ज़ंजीर (1973) – विस्तृत मूवी रीकैप
निर्देशक: प्रकाश मेहरा
लेखक: सलीम-जावेद
कलाकार: अमिताभ बच्चन, जया भादुरी, प्राण, अजीत, बिंदु
संगीत: कल्याणजी-आनंदजी
शैली: एक्शन, ड्रामा, क्राइम
भूमिका
“ज़ंजीर” भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित एक्शन-ड्रामा फिल्मों में से एक मानी जाती है।
- यह फिल्म अमिताभ बच्चन को “एंग्री यंग मैन” के रूप में स्थापित करने वाली पहली फिल्म थी।
- यह सिस्टम से लड़ने वाले ईमानदार इंसान की कहानी थी, जिसने हिंदी सिनेमा को पूरी तरह बदल दिया।
- फिल्म के संवाद, एक्शन और अमिताभ के दमदार अभिनय ने इसे एक ऐतिहासिक क्लासिक बना दिया।
कहानी
प्रारंभ: बचपन की एक दर्दनाक याद
- फिल्म की शुरुआत होती है एक छोटे लड़के से, जो अपने माता-पिता की हत्या होते देखता है।
- एक अज्ञात गुंडा उनके माता-पिता को मार देता है और बच्चे के दिमाग में “घोड़े की लाल चूड़ियां” (रेड ब्रेसलेट) की छवि हमेशा के लिए रह जाती है।
- यह बच्चा बड़ा होकर एक ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर बनता है – विजय खन्ना (अमिताभ बच्चन)।
विजय – एक सख्त पुलिस अफसर
- विजय खन्ना बेबाक, ईमानदार और साहसी पुलिस अफसर होता है।
- वह अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ अकेले लड़ता है।
- उसके रास्ते में शेर खान (प्राण) और तेजा (अजीत) आते हैं।
डायलॉग:
- “जब तक बैठने को ना कहा जाए, खड़े रहो… ये पुलिस स्टेशन है, तुम्हारे बाप का घर नहीं!”
- यह डायलॉग आज भी बॉलीवुड के सबसे प्रतिष्ठित संवादों में से एक माना जाता है।
तेज़ा – क्राइम वर्ल्ड का सबसे बड़ा नाम
- तेज़ा (अजीत) एक शातिर और चालाक अपराधी होता है, जो शहर में अवैध शराब और अपराध चलाता है।
- विजय तेजा को गिरफ्तार करने और उसके अपराध साम्राज्य को खत्म करने की कसम खाता है।
माला – गवाह की तलाश
- विजय की मुलाकात होती है माला (जया भादुरी) से, जो एक मासूम लड़की है, लेकिन उसने तेजा के गुंडों को एक हत्या करते हुए देखा है।
- विजय उसे अपने केस का गवाह बनाने की कोशिश करता है और धीरे-धीरे उनके बीच प्रेम पनपता है।
गाना:
- “दिलजलता है तो जलने दे” – विजय के दर्द और अकेलेपन को दर्शाने वाला गीत।
शेर खान और विजय की दोस्ती
- विजय की भिड़ंत होती है शेर खान (प्राण) से, जो एक पहलवान और जुआघर मालिक होता है।
- शुरुआत में, विजय और शेर खान के बीच दुश्मनी होती है, लेकिन बाद में शेर खान विजय का सबसे अच्छा दोस्त बन जाता है।
डायलॉग:
- “मियां भाई, ईमानदारी का साथ देने में जो मजा है, वो बेईमानी में नहीं!”
- शेर खान एक आइकॉनिक सपोर्टिंग कैरेक्टर बन जाता है।
विजय की सच्चाई – बचपन की यादें लौटती हैं
- विजय को अपने माता-पिता के कातिल की तलाश होती है।
- धीरे-धीरे, उसके दिमाग में बचपन की यादें ताजा होने लगती हैं – घोड़े की लाल चूड़ियां।
- उसे पता चलता है कि तेजा ही उसके माता-पिता का असली कातिल है।
क्लाइमैक्स – विजय बनाम तेजा
- विजय तेजा के पूरे गिरोह को तहस-नहस कर देता है।
- तेजा विजय की मां को किडनैप करने की कोशिश करता है, लेकिन विजय उसे रोक लेता है।
- अंत में, विजय तेजा को इसी लाल चूड़ियों के निशान से पहचानता है और बदला लेता है।
- न्याय की जीत होती है, और विजय पुलिस फोर्स में अपनी जगह बना लेता है।
फिल्म की खास बातें
1. अमिताभ बच्चन – “एंग्री यंग मैन” की शुरुआत
- इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन बना दिया।
- उनकी डायलॉग डिलीवरी, बॉडी लैंग्वेज और एक्शन सीन्स बेहतरीन थे।
2. जबरदस्त संवाद और स्क्रिप्ट
- “जब तक बैठने को ना कहा जाए, खड़े रहो…” – यह हिंदी सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित डायलॉग है।
- सलीम-जावेद की कहानी और संवादों ने फिल्म को बेहद दमदार बना दिया।
3. अमिताभ और प्राण की दोस्ती
- विजय और शेर खान की दोस्ती हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार दोस्तियों में से एक है।
- प्राण का किरदार इस फिल्म में बेहद दमदार था।
4. आर. डी. बर्मन का बेहतरीन संगीत
- “दिल जलता है तो जलने दे” – एक दुखभरा गीत, जो विजय के दर्द को दर्शाता है।
- “यारी है ईमान मेरा” – विजय और शेर खान की दोस्ती का बेहतरीन गीत।
5. प्रकाश मेहरा का निर्देशन और सलीम-जावेद की पटकथा
- फिल्म में इमोशंस, एक्शन और थ्रिल का बेहतरीन संतुलन था।
- यह एक साधारण पुलिस-गैंगस्टर फिल्म नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक बदले की कहानी थी।
निष्कर्ष
“ज़ंजीर” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक क्रांति थी।
“अगर आपने ‘ज़ंजीर’ नहीं देखी, तो आपने अमिताभ बच्चन का असली करिश्मा नहीं देखा!”
