक और प्रतीक
फिल्म में “420” भारतीय दंड संहिता की धारा का प्रतीक है, जो धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल होता है, और इसका उपयोग फिल्म में सामाजिक टिप्पणी के रूप में किया गया है।
नर्गिस और राज कपूर की जोड़ी
यह फिल्म नर्गिस और राज कपूर की प्रसिद्ध जोड़ी की एक और हिट फिल्म थी, जिसने कई दर्शकों का दिल जीत लिया।
राज कपूर की निर्देशन क्षमता
राज कपूर ने इस फिल्म में न केवल अभिनय किया बल्कि इसका निर्देशन भी किया, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।
फिल्म की आर्थिक सफलता
“श्री 420” उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी और इसे बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता मिली।
समाजवादी विचारधारा
फिल्म ने समाजवादी विचारधारा का प्रचार किया और उस समय के समाज की असमानताओं को उजागर किया।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
फिल्म ने सोवियत संघ और अन्य पूर्वी ब्लॉक देशों में भी लोकप्रियता हासिल की, जहां इसे खूब सराहा गया।
फिल्म की शूटिंग
फिल्म की शूटिंग मुख्यतः मुंबई में हुई थी, जिसमें राज कपूर ने शहर के विभिन्न स्थानों को खूबसूरती से कैद किया।
संगीत की भूमिका
शंकर-जयकिशन द्वारा रचित संगीत ने फिल्म की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसके गाने आज भी लोकप्रिय हैं।
1. मेरा जूता है जापानी – मुकेश
2. प्यार हुआ इकरार हुआ – लता मंगेशकर, मुकेश
3. रामय्या वस्तावाईया – लता मंगेशकर, मुकेश, चोरस
4. दिल का हाल सुने दिलवाला – मुकेश
5. इचक दाना बिचक दाना – लता मंगेशकर, मुकेश, चोरस
6. ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना – लता मंगेशकर