“जब तक बैठने को ना कहा जाए, खड़े रहो…” – यह संवाद हिंदी सिनेमा का स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया डायलॉग है!
Best Dialogues and Quotes
1. जब तक बैठने को ना कहा जाए, शराफ़त से खड़े रहो।
शिष्टाचार और अनुशासन का महत्व। जीवन में अनुशासन बनाए रखना सफलता की कुंजी है।
2. ये पुलिस स्टेशन है, तुम्हारे बाप का घर नहीं।
सार्वजनिक स्थानों का आदर करना चाहिए। यह बताता है कि हर जगह की अपनी गरिमा होती है।
3. आज के बाद तुम्हारी शक्ल नहीं देखनी मुझे।
संबंध विच्छेद का निर्णय। जीवन में कभी-कभी कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं।
4. इंसान के अंदर दो भेड़िए होते हैं, एक अच्छा और एक बुरा। कौन जीतेगा? जो तुम खिलाओगे।
आत्मसंयम और आत्मविकास का महत्व। हम वही बनते हैं, जिस पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
5. जंजीरें तोड़ दूंगा मैं, अगर मुझे मजबूर किया गया।
स्वतंत्रता की लालसा और दबाव के खिलाफ खड़ा होना। जीवन में कभी-कभी विद्रोह आवश्यक होता है।
6. मेरा नाम विजय है, और विजय नाम का मतलब समझते हो? जीत।
नाम का अर्थ और व्यक्ति की पहचान। यह आत्मविश्वास और स्वाभिमान को दर्शाता है।
7. कानून के हाथ लंबे होते हैं।
न्याय की शक्ति और अपरिहार्यता। कानून से कोई बच नहीं सकता।
8. मैं उस जगह पर हूं जहाँ से लौटना नामुमकिन है।
जीवन में कुछ फैसले अंतिम होते हैं। यह दृढ़ता और अटलता को दर्शाता है।
9. ये बाज़ू मेरे इम्तिहान लेते हैं।
शारीरिक और मानसिक शक्ति का परीक्षण। जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
10. दर्द को छुपाना और मुस्कुराना ही ज़िंदगी है।
जीवन की कठिनाइयों का सामना करना। मुस्कान के पीछे छिपे संघर्ष की कहानी।
11. तुमने मेरे हाथ बांध दिए, लेकिन हिम्मत नहीं।
आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प। बाहरी बंधन आत्मा की स्वतंत्रता को नहीं रोक सकते।
12. इस शहर में इंसान की जान की कोई कीमत नहीं।
समाज की कठोर सच्चाई। मानव जीवन का अवमूल्यन।
13. मुझे किसी का डर नहीं।
निर्भीकता और साहस। जीवन में निडर होकर जीना।
14. तुमने मेरे खून में आग लगा दी है।
क्रोध और जुनून। भावनाओं की तीव्रता।
15. मैं कानून की इज़्ज़त करता हूँ।
न्याय और नियमों का सम्मान। कानून का पालन करना नागरिक का कर्तव्य है।
16. मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है।
साहस और निडरता। जब कुछ खोने का डर नहीं होता, तब इंसान सबसे मजबूत होता है।
17. मुझे इंसाफ चाहिए।
न्याय की मांग। सही और गलत के बीच का संघर्ष।
18. मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ खोया है।
जीवन की हानियाँ और सीखें। जो खोया है, वो सिखाता है।
19. इस शहर को बदलना पड़ेगा।
परिवर्तन की आवश्यकता। समाज में सुधार की दिशा में कदम।
20. मैं हार मानने वालों में से नहीं।
दृढ़ता और संघर्ष की भावना। असफलता के बाद भी प्रयास जारी रखना।
Interesting Facts
फिल्म का टर्निंग पॉइंट
“जंजीर” अमिताभ बच्चन के करियर का टर्निंग पॉइंट माना जाता है, जिसने उन्हें “एंग्री यंग मैन” की छवि दी।
प्रकाश मेहरा का निर्देशन
यह फिल्म निर्देशक प्रकाश मेहरा की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी, जिसने उन्हें इंडस्ट्री में स्थापित किया।
सलीम-जावेद की पटकथा
फिल्म की पटकथा सलीम खान और जावेद अख्तर की जोड़ी ने लिखी थी, जो बाद में बॉलीवुड की सबसे सफल लेखक जोड़ी बन गई।
रीमेक और पुनः निर्माण
“जंजीर” का 2013 में तेलुगु और हिंदी में रीमेक बनाया गया था, जिसमें राम चरण और प्रियंका चोपड़ा ने अभिनय किया।
विशेष भूमिका
अभिनेता प्राण ने फिल्म में शेर खान की विशेष भूमिका निभाई, जो दर्शकों के बीच काफी प्रसिद्ध हुई।
अमिताभ की पसंद
अमिताभ बच्चन ने “जंजीर” को अपनी पसंदीदा फिल्मों में से एक माना है।
गीतों की लोकप्रियता
फिल्म के गाने “यारी है ईमान मेरा” बहुत लोकप्रिय हुए, जिन्हें मन्ना डे ने गाया था।
बॉक्स ऑफिस सफलता
“जंजीर” ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की और साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बनी।
यारी है ईमान मेरा – मन्ना डे
दीवाने हैं दीवानों को – किशोर कुमार
चक्कू छुरी – आशा भोसले
बनके पंछी गाए प्यार का तराना – मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर
या अली – लता मंगेशकर